जेएनवीयू की ओर से करीब छह माह पूर्व शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए बनाए रोस्टर का विरोध शुरू हुआ तो विश्वविद्यालय ने इस रोस्टर को अनुमोदन के लिए राज्य सरकार के पास भेज दिया। राज्य सरकार ने रोस्टर में कुछ बदलाव करने को कहा, जिसपर विश्वविद्यालय ने विज्ञापन जारी कर दिया। वहीं दो विधायक सदस्यों ने रोस्टर में कमियां बताते हुए भर्ती का विरोध जताया। इस पर अब ने सरकार ने दोनों विधायकों की आपत्ति पर भर्ती प्रक्रिया की जांच ले लिए कमेटी बिठाते हुए, जांच पूरी नहीं होने तक भर्ती रोकने के आदेश जारी कर दिए।
अब तक पूरी हुई यह प्रक्रिया
जेएनवीयू में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की शिक्षक भर्ती को लेकर सरकार ने दोहरा रुख अपना लिया है। जेएनवीयू की ओर से शिक्षकों के 62 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी। इसमें आवेदन के बाद स्क्रूटनिंग हुई तथा एकेडमिक रिकॉर्ड के आधार पर 50 में से अंक दिए गए। इसके बाद 25 अंकों की लिखित परीक्षा करवाई और दो विषयों में साक्षात्कार कर भर्ती भी कर ली। सभी विभागों में से 6 विभागों के परिणाम निकाले गए थे, जिसमें से 4 में साक्षात्कार अभी भी बाकी है।
भास्कर में 10 अप्रैल को प्रकाशित
दो सिंडीकेट सदस्यों ने जताया था विरोध
शिक्षकों की भर्ती को लेकर पहले कुछ एससी- एसटी संगठन और इसके बाद फरवरी में दो विधायक सिंडीकेट सदस्य पब्बाराम विश्नोई व अर्जुन लाल गर्ग ने भी रोस्टर को लेकर आपत्ति जताई। उनके साथ तत्कालीन सिंडीकेट सदस्य प्रो. एके गुप्ता व कैलाश भसीन ने भी विरोध दर्ज करवाया।
विरोध करने वाले सदस्यों को बदला
भर्ती प्रक्रिया को लेकर फरवरी माह में चार सिंडीकेट सदस्यों ने विरोध दर्ज करवाया था। जिसमें से एक कुलपति नामित सदस्य प्रो. अनिल कुमार गुप्ता तथा दूसरे राज्यपाल नामित सदस्य डॉ. कैलाश भसीन थे। दोनों सदस्यों को बदल दिया गया, जिसमें विश्वविद्यालय ने प्रो. गुप्ता की जगह प्रो. रवि सक्सेना व राजभवन ने डॉ. भसीन की जगह डॉ. भरत सिहं को सिंडीकेट सदस्य बनाया।
जेएनवीयू शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को जांच तक रोकने के निर्देश मिले है। इस संबंध में कुलपति प्रो. आरपी सिंह को अवगत करवा दिया गया है। राज्य सरकार से मिले आदेशों की पालना होगी।
प्रो. पीके शर्मा, कुलसचिव, जेएनवीयू
एडि. कमिश्नर वंदना सिंघवी को चार्ज
राज्य सरकार ने जेएनवीयू में शिकायतों के चलते शिक्षक भर्ती रद्द करने के साथ कुलसचिव को भी हटा दिया है। पिछले लंबे समय से प्रोफेसर पीके शर्मा ने कुलसचिव के रूप में कार्यभार संभाल रखा था, मंगलवार को राज्य सरकार ने आदेश जारी कर उन्हें पद से हटा दिया। प्रो. शर्मा की नियुक्ति पर भी सिंडीकेट के विधायक सदस्यों व अन्य सिंडीकेट सदस्यों ने सवाल उठाए थे। उनके स्थान पर अतिरिक्त संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी को चार्ज दिया गया है। उन्हें अतिरिक्त संभागीय आयुक्त के साथ कुलसचिव का कार्य भी देखना होगा। विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्ती रूकने के साथ यह दूसरा झटका है। प्रो. शर्मा कुलसचिव के रूप में लंबे समय से कार्य कर रहे थे, उनकी नियुक्ति पर सिंडीकेट में सवाल उठाए गए थे। सिंडीकेट में सवाल उठने पर कुलपति प्रो. आरपी सिंह ने कहा था, कि उनकी नियुक्ति सरकार की स्वीकृति से की गई है। इसके बाद फरवरी माह में विश्वविद्यालय के विधायक सदस्य पब्बाराम विश्नोई व अर्जुनलाल गर्ग ने उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए और सरकार से शिकायत करते हुए इन्हें हटाने की मांग भी की थी। शिक्षक भर्ती के खिलाफ हरकत में आई सरकार ने हाथों हाथ रजिस्ट्रार को भी हटाने का निर्णय लिया है। कार्मिक विभाग के संयुक्त सचिव अरविंद कुमार पोसवाल ने आदेश जारी कर प्रो. पीके शर्मा को हटाकर अतिरिक्त संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी को चार्ज दे दिया है।
No comments:
Post a Comment