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MPPSC की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में बढ़े 454 पद, रिजर्वेशन रोस्टर भी बदला, 3422 पदों पर होनी है भर्ती

भोपाल. मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसरों के खाली पदों को भरने के लिए शुरू की जा रही भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। इस बार विवाद आयोग द्वारा कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया में शामिल किए गए पदों के रिजर्वेशन रोस्टर को लेकर है। असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों ने आयोग द्वारा रिजर्वेशन रोस्टर में किए गए बदलाव के खिलाफ प्रदर्शन करने की तैयारी कर ली है।

-असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा का फार्म भर रहे उम्मीदवारों ने बताया कि 12 दिसंबर 2017 को एमपी पीएससी ने 2968 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें सैन्य विज्ञान विषय के 10 पद थे। इनमें से 3 पद अनारक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित थे। लेकिन, अप्रैल 2018 में जारी संशोधित विज्ञापन में सैन्य विज्ञान विषय का एक भी पद अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवार के लिए आरक्षित नहीं किया गया है।
-इसी तरह कामर्स विषय में पदों की संख्या क्रम से बदल दी गई है। इसके चलते बैकलॉग के अंतर्गत एससी वर्ग में एक भी पद नहीं है। एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित पदों की संख्या घटकर 37 और ओबीसी के लिए बढ़ाकर 53 कर दी गई है। जबकि फिजिक्स विषय में एससी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित 27 पदों को घटाकर 2 कर दिया गया है। उम्मीदवारों के मुताबिक यह स्थिति तब है जबकि अप्रैल 2018 में आयोग द्वारा जारी भर्ती विज्ञापन में पदों की संख्या 2968 से बढ़ाकर 3422 की गई है।
परीक्षा की तारीख नहीं की गई घोषित...
-आयोग द्वारा जारी भर्ती परीक्षा कार्यक्रम के अनुसार उम्मीदवार 30 अप्रैल तक आवेदन कर सकेंगे। लेकिन, आयोग ने परीक्षा की तारीख घोषित नहीं की जा रही है। इसलिए उम्मीदवार अभी भी आयोग की मंशा पर सवाल खड़े कर रहे हैं । क्योंकि हर बार आवेदन बुलाने के बाद भी परीक्षा नहीं हो पा रही है। वहीं आयोग भी परीक्षा की तारीख घोषित नहीं करता।
असिस्टेंट प्रोफेसर्स के खाली पदों को संविदा से भरने पर असमंजस
-उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर्स के खाली पदों को संविदा से भरने की तैयारी भी की जा रही है। इस कारण भी आयोग की असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा को लेकर उम्मीदवार परेशान हैं।अतिथि विद्वान संघ के अध्यक्ष डॉ.देवराज सिंह का कहना है कि इस बार भी गड़बड़ी सामने आ रही है। यदि बदलाव सही किए गए हैं तो पीएससी को स्पष्टीकरण जारी कर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

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