राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) की ओर से ग्रेड सैकंड शिक्षक प्रतियोगी
परीक्षा 2018 का हिंदी का पेपर गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल होने की
सूचना से सनसनी फैल गई। परीक्षा खत्म होने से पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल
हिंदी का हूबहू पेपर मिला।
पेपर आउट होने की अफवाह से एकबारगी प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। इधर, अभ्यर्थियों ने परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए। मामले के तूल पकड़ने के बाद आरपीएससी चेयरमैन दीपक उप्रेती ने बाड़मेर कलेक्टर को जांच के आदेश दिए। देर रात प्रशासन की जांच रिपोर्ट में एक केंद्र से यह पेपर वाट्सएप पर वायरल किए जाने की पुष्टि हुई। इस पर अज्ञात लोगों के खिलाफ केंद्राधीक्षक ने मामला दर्ज कराया है।
जिला मुख्यालय पर गुरुवार को सुबह 9 बजे ग्रेड सैकंड शिक्षक प्रतियोगी परीक्षा 2018 का हिंदी के पेपर की परीक्षा शुरू हुई। करीब 10.30 बजे सोशल मीडिया पर हिंदी का पेपर वायरल होने की सूचना से हड़कंप मच गया। कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एडीएम राकेश कुमार को तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। 11.30 बजे परीक्षा खत्म होते ही पेपर आउट होने की सूचना मिलने पर अभ्यर्थियों ने आक्रोश जताते हुए आरपीएससी से हिंदी का पेपर दुबारा करवाने की मांग की है। इसके बाद सोशल मीडिया पर पेपर आउट को लेकर चर्चाएं जोरों पर रहीं। दोपहर 1 बजे आरपीएससी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए। देर रात प्रशासन ने पेपर वायरल होने की पुष्टि की।
ये सवाल जो परीक्षा की पारदर्शिता पर लगाते हैं सवालिया निशान
परीक्षा केंद्र से पेपर व्हाटसएप पर वायरल होने के गंभीर मामले में प्रशासन ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। परीक्षा केंद्र में लगे किसी वीक्षक के मोबाइल से ही पेपर के फोटो लिए गए।
1.
भास्कर पड़ताल
ग्रेड सैकंड शिक्षक प्रतियोगी परीक्षा का पेपर आउट होने के मामले की भास्कर पड़ताल में चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। प्रशासन ने परीक्षा के दौरान केंद्राधीक्षक व वीक्षकों पर भी मोबाइल लाने का प्रतिबंध लगाया था। बावजूद इसके परीक्षा में केंद्राधीक्षक ही नहीं वीक्षक भी पेपर लेकर पहुंचे। परीक्षा शुरू होने के एक घंटे बाद ही परीक्षा केंद्र में ही किसी ने केंद्राधीक्षक या वीक्षक के मोबाइल फोन से ही व्हाट्सएप पर पेपर भेजा और कुछ ही देर में वायरल भी हो गया। इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में हुआ है।
परीक्षा शुरू होने के डेढ़ घंटे बाद हिंदी का पेपर वायरल; देर रात जांच, केंद्र से ही आउट, दावा; किसी ने नहीं उठाया इसका फायदा, अज्ञात के खिलाफ एफआईआर
प्रशासन ने दावा किया है कि वायरल हुए पेपर से किसी को अनुचित लाभ नहीं मिला है। परीक्षा शुरू होते ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, अगर किसी को लाभ नहीं देना था तो पेपर वायरल क्यूं किया गया?
2.
परीक्षा केंद्र से ही आउट हुआ पेपर!
ग्रेड सैकंड शिक्षक प्रतियोगी परीक्षा का पेपर आउट होने के मामले की भास्कर पड़ताल में चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। प्रशासन ने परीक्षा के दौरान केंद्राधीक्षक व वीक्षकों पर भी मोबाइल लाने का प्रतिबंध लगाया था। बावजूद इसके परीक्षा में केंद्राधीक्षक ही नहीं वीक्षक भी पेपर लेकर पहुंचे। परीक्षा शुरू होने के एक घंटे बाद ही परीक्षा केंद्र में ही किसी ने केंद्राधीक्षक या वीक्षक के मोबाइल फोन से ही व्हाट्सएप पर पेपर भेजा और कुछ ही देर में वायरल भी हो गया। इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में हुआ है।
सबसे से बड़ा सवाल यह है कि परीक्षा केंद्र पर केंद्राधीक्षक व वीक्षक के लिए भी मोबाइल फोन पर प्रतिबंध है। ऐसे में केंद्र के अंदर से पेपर वायरल कैसे हुआ?
