जाेधपुर.जेएनवीयू
में 2012-13 में हुए शिक्षक भर्ती घोटाले में एसीबी सोमवार को चार्जशीट
पेश करेगी। यह चार्जशीट पूर्व कुलपति बीएस राजपुरोहित व पूर्व विधायक जुगल
काबरा समेत गिरफ्तार 6 आरोपियों के खिलाफ होगी। एसीबी ने अपनी जांच में अब
तक 64 लोगों को आरोपी बनाया है, जिनमें से 43 वे लाभार्थी हैं जिन्हें
नियुक्तियां मिली थीं और भर्ती प्रक्रिया से जुड़े
21 लोगों को भी आरोपी माना गया है। इनके खिलाफ जांच जारी रहेगी और बाद में सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की जाएगी।
21 लोगों को भी आरोपी माना गया है। इनके खिलाफ जांच जारी रहेगी और बाद में सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की जाएगी।
एसपी
अजयपाल लांबा ने बताया कि भर्ती घोटाले में राजपुरोहित, काबरा के अलावा
प्रो. डूंगरसिंह खींची, पूर्व डीन श्यामसुंदर शर्मा, प्रो. दरियावसिंह
चूंडावत और क्लर्क केशवन के खिलाफ चार्जशीट पेश की जाएगी। सातवां आरोपी
बड़ोदरा विवि का प्रो. प्रदीपसिंह चूंडावत शनिवार को गिरफ्तार हुआ था, उसकी
चार्जशीट अगले सप्ताह पेश की जाएगी तथा अन्य आरोपियों से तफ्तीश के लिए
जांच पेंडिंग रखी जाएगी।
13 सदस्यों की इन्वेस्टिगेशन टीम ने हजारों पन्ने खंगाले
तीन साल से चल रही इस जांच को अंजाम तक पहुंचाने के लिए आईजी वीके सिंह, एसपी अजयपाल लांबा व एएसपी सीपी शर्मा के मार्गदर्शन में 13 जनों की टीम थी। आईजी-एसपी ने इंस्पेक्टर अनिल शर्मा, हैड कांस्टेबल मोहनराम, शंकरलाल, सोमदान, कांस्टेबल रामकुमार, दो आेमप्रकाश, जैसाराम, अमरसिंह, संजय, मेघाराम, राजेंद्रसिंह व क्लर्क श्रीमती नयन की पीठ थपथपाई है।
धोखे से बने ऑर्डिनेंस की बुनियाद पर भर्ती किए भाई-भतीजे
जेएनवीयू
शिक्षक भर्ती घोटाले की साजिश ऑर्डिनेंस 317 से शुरू होती है। ऑर्डिनेंस
बनाने का काम 2011 तत्कालीन कुलपति नवीन माथुर के कार्यकाल में शुरू हुआ
क्योंकि उन्हें सरकार ने कहा था कि यूजीसी के पैटर्न पर ही नियुक्तियां
होनी चाहिए इसलिए ऑर्डिनेंस बना कर भेजा जाए। माथुर ने ऑर्डिनेंस का
प्रस्ताव भेज दिया। जून 2011 में माथुर का निधन हो गया और कांग्रेस सरकार
ने बीएस राजपुरोहित को नया कुलपति बना दिया। तब राजपुरोहित और डूंगरसिंह
खींची सरकार के पास गए और कहा कि एसो. प्रोफेसर की क्वालिफिकेशन में बदलाव
करना होगा क्योंकि यूजीसी के नियमानुसार 2009 से पहले की पीएचडी वाले
असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
इसलिए
एसोसिएट प्रोफेसर्स के मापदंडों को मोडिफाई करना होगा। तब उच्च शिक्षा
सचिवालय व गवर्नर हाउस ने पहले प्रस्तुत किए आर्डिनेंस में एसोसिएट
प्रोफेसर्स के लिए क्या-क्या बदलाव करने हैं, उसका चार्ट बना दिया। कुलपति
के ‘सिंडिकेट’ ने चुपके से एसोसिएट प्रोफेसर्स में पीएचडी अवार्डेड/एडमिटेड
लिख दिया और शिक्षा सचिवालय व गवर्नर हाउस से कहा कि उनके जैसे सुझाव थे,
वैसा बदलाव कर आपको प्रेषित कर रहे हैं। शिक्षा सचिवालय व राज्यपाल सचिवालय
ने यह मान कर ऑर्डिनेंस बनाने का कमेंट लिख दिया कि जैसा कहा था, वैसा हो
गया है।
जबकि कुलपति के
‘सिंडिकेट’ ने एसोसिएट प्रोफेसर्स के साथ असिस्टेंट प्रोफेसर्स के लिए भी
कांट-छांट कर मापदंड में बदलाव कर दिया। इस बदलाव की जानकारी ‘सिंडिकेट’ ने
भर्ती बोर्ड के चुनिंदा लोगों को दी, उन्होंने अपने भाई-भतीजों को कहा।
चूंकि बैकडेट में आवेदन लेने के लिए कुलपति अधिकृत थे, उन्होंने फार्म जमा
करवाए और अपने लोगों में नौकरियां बांट दी। एसीबी ने राज्यपाल व शिक्षा
सचिवालय के वरिष्ठ आईएएस अफसरों के बयान लिए, रिकॉर्ड जांचा तो साजिश पकड़ी
गई।
एफआईआर से अलग होगी चार्जशीट
इस
घोटाले में पूर्व कुलपति समेत 17 आरोपियों के खिलाफ एसीबी में एफआईआर दर्ज
हुई थी। उसमें पूर्व विधायक काबरा का नाम नहीं था और लाभार्थियों में 7
जनों के नाम थे। एसीबी की जांच में काबरा भी आरोपी माने गए इसलिए उन्हें
गिरफ्तार किया गया। लाभार्थियों की संख्या भी 43 तक पहुंच गई जिनकी
नियुक्तियां गलत मानी गई है। इसके अलावा भर्ती बोर्ड के मेंबर और प्रक्रिया
से जुड़े 21 लोगों को भी आरोपी बनाया गया है।
मेंबर व लाभार्थियों की मिलीभगत का ब्यौरा
एसीबी
की पहली चार्जशीट करीब 100 पेज की होगी। इसमें भर्ती बोर्ड के सदस्यों और
लाभार्थियों की मिलीभगत का ब्यौरा होगा। आरोपों को सही बताने के लिए लगभग 7
हजार दस्तावेज भी चार्जशीट के साथ संलग्न होंगे। इसमें बताया जाएगा कि
कैसे गलत ऑर्डिनेंस बनाया, बेक डेट में आवेदन लिए। यही नहीं, सब्जेक्ट
एक्सपर्ट के विरोध को नजरअंदाज कर अयोग्यों को नौकरियां बांटी। इसमें भी
भाई-भतीजावाद और पैसों का लेन-देन चला। लाभार्थी एक्सटर्नल से मिले हुए थे,
उन पर पैसा खर्च किया ताकि वे इंटरव्यू में पास करें।
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