उदयपुर। शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है कि राज्य सरकार ने पिछले
तीन सालों में शिक्षा के उन्नयन को लेकर कई नवाचार किए हैं जिनके सकारात्मक
परिणाम देखने को मिले हैं।
राज्य सरकार की मंशा है कि राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश ही नहीं विश्व में अपनी पहचान बनाए। वे स्थानीय एसआईईआरटी में प्रदेश भर के शिक्षा अधिकारियों के चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन के पहले सत्र को संबोधित कर रहे थे।
देवनानी ने कहा कि नवाचारों का परिणाम है कि प्रदेश की में शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार देखने को मिला है। पिछले साल रिकॉर्ड 91 हजार बालिकाओं को गार्गी पुरस्कार मिलना इस बात की पुष्टि करता है। एक सर्वे के अनुसार प्रदेश के छात्रों का पिछले दो वर्षों में लर्निंग लेवल 8 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा है। 16 हजार विद्यालयों के मर्जर के बावजूद 13 से 15 लाख नए नामांकन करने में राजकीय विद्यालयों को सफलता मिली है जो पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ है। प्रत्येक गांव पंचायत में सभी सुविधाओं युक्त आदर्श एवं उत्कृष्ट विद्यालय की स्थापना इसी नवाचार का परिणाम है। आंगनबाड़ी केंद्रों को स्कूलों से जोड़ने का कार्य भी इन दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। जिला सलाहकार समितिओं का गठन किया गया है जिनकी त्रेमासिक बैठकों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में नये सुझाव प्राप्त होते हैं। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाइट तथा एसआईईआरटी को आर्थिक मजबूती देने के लिए सरकार बीएसटीसी के विद्यार्थियों से प्राप्त फीस में से निश्चित हिस्सा इन संस्थानों को देने की योजना बना रही है।
शिक्षा का आधार शिक्षक को बताते हुए उन्होने कहा कि समय-समय पर प्रशिक्षण देकर योग्यता का परिष्कार करना आवश्यक है। सभी प्रशिक्षण अवकाश के दौरान रखे जाने के प्रयत्न किए जा रहे हैं ताकि शिक्षण व्यवस्था पर विपरीत असर न पड़े। उन्होने उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग की बात करते हुए कहा कि स्टाफिंग पेटर्न के सकारात्मक परिणाम मिले हैं। आठवीं कक्षा तक फेल नहीं करने की नीति पर पुनर्विचार हेतु भी राजस्थान ने देश में अग्रणी भूमिका निभाते हुए 8वीं बोर्ड की परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित की है। अग्रणी बनाने हेतु मॉनिटरिंग सिस्टम को ठीक करने की बात भी कही।
राजस्थान को शिक्षा के क्षेत्र में देश में ही नहीं विश्व में पहचान दिलाने का प्रयास करने की आवश्यकता बताते हुए उन्होने फेस्टिवल ऑफ एजुकेशन के आयोजना की योजना की जिक्र किया। उन्होने कहा कि जयपुर के बाद प्रत्येक संभाग मुख्यालय एवं फिर जिला मुख्यालयों पर ऐसे फेस्टिवल आयोजित किए जाएंगे। चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन के इस पहले सत्र को माध्यमिक शिक्षा निदेशक बीएल स्वर्णकार, रमसा के निदेशक अशफाक शेख ने भी संबोधित किया।
राज्य सरकार की मंशा है कि राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश ही नहीं विश्व में अपनी पहचान बनाए। वे स्थानीय एसआईईआरटी में प्रदेश भर के शिक्षा अधिकारियों के चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन के पहले सत्र को संबोधित कर रहे थे।
देवनानी ने कहा कि नवाचारों का परिणाम है कि प्रदेश की में शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार देखने को मिला है। पिछले साल रिकॉर्ड 91 हजार बालिकाओं को गार्गी पुरस्कार मिलना इस बात की पुष्टि करता है। एक सर्वे के अनुसार प्रदेश के छात्रों का पिछले दो वर्षों में लर्निंग लेवल 8 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा है। 16 हजार विद्यालयों के मर्जर के बावजूद 13 से 15 लाख नए नामांकन करने में राजकीय विद्यालयों को सफलता मिली है जो पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ है। प्रत्येक गांव पंचायत में सभी सुविधाओं युक्त आदर्श एवं उत्कृष्ट विद्यालय की स्थापना इसी नवाचार का परिणाम है। आंगनबाड़ी केंद्रों को स्कूलों से जोड़ने का कार्य भी इन दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। जिला सलाहकार समितिओं का गठन किया गया है जिनकी त्रेमासिक बैठकों के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में नये सुझाव प्राप्त होते हैं। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाइट तथा एसआईईआरटी को आर्थिक मजबूती देने के लिए सरकार बीएसटीसी के विद्यार्थियों से प्राप्त फीस में से निश्चित हिस्सा इन संस्थानों को देने की योजना बना रही है।
शिक्षा का आधार शिक्षक को बताते हुए उन्होने कहा कि समय-समय पर प्रशिक्षण देकर योग्यता का परिष्कार करना आवश्यक है। सभी प्रशिक्षण अवकाश के दौरान रखे जाने के प्रयत्न किए जा रहे हैं ताकि शिक्षण व्यवस्था पर विपरीत असर न पड़े। उन्होने उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग की बात करते हुए कहा कि स्टाफिंग पेटर्न के सकारात्मक परिणाम मिले हैं। आठवीं कक्षा तक फेल नहीं करने की नीति पर पुनर्विचार हेतु भी राजस्थान ने देश में अग्रणी भूमिका निभाते हुए 8वीं बोर्ड की परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित की है। अग्रणी बनाने हेतु मॉनिटरिंग सिस्टम को ठीक करने की बात भी कही।
राजस्थान को शिक्षा के क्षेत्र में देश में ही नहीं विश्व में पहचान दिलाने का प्रयास करने की आवश्यकता बताते हुए उन्होने फेस्टिवल ऑफ एजुकेशन के आयोजना की योजना की जिक्र किया। उन्होने कहा कि जयपुर के बाद प्रत्येक संभाग मुख्यालय एवं फिर जिला मुख्यालयों पर ऐसे फेस्टिवल आयोजित किए जाएंगे। चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन के इस पहले सत्र को माध्यमिक शिक्षा निदेशक बीएल स्वर्णकार, रमसा के निदेशक अशफाक शेख ने भी संबोधित किया।
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