3.
ये सवाल जो जिम्मेदारों से मांगते हैं जवाब
न इंटरनेट बंद किया न जैमर लगाए: पेपर आउट होने की सबसे बड़ी वजह इंटरनेट रहा है। क्योंकि इस बार प्रशासन ने परीक्षा के दौरान इंटरनेट बंद करवाया नहीं केंद्रों पर जैमर लगाए। इतना ही नहीं केंद्राधीक्षक व वीक्षकों को मोबाइल साथ में ले जाने से रोका नहीं। इस मामले को पहले से गंभीरता से लिया जाता तो परीक्षा केंद्र से पेपर वायरल होने की नौबत नहीं आती।
नकल गिरोह से जुड़े हो सकते हैं तार: हिंदी का पेपर वायरल होने को लेकर परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। परीक्षा शुरू होने के बाद ही ओ सीरिज का पेपर वायरल हुआ। जानकारों का मनाना है कि किसी नकल गिरोह से जुड़े लोगों ने अभ्यर्थियों को नकल करवाने के लिए पेपर मंगवाया हो। गिरोह से जुड़े सदस्यों के बीच पेपर भेजा गया और इस दौरान पेपर वायरल हो गया।
4241 ने दी परीक्षा, 1005 रहे अनुपस्थित
ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 का गुरुवार को हिंदी का पेपर हुआ। 5246 के मुकाबले 4241 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। वहीं 1005 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। इसी तरह सैकंड पारी में 784 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। 173 अनुपस्थित रहे।
अभ्यर्थियों का आरोप: परीक्षा से पहले ही हिंदी का पेपर आउट हो गया था, लेकिन सोशल मीडिया पर बाद में वायरल किया गया। पेपर आउट होने से मेहनत करने वाले अभ्यर्थियों के साथ धोखा हुआ है। इस मामले की उच्च स्तर पर जांच कर परीक्षा रद्द कर दुबारा हिंदी का पेपर करवाया जाए। पेपर अाउट करने वाले जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
जांच में खुलासा: परीक्षा केंद्र से ही पेपर व्हाट्सएप पर वायरल हुआ, अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 का हिंदी का पेपर एक परीक्षा केंद्र से ही व्हाट्सएप पर वायरल होने का खुलासा हुआ है। प्रशासन ने देर रात दावा किया है कि इस पेपर से किसी को अनुचित लाभ नहीं मिला है। इस मामले को लेकर परीक्षा केंद्राधीक्षक ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। कलेक्टर शिव प्रसाद एम नकाते ने बताया कि सोशल मीडिया पर हिंदी का पेपर वायरल होने की सूचना मिलने पर प्रशासनिक स्तर पर सभी परीक्षा केंद्रों का सत्यापन कराया गया। सत्यापन के दौरान परीक्षा के उप समन्यवक एवं सांख्यिकी विभाग के सहायक निदेशक जसवंत गौड़ ने माधव महाविद्यालय बाड़मेर परीक्षा केन्द्र संख्या 05/0066 से दूरभाष पर अवगत कराया कि प्रश्न पत्र के प्राप्त फोटो की पृष्ठभूमि एवं आसपास की उपस्थिति इस केन्द्र के प्रबंधन कार्यालय के समीप के शौचालय से मिलान कर रही है। इस पर एडीएम राकेश कुमार, एएसपी रामेश्वर लाल मेघवाल मय पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचे। उप समन्यवक की ओर से बताए गए स्थल का मुआयना कर पुष्टि हुई। इस संबंध में केन्द्राधीक्षक लक्ष्मी नारायण सोनी ने अज्ञात लोगों के खिलाफ थानाधिकारी को प्रथम सूचना रिपोर्ट दी। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि इस परीक्षा के निर्धारित समय पर आरंभ होने के बाद किसी अभ्यर्थी अथवा केन्द्र पर मौजूद किसी व्यक्ति ने शौचालय में जाकर किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से प्रश्न पत्र के फोटो अनधिकृत रूप से लेकर प्रसारित किए। कलेक्टर का दावा है कि कि प्रश्न पत्र परीक्षा प्रारंभ होने से पहले सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं हुआ है तथा परीक्षा की निर्धारित गोपनीयता भंग नहीं हुई है।
