जयपुर| बीएलओ के रूप में काम कर रहे करीब 50 हजार शिक्षकों की मांग पर
व्याख्याता भर्ती को स्थगित करने का आंदोलन करने वाले शिक्षक नेता शशिभूषण
शर्मा और विपिन प्रकाश शर्मा के निलंबन का विरोध तेज हो गया है।
जयपुर में चल रहे व्याख्याता भर्ती को स्थगित करने के आंदोलन में सरकार के खिलाफ बयानबाजी पर दोनों नेताओं को शिक्षा विभाग ने बुधवार को निलंबित कर दिया था। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शशिभूषण शर्मा तथा प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर प्रदेशभर में कई शिक्षक और कर्मचारी संगठन उनके समर्थन में उतर आए हैं। इनमें राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय), राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत), राजस्थान महिला शिक्षक संघ, राजस्थान विशेष शिक्षक संघ, राजस्थान संस्कृत शिक्षक संघ, राजस्थान टीएसपी संघर्ष समिति, राजस्थान शिक्षक संघ (कांग्रेस), शिक्षक संघ रेस्टा, अखिल राजस्थान संयुक्त कर्मचारी महासंघ (एकीकृत), राजस्थान पीएचडी तकनीकी कर्मचारी यूनियन, राजस्थान नर्सेज यूनियन, राजस्थान गौरव सेनानी संघ, राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ, राजस्थान शिक्षक संघ (एकीकृत), राजस्थान शिक्षक संघ (राधाकृष्णन) सहित कई संगठनों ने कहा है कि लोकतंत्र में आंदोलन करना कोई अपराध नहीं है। आंदोलन के चलते इस प्रकार निलंबन सरकार की तानाशाही को दर्शाता है। निलंबन तुरंत रद्द किया जाए।
जयपुर में चल रहे व्याख्याता भर्ती को स्थगित करने के आंदोलन में सरकार के खिलाफ बयानबाजी पर दोनों नेताओं को शिक्षा विभाग ने बुधवार को निलंबित कर दिया था। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष शशिभूषण शर्मा तथा प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर प्रदेशभर में कई शिक्षक और कर्मचारी संगठन उनके समर्थन में उतर आए हैं। इनमें राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय), राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत), राजस्थान महिला शिक्षक संघ, राजस्थान विशेष शिक्षक संघ, राजस्थान संस्कृत शिक्षक संघ, राजस्थान टीएसपी संघर्ष समिति, राजस्थान शिक्षक संघ (कांग्रेस), शिक्षक संघ रेस्टा, अखिल राजस्थान संयुक्त कर्मचारी महासंघ (एकीकृत), राजस्थान पीएचडी तकनीकी कर्मचारी यूनियन, राजस्थान नर्सेज यूनियन, राजस्थान गौरव सेनानी संघ, राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ, राजस्थान शिक्षक संघ (एकीकृत), राजस्थान शिक्षक संघ (राधाकृष्णन) सहित कई संगठनों ने कहा है कि लोकतंत्र में आंदोलन करना कोई अपराध नहीं है। आंदोलन के चलते इस प्रकार निलंबन सरकार की तानाशाही को दर्शाता है। निलंबन तुरंत रद्द किया जाए।
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