जयपुर, 10 मार्च। आगामी 28 अप्रेल को अक्षय तृतीया एवं 10 मई को पीपल पूर्णिमा पर्व पर संभावित बाल विवाह को रोकने व बाल विवाह करने वालों के विरुद्ध बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
बाल विवाह के प्रभावी रोकथाम के लिए जिला ब्लॉक व जिला स्तर पर गठित विभिन्न सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय करना, ऎसे व्यक्ति व समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी हलवाई, बैण्डबाजा, पंडित, बाराती, पाण्डाल व टेन्ट लगाने वाले, ट्रांसपोर्ट इत्यादि पर बाल विवाह में सहयोग करने का आश्वासन लेना और उन्हें कानून की जानकारी देना, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ चेतना बैठकाेंं का आयोजन करना, ग्रामसभाआेंं में सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा करना व रोकथाम की कार्यवाही करना, किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों व विभिन्न विभागों के कार्यकर्ताओं में स्वास्थ्य, वन, कृषि, समाज कल्याण, प्राथमिक शिक्षा विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर बैठक आयोजित करने, विवाह के लिए छपने वाले निमंत्रण पत्र में वर की आयु 21 वर्ष व वधु की 18 वर्ष की आयु का प्रमाण प्रिंटिंग प्रेस वालों के पास होने व उक्त आयु प्रिंट करने आदि महत्वपूर्ण बिन्दुओं को कार्ययोजना मेंं शामिल किये जाने के आदेश दिये गये हैं।
प्रमुख शासन सचिव ने समस्त जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षकाेंं को निर्देशित किया है कि वे इन दोनों पर्वों पर बाल विवाहों की रोकथाम के संबंध में अपने-अपने क्षेत्र में बाल विवाहों की रोकथाम के संबंध मेंं अपने-अपने क्षेत्र में बाल विवाह रोकने की समुचित कार्यवाही करने तथा सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह प्रतिषध अधिनियम, 2006 के तहत कानूनी कार्यवाही करने, अक्षय तृतीया एक माह पूर्व जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं उपखंड कार्यालय में 24 घंटे क्रियाशील कन्ट्रोल रूम स्थापित करने के निर्देश दिये हैं।
इसके अलावा उन्होेंने बाल विवाहों के आयोजना किये जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 6 की धारा 16 के तहत नियुक्त ’’बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों’’ (उपखंड मजिस्टेट्स) की जवाबदेही नियत करते हुए जिनके क्षेत्र में बाल विवाह सम्पन्न होेने की स्थिति में उनके विरुद्ध जिला कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकाेंं को अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश भी दिये हैं।
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बाल विवाह के प्रभावी रोकथाम के लिए जिला ब्लॉक व जिला स्तर पर गठित विभिन्न सहायता समूह, महिला समूह, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, साथिन, सहयोगिनी के कोर ग्रुप को सक्रिय करना, ऎसे व्यक्ति व समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी हलवाई, बैण्डबाजा, पंडित, बाराती, पाण्डाल व टेन्ट लगाने वाले, ट्रांसपोर्ट इत्यादि पर बाल विवाह में सहयोग करने का आश्वासन लेना और उन्हें कानून की जानकारी देना, निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के साथ चेतना बैठकाेंं का आयोजन करना, ग्रामसभाआेंं में सामूहिक रूप से बाल विवाह के दुष्प्रभावों की चर्चा करना व रोकथाम की कार्यवाही करना, किशोरियों, महिला समूहों, स्वयं सहायता समूहों व विभिन्न विभागों के कार्यकर्ताओं में स्वास्थ्य, वन, कृषि, समाज कल्याण, प्राथमिक शिक्षा विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर बैठक आयोजित करने, विवाह के लिए छपने वाले निमंत्रण पत्र में वर की आयु 21 वर्ष व वधु की 18 वर्ष की आयु का प्रमाण प्रिंटिंग प्रेस वालों के पास होने व उक्त आयु प्रिंट करने आदि महत्वपूर्ण बिन्दुओं को कार्ययोजना मेंं शामिल किये जाने के आदेश दिये गये हैं।
प्रमुख शासन सचिव ने समस्त जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षकाेंं को निर्देशित किया है कि वे इन दोनों पर्वों पर बाल विवाहों की रोकथाम के संबंध में अपने-अपने क्षेत्र में बाल विवाहों की रोकथाम के संबंध मेंं अपने-अपने क्षेत्र में बाल विवाह रोकने की समुचित कार्यवाही करने तथा सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह प्रतिषध अधिनियम, 2006 के तहत कानूनी कार्यवाही करने, अक्षय तृतीया एक माह पूर्व जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं उपखंड कार्यालय में 24 घंटे क्रियाशील कन्ट्रोल रूम स्थापित करने के निर्देश दिये हैं।
इसके अलावा उन्होेंने बाल विवाहों के आयोजना किये जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा 6 की धारा 16 के तहत नियुक्त ’’बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों’’ (उपखंड मजिस्टेट्स) की जवाबदेही नियत करते हुए जिनके क्षेत्र में बाल विवाह सम्पन्न होेने की स्थिति में उनके विरुद्ध जिला कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकाेंं को अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश भी दिये हैं।
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