असफलता ही सफलता का रास्ता बताती है, सीकर के राजेंद्र ने राजस्थान एडमिनिस्ट्रेशन सर्विस (आरएएस) में तीसरा स्थान हासिल कर वाक्य को सही साबित कर दिया है. राजेंद्र के लिए यह सफलता इसलिए खास है क्योंकि उसने चौथे प्रयास में हासिल किया है. सीकर के शिशू गांव के रहने वाले राजेंद्र सिंह शेखावत सात साल से राजस्थान पब्लिक सर्विस कमिशन की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे. आरएएस में तीन बार असफल हुए, फिर भी हिम्मत नहीं हारे और चौथी बार में राज्यभर में तीसरा स्थान हासिल कर परिवार और गांव वालों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया.
कठिनाइयों भरा रहा शेखावत का सफर
फिलहाल शेखावत बाड़मेर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में हेडमास्टर हैं. शेखावत जब 10 साल के थे तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. मां ने शेखावत की पढ़ाई का भी जिम्मा उठा लिया. शेखावत की पढ़ाई जारी रखने के लिए उसकी मां को सिलाई-कढ़ाई का काम करना पड़ा.
'ईश्वर ने पूरी कर दी मेरे और लल्ला की इच्छा'
बेटे की सफलता पर शेखावत की मां ने कहा कि उनकी ईश्वर से ऐसी मनोकानमा है कि जिस दुख को उसने देखा है, वह उसे दोबारा देखने को न मिले. उन्होंने कहा कि बेटे को अच्छी शिक्षा देने के लिए बहुत मेहनत की. आज शेखावत को इस मुकाम पर देखकर उन्हें बहुत खुशी हो रही है.
'हर निराशा के बाद मां देती प्रेरणा'
आरएएस में चयनित राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि वह कई बार अपनी असफलता से निराश हो जाया करते थे, लेकिन ऐसी स्थिति में उनकी मां हमेशा उनके साथ खड़ी रही. वह कहती थी कि अगर लगातार मेहनत की जाए तो सफलता जरूर हाथ लगेगी. शेखावत ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपनी मां और ससुर गोविंद सिंह को देते हैं. शेखावत बताते हैं कि उनकी पत्नी राजकीय माध्यमिक विद्यालय गोवर्धनपुरा में अंग्रेजी की वरिष्ठ अध्यापिका हैं.
पहले भी शेखावत को मिली कई नौकरियां
राजेंद्र सिंह शेखावत को नौकरियां तो कई मिली, लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से पुलिस में एएसआई की नौकरी हासिल की. इसके बाद शेखावत ने एएसआई की नौकरी छोड़ शिक्षक बने. राजेंद्र सिंह शेखावत का तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2005 में चयन हो गया और पोस्टिंग रानोली के पास हुई. लेकिन उन्होंने अपने सपने देखना बंद नहीं किया और साल 2007 में उनका चयन फिर से पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर हुआ.
इसी दौरान राजेंद्र सिंह शेखावत ने सब इंस्पेक्टर के पद पर करीब तीन महीने नौकरी की. इसके बाद फिर से शेखावत ने प्रयास करना शुरू कर दिया और साल 2011 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक के पद पर उनका चयन हुआ. साल 2013 में शेखावत का माध्यमिक शिक्षा विभाग में हेडमास्टर के पद पर चयन हुआ. इसके बाद भी वे रूके नहीं और परिश्रम से उन्होंने अपना निर्धारित लक्ष्य आरएएस को पा ही लिया.
युवाओं के लिए शेखावत ने दिया संदेश
राजेंद्र सिंह ने युवाओं को नसीहत दी है कि वे कभी भी शॉर्टकट का रास्ता न अपनाएं. वहीं राजेंद्र सिंह के आरएएस बनने के बाद शिशू गांव में जश्न का माहौल है.
फिलहाल शेखावत बाड़मेर के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में हेडमास्टर हैं. शेखावत जब 10 साल के थे तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया था. मां ने शेखावत की पढ़ाई का भी जिम्मा उठा लिया. शेखावत की पढ़ाई जारी रखने के लिए उसकी मां को सिलाई-कढ़ाई का काम करना पड़ा.
'ईश्वर ने पूरी कर दी मेरे और लल्ला की इच्छा'
बेटे की सफलता पर शेखावत की मां ने कहा कि उनकी ईश्वर से ऐसी मनोकानमा है कि जिस दुख को उसने देखा है, वह उसे दोबारा देखने को न मिले. उन्होंने कहा कि बेटे को अच्छी शिक्षा देने के लिए बहुत मेहनत की. आज शेखावत को इस मुकाम पर देखकर उन्हें बहुत खुशी हो रही है.
'हर निराशा के बाद मां देती प्रेरणा'
आरएएस में चयनित राजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि वह कई बार अपनी असफलता से निराश हो जाया करते थे, लेकिन ऐसी स्थिति में उनकी मां हमेशा उनके साथ खड़ी रही. वह कहती थी कि अगर लगातार मेहनत की जाए तो सफलता जरूर हाथ लगेगी. शेखावत ने अपनी सफलता का सारा श्रेय अपनी मां और ससुर गोविंद सिंह को देते हैं. शेखावत बताते हैं कि उनकी पत्नी राजकीय माध्यमिक विद्यालय गोवर्धनपुरा में अंग्रेजी की वरिष्ठ अध्यापिका हैं.
पहले भी शेखावत को मिली कई नौकरियां
राजेंद्र सिंह शेखावत को नौकरियां तो कई मिली, लेकिन उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से पुलिस में एएसआई की नौकरी हासिल की. इसके बाद शेखावत ने एएसआई की नौकरी छोड़ शिक्षक बने. राजेंद्र सिंह शेखावत का तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2005 में चयन हो गया और पोस्टिंग रानोली के पास हुई. लेकिन उन्होंने अपने सपने देखना बंद नहीं किया और साल 2007 में उनका चयन फिर से पुलिस में सब इंस्पेक्टर के पद पर हुआ.
इसी दौरान राजेंद्र सिंह शेखावत ने सब इंस्पेक्टर के पद पर करीब तीन महीने नौकरी की. इसके बाद फिर से शेखावत ने प्रयास करना शुरू कर दिया और साल 2011 में द्वितीय श्रेणी शिक्षक के पद पर उनका चयन हुआ. साल 2013 में शेखावत का माध्यमिक शिक्षा विभाग में हेडमास्टर के पद पर चयन हुआ. इसके बाद भी वे रूके नहीं और परिश्रम से उन्होंने अपना निर्धारित लक्ष्य आरएएस को पा ही लिया.
युवाओं के लिए शेखावत ने दिया संदेश
राजेंद्र सिंह ने युवाओं को नसीहत दी है कि वे कभी भी शॉर्टकट का रास्ता न अपनाएं. वहीं राजेंद्र सिंह के आरएएस बनने के बाद शिशू गांव में जश्न का माहौल है.
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