जयपुर। राजस्थान के
पूर्व शिक्षामंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी ने आरोप
लगाया है कि अधिकारियों के ऊल-जलूल आदेशों से शिक्षकों को अपमानित होना पड़
रहा है। शिक्षकों के हितों की रक्षा करने में शिक्षामंत्री गोविंद सिंह
डोटासरा पूरी तरह विफल साबित हो रहे हैं।
जिला प्रशासन के दबाव में शिक्षा
अधिकारी जिस प्रकार आदेश निकाल रहे हैं उससे प्रतीत होता है कि मंत्री का
अपने विभाग पर कोई नियंत्रण नहीं है।
देवनानी ने बताया कि करौली के जिला शिक्षा
अधिकारी ने क्वारंटीन सेंटरों में रह रहे श्रमिकों और स्थानीय नागरिकों के
मनोरंजन करने की ड्यूटी शिक्षकों को दी है। जिस शिक्षक का काम शिक्षा देने
का है वह अब नाच गाने के काम में लग गया है। बारां स्थित मंगरोल के शिक्षा
अधिकारी ने तो शादी समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग करवाने का काम शिक्षकों
को सौंप दिया है। प्रतापगढ़ जिले के छोटी सादड़ी के शिक्षा अधिकारी ने
शिक्षकों की नियुक्ति बाढ़ नियंत्रण कक्ष में कर दी है।
धौलपुर के शिक्षा अधिकारी ने मनरेगा
श्रमिकों पर निगरानी का काम शिक्षकों को दे दिया है। कोटा के शिक्षा
अधिकारी ने आदेश जारी कर श्रमिक स्पेशल टे्रन में जाने वाले श्रमिकों की
निगरानी का जिम्मा शिक्षकों को दिया है। पाली के शिक्षा अधिकारी ने मृत्यु
भोज पर निगरानी के लिए भी शिक्षकों की नियुक्ति की है। देवनानी ने कहा कि
शिक्षकों का काम भावी पीढ़ी को शिक्षा देना है। उन्होंने माना कि शिक्षक
सरकार कर्मचारी है। लेकिन शिक्षक से उसके सम्मान के अनुरूप ही काम लिया
जाना चाहिए।
कोरोना काल में शिक्षक पहले ही कोविड-19
संदिग्ध मरीजों के घर के बाहर ड्यूटी दे रहा है। इसके लिए अलावा भी वार्ड
स्तर पर बीएलओ से लेकर खाद्य सामग्री बांटने तक का काम शिक्षक वर्ग कर रहा
है। देवनानी ने सवाल उठाया कि क्या कोरोना काल में सिर्फ शिक्षक ही बचा है।
जिसे हर प्रकार का काम दिया जा रहा है। सरकार में अन्य विभागों के
कर्मचारी भी है। शिक्षा मंत्री डोटासरा को चाहिए कि वे अपने विभाग के
शिक्षकों के हितों की रक्षा करें। देवनानी ने कहा कि अधिकारियों के ऊल-जलूल
आदेशों से प्रदेश भर के शिक्षकों में नाराजगी है।
-एस.पी.मित्तल
-एस.पी.मित्तल
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