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Thursday 26 April 2018

जिले के 554 शिक्षकों ने मांगा ट्रांसफर 30% दूरी से तो 15% नेताओं से परेशान

भास्कर संवाददाता | डूंगरपुर जिले के प्रारंभिक और माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत 554 शिक्षकों ने तबादले के लिए अर्जी दी है। ये अर्जी आवेदन के रूप में है तो ऑनलाइन भी है। साथ ही 100 से ज्यादा शिक्षक ऐसे हंै, जिन्होंने विधायक और राज्यमंत्री के खासमखास लोगों के माध्यम से जुगाड़ बनाना शुरू कर दिया है।
दरअसल एक माह पहले ही तबादलों पर बैन हटने के बाद शिक्षा विभाग की ओर से आवेदन करने की अंतिम तिथि 20 अप्रैल तय की थी। चार दिन पहले ही अंतिम तिथि निकल चुकी है, और जिन शिक्षकों ने विभाग से तबादला मांगा है, उनके द्वारा आवेदन भी कर लिए गए हंै, लेकिन खास बात तो यह है कि ये आवेदन विभाग को दिए है, जबकि इन्हीं के द्वारा विधायकों की डिजायर तैयार कराकर आवेदन पत्रों के साथ भी लगाई है तो शिक्षा संकुल जयपुर में भी एक-एक प्रति दी गई है। विभागीय सूत्रों के अनुसार कुछ शिक्षक ऐसे भी हैं, जिन्होंने सीधे ही शिक्षामंत्री के कार्यालय में भी अलग से डिजायर लगा दी है।

5 कारण, जिस वजह से चाह रहे तबादला

1. निवास से स्कूल की दूरी 40 किमी से ज्यादा - ट्रांसफर के लिए आवेदन करने वाले 30 फीसदी शिक्षक ऐसे है, जिनकी स्कूल अपने निवास से करीब 40 किमी से दूर है। ये शिक्षक चाहते हैं कि पास की स्कूलों में तबादला हो जाए, ताकि आने-जाने में दिक्कत नहीं रहे।

2. स्थानीय सरपंच और नेताओं से परेशान - करीब 15 फीसदी शिक्षक ऐसे भी है जो स्थानीय नेताओं और सरपंचों से परेशान हैं। इस परेशानी के कारण वह अपना तबादला चाहते है। एक शिक्षक ने बताया कि वह प्राथमिक स्कूल में है और हररोज सरपंच साहब आ जाते है।

3. दूसरे जिलों के हैं, यहां कार्यरत - बाकी 10 प्रतिशत ऐसे भी शिक्षक है जो दूसरे जिलों से यहां पर कार्यरत हंै। वह अपने अपने जिले में जाना चाहते है, इसलिए यहां से लेकर जयपुर लेवल तक अपना जुगाड़ बैठा रहे हैं, ताकि वह अपने जिले में चले जाएं।

4. बाकी सभी अपनी स्वेच्छा से - आवेदन करने वालों में 35 फीसदी ऐसे भी शिक्षक हैं जो अपने व्यक्तिगत कारणों से तबादला चाहते हैं। जैसे किसी से एक ही स्कूल में 10 साल हो गए। किसी की प|ी दूसरी स्कूल में है। इन कारणों वाले शिक्षकों की संख्या ज्यादा है।

5. नेताओं की नापसंद वाले शिक्षक - एक अंतिम कारण यह भी है कि कुछ स्थानीय नेताओं की नापसंद वाले शिक्षक भी है। जिन्हें सरपंच से लेकर विधायक तक पसंद नहीं करते हैं। जिन्हें नेता हटाना चाहते है। ऐसे नाम विधायकों और नेताओं की लिस्ट में प्राथमिकता से लिखे जाने की सूचना है।

नीति बनाकर ही होने चाहिए तबादले : सेवानिवृत्त उपनिदेशक गणेशलाल निनामा ने बताया कि वैसे नियमानुसार नीति तैयार कर के ही तबादले होने चाहिए, क्योंकि इस तरह के तबादलों में नेताओं की ज्यादा चलेगी और हकीकत विभाग की न के बराबर चलेगी। ऐसे में कई शिक्षक बेवजह परेशान होंगे, जबकि सरकार ने तीन साल पहले ही नीति बनाने की घोषणा की थी।

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