भीलवाड़ा। शिक्षा का स्तर सुधारने के नाम पर हर साल करोड़ों रुपए योजनाओं
पर खर्च हो रहे हैं। उसके बावजूद सरकारी स्कूलों में नामांकन स्थिर हैं और न
ही आशातीत परिणाम मिल पा रहे हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता के लिए तय की गई नीति के तहत अब परिणाम का ग्राफ नीचे आने पर डी ग्रेड स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के खिलाफ नकेल कसने की कवायद शिक्षा निदेशालय में शुरू कर दी है। जिले के करीब 300 स्कूलों के शिक्षकों पर कार्यवाही की तलवार लटक रही है। इन शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस थमाए गए हैं।
शिक्षा निदेशालय के निर्देशों पर की जा रही इस कार्यवाही के तहत लोक शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से जिम्मेदार शिक्षकों से जवाब-तलब किया गया है। इन विद्यालयों के संस्था प्रधानों की भी नए सत्र से जवाबदेही तय होगी। सरकारी स्कूलों में गिरते नामांकन और परीक्षा परिणाम को लेकर सरकार बीते दो साल से नित-नए नवाचार कर रही है। उसके बावजूद जिले के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में परीक्षा परिणाम नहीं सुधर रहे हैं।
अब तक हायर सैकण्डरी व सीनियर सैकण्डरी सेटअप में ही शिक्षकों को परीक्षा परिणाम को देखते हुए कार्यवाही का डर दिखाया जाता था। पहली बार उच्च प्राथमिक व प्राथमिक विद्यालय में भी इसी तर्ज पर शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने कदम उठाया है। गत साल के परीक्षा परिणाम के बाद 300 से अधिक शिक्षकों व संस्था प्रधानों पर अब कार्यवाही तलवार लटकी है। पहली बार बिगड़े परिणाम पर शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही की कवायद से शिक्षक संगठनों में भी बैचेनी दइेखी जा रही है। वहीं तीन दर्जन संस्था प्रधानों के नोटिस के संदर्भ में वापस जवाब भी भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिसमें बीईईओ द्वारा थमाए गए नोटिस के जवाब में तरह-तरह के बहानें बनाने की बात सामने आ रही है।
अब देखना यह हैं कि सरकार की शिक्षकों से गिरते शिक्षा परिणाम के प्रति जवाबदेही तय करने का प्रयास कोई रंग लाएगा या दूसरे प्रयासों की तरह यह भी फाइलों में दम तोड़ देगा। विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 2 हजार 2 सौ अस्सी विद्यालय संचालित हैं। शिक्षण कार्य सुधारने के लिए वैसे तो संस्था प्रधान और विद्यालय विकास समिति के माध्यम से प्रयासरत रहने की बात सार्वजनिक समारोह में बढ़-चढ़ कर बताई जाती है।
मगर धरातल पर काम का अन्दाजा इससे लगाया जा सकता हैं कि जिले में 300 विद्यालय ऐसे हैं जहां 40 प्रतिशत से भी नीचे परीक्षा परिणाम आ गया है। इस गिरते परिणाम की सूची में जिले के 12 ही ब्लॉक के विद्यालय शामिल हैं। गिरते शिक्षा परिणाम को लेकर शिक्षा निदेशालय इस बार सख्त रूख इख्तियार किए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी अशोक पारीक ने बताया कि परीक्षा परिणाम नहीं सुधरने पर शिक्षकों व संस्था प्रधानों को नोटिस थमाने के साथ ही जवाब-तलब किया जा रहा हैं। और संतोषजनक जवाब नहीं आने व नए सत्र में परिणाम नहीं सुधरने पर शिक्षक व संस्था प्रधान उन्हें हटाने की कार्यवाही की जा सकती है। प्रावधानों के तहत शिक्षक व संस्था प्रधानों का इंक्रीमेन्ट भी रोका जा सकता है। जिले के 12 ही ब्लॉकों में सर्वाधिक 60 विद्यालय डी ग्रेड की श्रेणी में शाहपुरा ब्लॉक में हैं। इन विद्यालयों के संस्था प्रधानों को बीओ के माध्यम से नोटिस देकर जवाब मांगा गया हैं। इसके साथ ही बनेड़ा में 58, रायपुर में 56, माण्डलगढ़ में २२, आसीन्द- बिजौलियां में २१-२१, माण्डल में 13, सुवाणा में 12, सहाड़ा में 11, जहाजपुर में 07 विद्यालय डी श्रेणी में आए हैं। वहीं डी ग्रेड में आने वाले विद्यालयों में सर्वाधिक अंग्रेजी व गणित विषय में परिणाम का ग्राफ गिरा है।
