सरकारी स्कूल में मुफ्त पढ़ाते हैं धोती वाले गुरुजी, क्लास में रहती है भीड़
हर बार कोई कमी निकाल देते थे अफसर पर हिम्मत नहीं हारे
हर बार कोई कमी निकाल देते थे अफसर पर हिम्मत नहीं हारे
3 साल में 686 चक्कर लगाए, यूआईटी से ले आए स्कूल की जमीन
कोटा| सांगोदके एक स्कूल से रिटायर होने के बाद भी मोडूलाल मालव की दिनचर्या नहीं बदली। वो आज भी रोज सुबह बच्चों को पढ़ाने स्कूल जाते हैं। राप्रावि रामचंद्रपुरा के बच्चे भी उन्हें धोती वाले गुरुजी के नाम से पुकारते हैं। उनके पढ़ाने का तरीका इतना रोचक है कि क्लास में बच्चों की भीड़ लगी रहती है। वो गणित जैसे मुश्किल विषय को भी कहानियों के जरिए सरल बना देते हैं। उनके प्रयासों से अब बच्चे लंच के बाद भी क्लास में आते हैं। पिछले साल तक बच्चे स्कूल में ठहरते ही नहीं थे।
1972में हासिल किए थे 12 वीं में 70 प्रतिशत: मूलतःसांगोद के झाड़ आमली निवासी मालव ने बताया कि 1972 में 12वीं साइंस में 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। तब डॉक्टर बनने का मौका आया था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण ऐसा नहीं हो पाया। पिछले 15 साल से गांव में प्राइवेट स्कूलों में बच्चों में पढ़ाया है। यहां अब बेटे के पास रह रहा हूं। घर के पास बने इस स्कूल में बच्चों को निशुल्क पढ़ाने से खुशी मिलती है।
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