पेपर आउट होने की अफवाह से एकबारगी प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। इधर, अभ्यर्थियों ने परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए। मामले के तूल पकड़ने के बाद आरपीएससी चेयरमैन दीपक उप्रेती ने बाड़मेर कलेक्टर को जांच के आदेश दिए। देर रात प्रशासन की जांच रिपोर्ट में एक केंद्र से यह पेपर वाट्सएप पर वायरल किए जाने की पुष्टि हुई। इस पर अज्ञात लोगों के खिलाफ केंद्राधीक्षक ने मामला दर्ज कराया है।
जिला मुख्यालय पर गुरुवार को सुबह 9 बजे ग्रेड सैकंड शिक्षक प्रतियोगी परीक्षा 2018 का हिंदी के पेपर की परीक्षा शुरू हुई। करीब 10.30 बजे सोशल मीडिया पर हिंदी का पेपर वायरल होने की सूचना से हड़कंप मच गया। कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एडीएम राकेश कुमार को तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए। 11.30 बजे परीक्षा खत्म होते ही पेपर आउट होने की सूचना मिलने पर अभ्यर्थियों ने आक्रोश जताते हुए आरपीएससी से हिंदी का पेपर दुबारा करवाने की मांग की है। इसके बाद सोशल मीडिया पर पेपर आउट को लेकर चर्चाएं जोरों पर रहीं। दोपहर 1 बजे आरपीएससी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए। देर रात प्रशासन ने पेपर वायरल होने की पुष्टि की।
ये सवाल जो परीक्षा की पारदर्शिता पर लगाते हैं सवालिया निशान
परीक्षा केंद्र से पेपर व्हाटसएप पर वायरल होने के गंभीर मामले में प्रशासन ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। परीक्षा केंद्र में लगे किसी वीक्षक के मोबाइल से ही पेपर के फोटो लिए गए।
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भास्कर पड़ताल
ग्रेड सैकंड शिक्षक प्रतियोगी परीक्षा का पेपर आउट होने के मामले की भास्कर पड़ताल में चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। प्रशासन ने परीक्षा के दौरान केंद्राधीक्षक व वीक्षकों पर भी मोबाइल लाने का प्रतिबंध लगाया था। बावजूद इसके परीक्षा में केंद्राधीक्षक ही नहीं वीक्षक भी पेपर लेकर पहुंचे। परीक्षा शुरू होने के एक घंटे बाद ही परीक्षा केंद्र में ही किसी ने केंद्राधीक्षक या वीक्षक के मोबाइल फोन से ही व्हाट्सएप पर पेपर भेजा और कुछ ही देर में वायरल भी हो गया। इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में हुआ है।
परीक्षा शुरू होने के डेढ़ घंटे बाद हिंदी का पेपर वायरल; देर रात जांच, केंद्र से ही आउट, दावा; किसी ने नहीं उठाया इसका फायदा, अज्ञात के खिलाफ एफआईआर
प्रशासन ने दावा किया है कि वायरल हुए पेपर से किसी को अनुचित लाभ नहीं मिला है। परीक्षा शुरू होते ही पेपर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, अगर किसी को लाभ नहीं देना था तो पेपर वायरल क्यूं किया गया?
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परीक्षा केंद्र से ही आउट हुआ पेपर!
ग्रेड सैकंड शिक्षक प्रतियोगी परीक्षा का पेपर आउट होने के मामले की भास्कर पड़ताल में चौंकाने वाली हकीकत सामने आई है। प्रशासन ने परीक्षा के दौरान केंद्राधीक्षक व वीक्षकों पर भी मोबाइल लाने का प्रतिबंध लगाया था। बावजूद इसके परीक्षा में केंद्राधीक्षक ही नहीं वीक्षक भी पेपर लेकर पहुंचे। परीक्षा शुरू होने के एक घंटे बाद ही परीक्षा केंद्र में ही किसी ने केंद्राधीक्षक या वीक्षक के मोबाइल फोन से ही व्हाट्सएप पर पेपर भेजा और कुछ ही देर में वायरल भी हो गया। इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में हुआ है।
सबसे से बड़ा सवाल यह है कि परीक्षा केंद्र पर केंद्राधीक्षक व वीक्षक के लिए भी मोबाइल फोन पर प्रतिबंध है। ऐसे में केंद्र के अंदर से पेपर वायरल कैसे हुआ?
