सिटी रिपाेर्टर|अजमेर/मेड़ता सिटी
राजस्थान लाेक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2014 में ली गई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में 15 साल बाद भी प्रदेश के 2354 अभ्यर्थी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। मामला पदों के आरक्षण से जुड़ा है। इधर, आयोग में इस की फाइल लगभग बंद कर दी गई है।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर की ओर से वर्ष 2004 में तृतीय श्रेणी के 32 हजार 914 पदों पर के लिए यह भर्ती निकाली थी। यह भर्ती पहली बार आयोग की ओर से आयोजित की गई थी। चयनित बेरोजगार तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2004 संघर्ष समिति राजस्थान के मुकेश त्रिवेदी, डीडी चारण का आरोप है कि आयोग द्वारा मनमर्जी से आरक्षण प्रावधानों काे लागू करने में की गई गलती से पुरुषों के स्थान पर महिला अभ्यर्थी चयनित हाे गए। इस पर वंचित चयनित शिक्षक पहले राजस्थान हाईकोर्ट तथा बाद में सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए मगर 15 साल बीत जाने के बाद भी किसी भी सरकार ने कोर्ट के आदेश की पालना नहीं की।
ये था आरक्षण का मसला
इस भर्ती में दो तरह के आरक्षण थे। वर्टिकल औैर हाेरिजेंटल। हॉरिजेंटल आरक्षण के नियमों की पालना में आयोग ने अनदेखी की। इस आरक्षण में महिलाएं, दिव्यांग, पूर्व सैनिक व खिलाड़ी आते हैं जबकि वर्टीकल आरक्षण में एससी, एसटी व ओबीसी आदि आते हैं। अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग ने आरक्षण में अपनी मनमानी से 10 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाकर हॉरिजेंटल में 2354 महिलाओं को अधिक पोस्टिंग दे दी। ऐसे में 2354 महिलाएं अधिक नौकरी पा गई, जबकि इन पदों पर अधिक मेरिट वाले पुरुषों को नियुक्ति देनी चाहिए थी।
-केके शर्मा, सचिव, आरपीएससी
राजस्थान लाेक सेवा आयोग द्वारा वर्ष 2014 में ली गई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में 15 साल बाद भी प्रदेश के 2354 अभ्यर्थी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। मामला पदों के आरक्षण से जुड़ा है। इधर, आयोग में इस की फाइल लगभग बंद कर दी गई है।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर की ओर से वर्ष 2004 में तृतीय श्रेणी के 32 हजार 914 पदों पर के लिए यह भर्ती निकाली थी। यह भर्ती पहली बार आयोग की ओर से आयोजित की गई थी। चयनित बेरोजगार तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2004 संघर्ष समिति राजस्थान के मुकेश त्रिवेदी, डीडी चारण का आरोप है कि आयोग द्वारा मनमर्जी से आरक्षण प्रावधानों काे लागू करने में की गई गलती से पुरुषों के स्थान पर महिला अभ्यर्थी चयनित हाे गए। इस पर वंचित चयनित शिक्षक पहले राजस्थान हाईकोर्ट तथा बाद में सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए मगर 15 साल बीत जाने के बाद भी किसी भी सरकार ने कोर्ट के आदेश की पालना नहीं की।
ये था आरक्षण का मसला
इस भर्ती में दो तरह के आरक्षण थे। वर्टिकल औैर हाेरिजेंटल। हॉरिजेंटल आरक्षण के नियमों की पालना में आयोग ने अनदेखी की। इस आरक्षण में महिलाएं, दिव्यांग, पूर्व सैनिक व खिलाड़ी आते हैं जबकि वर्टीकल आरक्षण में एससी, एसटी व ओबीसी आदि आते हैं। अभ्यर्थियों का आरोप है कि आयोग ने आरक्षण में अपनी मनमानी से 10 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाकर हॉरिजेंटल में 2354 महिलाओं को अधिक पोस्टिंग दे दी। ऐसे में 2354 महिलाएं अधिक नौकरी पा गई, जबकि इन पदों पर अधिक मेरिट वाले पुरुषों को नियुक्ति देनी चाहिए थी।
-केके शर्मा, सचिव, आरपीएससी
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