कस्तूरबागांधी आवासीय बालिका विद्यालय में कार्यरत टीचर कम वार्डन को हर
महीने 25 हजार रुपए तनख्वाह पेटे मिलने चाहिए और केंद्र सरकार उसी हिसाब से
बजट भी भेज रही है, लेकिन राज्य सरकार महज नौ हजार देकर काम चला रही है।
इनकी नियुक्ति भी प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से दी जा रही है, जिसमें साढ़े दस महीने ही काम कराया जाता है, जबकि डेढ़ महीने की जबरन सर्विस ब्रेक कर ली जाती है। इन सब विसंगतियों को लेकर लेडी वार्डन ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए प्रारंभिक शिक्षा विभाग के सचिव को व्यक्तिगत रूप से 18 अप्रैल को तलब किया है।
बालेसर कस्तूरबा गांधी स्कूल में कार्यरत याचिकाकर्ता मुरली चौधरी की ओर से अधिवक्ता सुकेश भाटी ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि एकलपीठ ने अपने आदेश में एसएसए कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय प्रोजेक्ट का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट मानते हुए इनमें होने वाली नियुक्तियों को प्लेसमेंट एजेंसी को सुपुर्द करने पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने प्लेसमेंट एजेंसी की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार के स्तर पर किसी तरह की गाइडलाइन नहीं बनाने तथा प्लसमेंट एजेंसी को कॉन्ट्रेक्ट देने को असंवैधानिक माना था। यह भी कहा था कि इनमें कार्यरत कर्मचारी प्लेसमेंट एजेंसी के कर्मचारी नहीं माने जाएंगे। एकलपीठ के इस आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार ने खंडपीठ में अपील की थी, जिसे खारिज करते हुए इस आदेश को बरकरार रखा था। अधिवक्ता भाटी ने कोर्ट से कहा कि खंडपीठ के आदेश के बाद याचिकाकर्ता सहित अन्य कर्मचारियों को सीधे विभाग ने कॉन्ट्रेक्ट किया, लेकिन हाल में फिर से प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए नियुक्ति शुरू कर दी, जो कोर्ट आदेशों की अवहेलना है।
जस्टिस निर्मलजीत कौर ने 18 अप्रैल को अगली सुनवाई पर प्रारंभिक शिक्षा विभाग के सचिव को तलब किया है तथा 25 अगस्त 2010 को कोर्ट के निर्देशों की पालना के बारे में पूछा है।
इनकी नियुक्ति भी प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से दी जा रही है, जिसमें साढ़े दस महीने ही काम कराया जाता है, जबकि डेढ़ महीने की जबरन सर्विस ब्रेक कर ली जाती है। इन सब विसंगतियों को लेकर लेडी वार्डन ने राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए प्रारंभिक शिक्षा विभाग के सचिव को व्यक्तिगत रूप से 18 अप्रैल को तलब किया है।
बालेसर कस्तूरबा गांधी स्कूल में कार्यरत याचिकाकर्ता मुरली चौधरी की ओर से अधिवक्ता सुकेश भाटी ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि एकलपीठ ने अपने आदेश में एसएसए कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय प्रोजेक्ट का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट मानते हुए इनमें होने वाली नियुक्तियों को प्लेसमेंट एजेंसी को सुपुर्द करने पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने प्लेसमेंट एजेंसी की नियुक्ति के लिए राज्य सरकार के स्तर पर किसी तरह की गाइडलाइन नहीं बनाने तथा प्लसमेंट एजेंसी को कॉन्ट्रेक्ट देने को असंवैधानिक माना था। यह भी कहा था कि इनमें कार्यरत कर्मचारी प्लेसमेंट एजेंसी के कर्मचारी नहीं माने जाएंगे। एकलपीठ के इस आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार ने खंडपीठ में अपील की थी, जिसे खारिज करते हुए इस आदेश को बरकरार रखा था। अधिवक्ता भाटी ने कोर्ट से कहा कि खंडपीठ के आदेश के बाद याचिकाकर्ता सहित अन्य कर्मचारियों को सीधे विभाग ने कॉन्ट्रेक्ट किया, लेकिन हाल में फिर से प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए नियुक्ति शुरू कर दी, जो कोर्ट आदेशों की अवहेलना है।
जस्टिस निर्मलजीत कौर ने 18 अप्रैल को अगली सुनवाई पर प्रारंभिक शिक्षा विभाग के सचिव को तलब किया है तथा 25 अगस्त 2010 को कोर्ट के निर्देशों की पालना के बारे में पूछा है।
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