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ये सवाल जो जिम्मेदारों से मांगते हैं जवाब
न इंटरनेट बंद किया न जैमर लगाए: पेपर आउट होने की सबसे बड़ी वजह इंटरनेट रहा है। क्योंकि इस बार प्रशासन ने परीक्षा के दौरान इंटरनेट बंद करवाया नहीं केंद्रों पर जैमर लगाए। इतना ही नहीं केंद्राधीक्षक व वीक्षकों को मोबाइल साथ में ले जाने से रोका नहीं। इस मामले को पहले से गंभीरता से लिया जाता तो परीक्षा केंद्र से पेपर वायरल होने की नौबत नहीं आती।
नकल गिरोह से जुड़े हो सकते हैं तार: हिंदी का पेपर वायरल होने को लेकर परीक्षा की पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। परीक्षा शुरू होने के बाद ही ओ सीरिज का पेपर वायरल हुआ। जानकारों का मनाना है कि किसी नकल गिरोह से जुड़े लोगों ने अभ्यर्थियों को नकल करवाने के लिए पेपर मंगवाया हो। गिरोह से जुड़े सदस्यों के बीच पेपर भेजा गया और इस दौरान पेपर वायरल हो गया।
4241 ने दी परीक्षा, 1005 रहे अनुपस्थित
ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 का गुरुवार को हिंदी का पेपर हुआ। 5246 के मुकाबले 4241 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। वहीं 1005 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। इसी तरह सैकंड पारी में 784 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। 173 अनुपस्थित रहे।
अभ्यर्थियों का आरोप: परीक्षा से पहले ही हिंदी का पेपर आउट हो गया था, लेकिन सोशल मीडिया पर बाद में वायरल किया गया। पेपर आउट होने से मेहनत करने वाले अभ्यर्थियों के साथ धोखा हुआ है। इस मामले की उच्च स्तर पर जांच कर परीक्षा रद्द कर दुबारा हिंदी का पेपर करवाया जाए। पेपर अाउट करने वाले जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
जांच में खुलासा: परीक्षा केंद्र से ही पेपर व्हाट्सएप पर वायरल हुआ, अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
ग्रेड सैकंड शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 का हिंदी का पेपर एक परीक्षा केंद्र से ही व्हाट्सएप पर वायरल होने का खुलासा हुआ है। प्रशासन ने देर रात दावा किया है कि इस पेपर से किसी को अनुचित लाभ नहीं मिला है। इस मामले को लेकर परीक्षा केंद्राधीक्षक ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। कलेक्टर शिव प्रसाद एम नकाते ने बताया कि सोशल मीडिया पर हिंदी का पेपर वायरल होने की सूचना मिलने पर प्रशासनिक स्तर पर सभी परीक्षा केंद्रों का सत्यापन कराया गया। सत्यापन के दौरान परीक्षा के उप समन्यवक एवं सांख्यिकी विभाग के सहायक निदेशक जसवंत गौड़ ने माधव महाविद्यालय बाड़मेर परीक्षा केन्द्र संख्या 05/0066 से दूरभाष पर अवगत कराया कि प्रश्न पत्र के प्राप्त फोटो की पृष्ठभूमि एवं आसपास की उपस्थिति इस केन्द्र के प्रबंधन कार्यालय के समीप के शौचालय से मिलान कर रही है। इस पर एडीएम राकेश कुमार, एएसपी रामेश्वर लाल मेघवाल मय पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचे। उप समन्यवक की ओर से बताए गए स्थल का मुआयना कर पुष्टि हुई। इस संबंध में केन्द्राधीक्षक लक्ष्मी नारायण सोनी ने अज्ञात लोगों के खिलाफ थानाधिकारी को प्रथम सूचना रिपोर्ट दी। उन्होंने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि इस परीक्षा के निर्धारित समय पर आरंभ होने के बाद किसी अभ्यर्थी अथवा केन्द्र पर मौजूद किसी व्यक्ति ने शौचालय में जाकर किसी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से प्रश्न पत्र के फोटो अनधिकृत रूप से लेकर प्रसारित किए। कलेक्टर का दावा है कि कि प्रश्न पत्र परीक्षा प्रारंभ होने से पहले सार्वजनिक रूप से उजागर नहीं हुआ है तथा परीक्षा की निर्धारित गोपनीयता भंग नहीं हुई है।
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