जयपुर। तृतीय
श्रेणी शिक्षक भर्ती (लेवल 2) की नियुक्ति के लिए रीट के प्राप्तांकों के
आधार पर मैरिट तैयार करने की शर्त को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। कोर्ट
ने नए सिरे से विज्ञापन जारी करने और विषय विशेष में नियुक्ति के लिए वैध
मानदंड तय करने के आदेश दिए हैं।
आदेश में यह भी कहा कि यह प्रक्रिया चार माह में पूरी हो। जो पहले आवेदन कर चुके उन्हें दुबारा आवेदन नहीं करना होग। इस बीच पात्रता प्राप्त करने वाले भी विचार के योग्य होंगे।
कोर्ट ने यह आदेश शेरसिंह व अन्य की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिए। नियुक्ति के लिए रीट-2015, आरटैट 2012 या 2011 में प्राप्त अंकों के आधार पर मैरिट तैयार होनी थी। लेवल-2 में अंग्रेजी विषय के शिक्षकों के सबसे ज्यादा 4940 पद थे।
याचिका में रीट के प्राप्तांकों के आधार पर नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा कि स्नातक अंग्रेजी अनिवार्य विषय के रुप में और फिर रीट में अंग्रेजी विषय लेने वाले ही लेवल-2 में नियुक्ति पात्र हैं।
कोर्ट ने इसे सही माना, लेकिन साथ में बीएड में अंग्रेजी होने की शर्त भी जोड़ दी और कहा कि रीट में अंग्रेजी नहीं लेने वालों को अपात्र माना था। एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ ही खंडपीठ में अपील की गई थी।
खंडपीठ ने कहा कि रीट के अंकों के आधार पर मैरिट तैयार करने की शर्त गलत है। इससे विषय विशेष के शिक्षक नियुक्त करने उद्वेश्य पूरा नहीं होता लेकिन मैरिट के मानदंड तय करने का अधिकार सरकार का है ना कि कोर्ट का। मैरिट बनाने के आधार देकर एकलपीठ ने अदालती क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है।
केवल रीट के प्राप्तांक के आधार पर मैरिट तैयार करने से उलझन हो गई है। क्योंकि रीट में ज्यादा अंकों के आधार पर अभ्यर्थी उस विषय का शिक्षक बन जाएगा जिसकी उसने पढ़ाई ही नहीं की थी। ऐसी शर्त गलत है और रद्द करने योग्य है।
परिणाम के दिन तक अर्हता हासिल करने वाले पात्र
हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती-2012 के लिए परीक्षा परिणाम जारी होने तक न्यूनतम अर्हता हासिल करने वालों को पात्र माना है। अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि इसके आधार पर आगामी कार्रवाई करे। न्यायाधीश केएस आहलुवालिया ने रवि प्रकाश की याचिका पर यह आदेश दिया।
याचिका में बताया कि सरकार ने भर्ती विज्ञापन जारी कर परीक्षा परिणाम जारी होने की तिथि तक न्यूनतम अर्हता रखने वालों को पात्र माना। वहीं अदालती आदेश से जारी संशोधित परिणाम के बाद राज्य सरकार ने अलग से आदेश जारी कर अर्हता हासिल करने की तिथि आवेदन की अंतिम तिथि तक ही सीमित कर दी। जिसके चलते पहले परिणाम से नियुक्ति हुए अभ्यर्थियों की नियुक्तियां खतरे में आ गई। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने परीक्षा परिणाम जारी होने के दिन तक न्यूनतम अर्हता रखने वालों को पात्र माना है।
आदेश में यह भी कहा कि यह प्रक्रिया चार माह में पूरी हो। जो पहले आवेदन कर चुके उन्हें दुबारा आवेदन नहीं करना होग। इस बीच पात्रता प्राप्त करने वाले भी विचार के योग्य होंगे।
कोर्ट ने यह आदेश शेरसिंह व अन्य की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिए। नियुक्ति के लिए रीट-2015, आरटैट 2012 या 2011 में प्राप्त अंकों के आधार पर मैरिट तैयार होनी थी। लेवल-2 में अंग्रेजी विषय के शिक्षकों के सबसे ज्यादा 4940 पद थे।
याचिका में रीट के प्राप्तांकों के आधार पर नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा कि स्नातक अंग्रेजी अनिवार्य विषय के रुप में और फिर रीट में अंग्रेजी विषय लेने वाले ही लेवल-2 में नियुक्ति पात्र हैं।
कोर्ट ने इसे सही माना, लेकिन साथ में बीएड में अंग्रेजी होने की शर्त भी जोड़ दी और कहा कि रीट में अंग्रेजी नहीं लेने वालों को अपात्र माना था। एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ ही खंडपीठ में अपील की गई थी।
खंडपीठ ने कहा कि रीट के अंकों के आधार पर मैरिट तैयार करने की शर्त गलत है। इससे विषय विशेष के शिक्षक नियुक्त करने उद्वेश्य पूरा नहीं होता लेकिन मैरिट के मानदंड तय करने का अधिकार सरकार का है ना कि कोर्ट का। मैरिट बनाने के आधार देकर एकलपीठ ने अदालती क्षेत्राधिकार का उल्लंघन किया है।
केवल रीट के प्राप्तांक के आधार पर मैरिट तैयार करने से उलझन हो गई है। क्योंकि रीट में ज्यादा अंकों के आधार पर अभ्यर्थी उस विषय का शिक्षक बन जाएगा जिसकी उसने पढ़ाई ही नहीं की थी। ऐसी शर्त गलत है और रद्द करने योग्य है।
परिणाम के दिन तक अर्हता हासिल करने वाले पात्र
हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती-2012 के लिए परीक्षा परिणाम जारी होने तक न्यूनतम अर्हता हासिल करने वालों को पात्र माना है। अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि इसके आधार पर आगामी कार्रवाई करे। न्यायाधीश केएस आहलुवालिया ने रवि प्रकाश की याचिका पर यह आदेश दिया।
याचिका में बताया कि सरकार ने भर्ती विज्ञापन जारी कर परीक्षा परिणाम जारी होने की तिथि तक न्यूनतम अर्हता रखने वालों को पात्र माना। वहीं अदालती आदेश से जारी संशोधित परिणाम के बाद राज्य सरकार ने अलग से आदेश जारी कर अर्हता हासिल करने की तिथि आवेदन की अंतिम तिथि तक ही सीमित कर दी। जिसके चलते पहले परिणाम से नियुक्ति हुए अभ्यर्थियों की नियुक्तियां खतरे में आ गई। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने परीक्षा परिणाम जारी होने के दिन तक न्यूनतम अर्हता रखने वालों को पात्र माना है।
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