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राजस्थान में संस्कृत विभाग का चार साल बाद आया ऐसा आदेश, जिससे शिक्षकों की नींद उड़ी

जयपुर. राजस्थान के सरकारी संस्कृत कॉलेजों के कार्यरत एवं सेवानिवृत्त शिक्षकों के सामने इस समय सरकारी आदेशों की गफलत के कारण परेशानी की स्थिति खड़ी हो गई है।


चार साल पहले लंबी लड़ाई के बाद जिन शिक्षकों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत वेतन मिलना शुरू हुआ था। अब अचानक इस माह सरकार ने शिक्षकों से जनवरी 2006 से पूर्व दिए गए सभी परिलाभों की रिकवरी के आदेश दिए हैं।



खास बात ये है कि ये परिलाभ शिक्षकों को न्यायिक आदेश के बाद मिले थे। अब सरकार जो प्रक्रिया अपना रही है वह एक शारीरिक शिक्षक के मामले में आए उच्च न्यायालय के उस आदेश के आधार पर कर रही है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में संबंधित शिक्षक को स्थगन आदेश मिल चुका है।



कितना असर पड़ेगा
संस्कृत शिक्षा विभाग के रिकवरी आदेश से हर शिक्षक पर लाखों रुपए का असर पड़ेगा। राज्य के 32 से अधिक सरकारी कॉलेजों के वर्तमान और सेवानिवृत्त शिक्षकों पर इसका सीधा असर पड़ रहा है।



यह भार 5 से 25 लाख रुपए तक का होगा। वहीं आदेश इतना सख्त है कि शिक्षकों का फरवरी माह का वेतन भी रोक जाएगा। इस रिकवरी आदेश के खिलाफ शिक्षक कोर्ट में जाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं सरकार के आला अधिकारियों और मंत्रियों से भी गुहार कर रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी समस्या ये है कि इसी माह उन्हें आयकर भरना है और इसी माह का वेतन रुक जाएगा। एेसे में कई जरूरी पारिवारिक कार्यों में भी संकट हो जाएगा।



राजस्थान संस्कृत महाविद्यालय शिक्षक संघ अध्यक्ष, लालचंद शर्मा का कहना है कि आदेश अव्यवहारिक है। इसे जबरन भूतलक्षी प्रभाव से बिना न्यायिक आधार के थोपा जा रहा है। उनका कहना है कि पूर्व में जारी न्यायिक आदेशों की गलत व्याख्या की जा रही है। विभाग की मंत्री से भी वार्ता की है, उन्होंने आश्वासन दिया है।

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