शिक्षा की गुणवत्ता के लिए तय की गई नीति के तहत अब परिणाम का ग्राफ नीचे आने पर डी ग्रेड स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के खिलाफ नकेल कसने की कवायद शिक्षा निदेशालय में शुरू कर दी है। जिले के करीब 300 स्कूलों के शिक्षकों पर कार्यवाही की तलवार लटक रही है। इन शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस थमाए गए हैं।
शिक्षा निदेशालय के निर्देशों पर की जा रही इस कार्यवाही के तहत लोक शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से जिम्मेदार शिक्षकों से जवाब-तलब किया गया है। इन विद्यालयों के संस्था प्रधानों की भी नए सत्र से जवाबदेही तय होगी। सरकारी स्कूलों में गिरते नामांकन और परीक्षा परिणाम को लेकर सरकार बीते दो साल से नित-नए नवाचार कर रही है। उसके बावजूद जिले के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में परीक्षा परिणाम नहीं सुधर रहे हैं।
अब तक हायर सैकण्डरी व सीनियर सैकण्डरी सेटअप में ही शिक्षकों को परीक्षा परिणाम को देखते हुए कार्यवाही का डर दिखाया जाता था। पहली बार उच्च प्राथमिक व प्राथमिक विद्यालय में भी इसी तर्ज पर शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने कदम उठाया है। गत साल के परीक्षा परिणाम के बाद 300 से अधिक शिक्षकों व संस्था प्रधानों पर अब कार्यवाही तलवार लटकी है। पहली बार बिगड़े परिणाम पर शिक्षकों के खिलाफ कार्यवाही की कवायद से शिक्षक संगठनों में भी बैचेनी दइेखी जा रही है। वहीं तीन दर्जन संस्था प्रधानों के नोटिस के संदर्भ में वापस जवाब भी भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जिसमें बीईईओ द्वारा थमाए गए नोटिस के जवाब में तरह-तरह के बहानें बनाने की बात सामने आ रही है।
अब देखना यह हैं कि सरकार की शिक्षकों से गिरते शिक्षा परिणाम के प्रति जवाबदेही तय करने का प्रयास कोई रंग लाएगा या दूसरे प्रयासों की तरह यह भी फाइलों में दम तोड़ देगा। विभागीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 2 हजार 2 सौ अस्सी विद्यालय संचालित हैं। शिक्षण कार्य सुधारने के लिए वैसे तो संस्था प्रधान और विद्यालय विकास समिति के माध्यम से प्रयासरत रहने की बात सार्वजनिक समारोह में बढ़-चढ़ कर बताई जाती है।
मगर धरातल पर काम का अन्दाजा इससे लगाया जा सकता हैं कि जिले में 300 विद्यालय ऐसे हैं जहां 40 प्रतिशत से भी नीचे परीक्षा परिणाम आ गया है। इस गिरते परिणाम की सूची में जिले के 12 ही ब्लॉक के विद्यालय शामिल हैं। गिरते शिक्षा परिणाम को लेकर शिक्षा निदेशालय इस बार सख्त रूख इख्तियार किए गए हैं। जिला शिक्षा अधिकारी अशोक पारीक ने बताया कि परीक्षा परिणाम नहीं सुधरने पर शिक्षकों व संस्था प्रधानों को नोटिस थमाने के साथ ही जवाब-तलब किया जा रहा हैं। और संतोषजनक जवाब नहीं आने व नए सत्र में परिणाम नहीं सुधरने पर शिक्षक व संस्था प्रधान उन्हें हटाने की कार्यवाही की जा सकती है। प्रावधानों के तहत शिक्षक व संस्था प्रधानों का इंक्रीमेन्ट भी रोका जा सकता है। जिले के 12 ही ब्लॉकों में सर्वाधिक 60 विद्यालय डी ग्रेड की श्रेणी में शाहपुरा ब्लॉक में हैं। इन विद्यालयों के संस्था प्रधानों को बीओ के माध्यम से नोटिस देकर जवाब मांगा गया हैं। इसके साथ ही बनेड़ा में 58, रायपुर में 56, माण्डलगढ़ में २२, आसीन्द- बिजौलियां में २१-२१, माण्डल में 13, सुवाणा में 12, सहाड़ा में 11, जहाजपुर में 07 विद्यालय डी श्रेणी में आए हैं। वहीं डी ग्रेड में आने वाले विद्यालयों में सर्वाधिक अंग्रेजी व गणित विषय में परिणाम का ग्राफ गिरा है।
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