जयपुर। कोरोना महामारी
के चलते जारी लॉकडाउन के कारण लोगों के काम धंधे बंद है। इसका सीधा प्रभाव
लोगों की जेब पर पड रहा है। ऐसे में बहुत से परिवार ऐसे भी हैं जो अब अपने
बच्चों की स्कूल फीस जमा कराने में सक्षम नहीं होंगे, ऐसे में मुख्यमंत्री
गहलोत ने वीडियो कां
फ्रेंस के जरिए स्कूल शिक्षा, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा
से जुड़े विषयों पर समीक्षा की...
उन्होंने कहा कि मानवता के समक्ष यह ऐसा
संकट है जिसका हम सभी को मिलकर सामना करना है। ऐसे वक्त में एक-दूसरे का
ध्यान रखकर ही हम इस मुश्किल वक्त का मुकाबला कर सकते हैं।
यूपीए सरकार के समय शिक्षा का अधिकार अधिनियम लाकर गरीब वर्ग के बच्चों को निजी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने का ऐतिहासिक कदम उठाया गया था। विगत कुछ वर्षों में इस कानून की भावना के अनुरूप जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पाया।— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) May 8, 2020
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि
लॉकडाउन के कारण कोई अभिभावक आर्थिक स्थिति के चलते फीस जमा नहीं करा पाता
है तो निजी स्कूल ऐसे विद्यार्थी का नाम नहीं काटें। अगर कोई स्कूल ऐसा
करता है तो राज्य सरकार उसकी मान्यता निरस्त कर सकती है।
गहलोत ने कहा की शिक्षा विभाग इस बात का भी परीक्षण कराए कि निजी स्कूल विद्यार्थियों को फीस एवं अन्य शुल्कों में किस प्रकार राहत दे सकते हैं और उन विद्यालयों का संचालन भी प्रभावित नहीं हो।
गहलोत ने कहा की शिक्षा विभाग इस बात का भी परीक्षण कराए कि निजी स्कूल विद्यार्थियों को फीस एवं अन्य शुल्कों में किस प्रकार राहत दे सकते हैं और उन विद्यालयों का संचालन भी प्रभावित नहीं हो।
सीबीएसई के अनुरूप लेंगे बोर्ड परीक्षाओं पर निर्णय
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान माध्यमिक
शिक्षा बोर्ड की दसवीं एवं बारहवीं कक्षाओं की शेष परीक्षाएं फिलहाल स्थगित
रहेंगी। बाद में सीबीएसई द्वारा लिए जाने वाले निर्णय के अनुरूप फैसला
किया जाएगा, ताकि दोनों बोर्ड की परीक्षाओं में एकरूपता बनी रहे और प्रदेश
के विद्यार्थियों का अहित न हो। इसी प्रकार उच्च एवं तकनीकी शिक्षा में भी
परीक्षाओं का आयोजन स्थितियां सामान्य होने पर करवाया जा सकेगा।
ग्रीष्मावकाश में मिड-डे मील का हो पारदर्शी वितरण
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि शिक्षा
विभाग ग्रीष्मावकाश में बच्चों को मिड-डे मील के लिए उचित व्यवस्थाएं
सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण बच्चों को पका हुआ भोजन
उपलब्ध कराना संभव नहीं है। ऎसे में अभिभावकों को सूखी राशन सामग्री उपलब्ध
कराने के लिए पारदर्शी तरीके से उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए।
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