आज सोशल मीडिया पर मैंने सुना कि सीकर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन बेरोजगारों के लिए "लफंगा" शब्द का इस्तेमाल किया जिनकी बदौलत वो राजस्थान में राज कर रही है पहले पहल तो मैंने यकीन ही नहीं किया कि एक महिला मुख्यमंत्री भी ऐसीे घटिया गाली भरी सभा में दे सकती हैं
लेकिन जब अखबारों की सुर्खियां भी पढी तो मन विषाद से भर आया कि जिन बेरोजगार युवकों को 15 लाख नौकरियों का सपना मुख्यमंत्री जी ने दिखाया आज जब वो ही गरीब बेरोजगार अपना हक मांग रहा है तो उन्हें "लफंगा" कहा जाता है|
मुख्यमंत्री जी जब हमने अपना हक मांगा तो आपने हमें जो आपके मन में आया कहा तो सुन लीजिए जो हमारे मन में आएगा वो हम भी कहेंगे| एक पीड़ा है जो मेरे मन से कलम तक आई है| शाहरूख खान अलवरी की दिल की आवाज
👇👇👇👇👇👇👇
सत्ता में मदहोश मगर हो
कुछ तो ख्याल करती ना
कह दी ग़र हम ने मन की पीड़ा
जबान तो संभाल कर रखती ना
वसुंधरा है ना नाम तुम्हारा
और हम भी वही समझे थे
सोचा था कि
कुछ तो पुकार सुनेगी हमारी
वरना हम तेरी उस मनहूस सभा में जाते ना
यशस्वी कहती हो ना खुद को
इसका कुछ तो लिहाज करती ना
गाली देते कुछ भी तुझको क्या
लज्जा थोड़ी भी आई ना
सत्ता उखाड़ कर रख देंगे
तीन साल तो गुजारी हैं सुख से
दो साल भारी हम कर देंगे
सत्ता के भौतिक गलियारों ने
हमें हर वक्त है धोखा दिया
कभी टेट को रीट किया
तो कभी विद्यार्थी मित्रों को हटा दिया
कहां है वह 15 लाख नौकरियां
और ऊपर से हम पर जुल्म किया
भूल गई क्या tgt 12 और 13
को
रीट 2015 का अब क्यूँ कोई कुछ नाम नहीं
हर चाल समझता है यह बेरोजगार
तूने टेट के नाम पर हमें ही लड़ा दिया
हमें सब कुछ याद है
वह दृश्य जयपुर का
जब हम ही मजलूम थे
और हमने ही खाई थी लाठियां
इतना सब होने के बावजूद
क्या थोड़ी लज्जा भी आई ना
और हमें ही कह दिया लफंगा
क्यूँ कुछ भी तुमने सोचा ना
हमारी अंतरात्मा भी सुन ले
भूल जाना अब की बार से
वह खेल बारी-बारी सत्ता का
सदा के लिए हम भेज रहे हैं तुझको
लंदन के ठिकाने को
ना करना फिर कोई बहाना हमारे
राजस्थान में आने को
लेकिन जब अखबारों की सुर्खियां भी पढी तो मन विषाद से भर आया कि जिन बेरोजगार युवकों को 15 लाख नौकरियों का सपना मुख्यमंत्री जी ने दिखाया आज जब वो ही गरीब बेरोजगार अपना हक मांग रहा है तो उन्हें "लफंगा" कहा जाता है|
मुख्यमंत्री जी जब हमने अपना हक मांगा तो आपने हमें जो आपके मन में आया कहा तो सुन लीजिए जो हमारे मन में आएगा वो हम भी कहेंगे| एक पीड़ा है जो मेरे मन से कलम तक आई है| शाहरूख खान अलवरी की दिल की आवाज
👇👇👇👇👇👇👇
सत्ता में मदहोश मगर हो
कुछ तो ख्याल करती ना
कह दी ग़र हम ने मन की पीड़ा
जबान तो संभाल कर रखती ना
वसुंधरा है ना नाम तुम्हारा
और हम भी वही समझे थे
सोचा था कि
कुछ तो पुकार सुनेगी हमारी
वरना हम तेरी उस मनहूस सभा में जाते ना
यशस्वी कहती हो ना खुद को
इसका कुछ तो लिहाज करती ना
गाली देते कुछ भी तुझको क्या
लज्जा थोड़ी भी आई ना
सत्ता उखाड़ कर रख देंगे
तीन साल तो गुजारी हैं सुख से
दो साल भारी हम कर देंगे
सत्ता के भौतिक गलियारों ने
हमें हर वक्त है धोखा दिया
कभी टेट को रीट किया
तो कभी विद्यार्थी मित्रों को हटा दिया
कहां है वह 15 लाख नौकरियां
और ऊपर से हम पर जुल्म किया
भूल गई क्या tgt 12 और 13
को
रीट 2015 का अब क्यूँ कोई कुछ नाम नहीं
हर चाल समझता है यह बेरोजगार
तूने टेट के नाम पर हमें ही लड़ा दिया
हमें सब कुछ याद है
वह दृश्य जयपुर का
जब हम ही मजलूम थे
और हमने ही खाई थी लाठियां
इतना सब होने के बावजूद
क्या थोड़ी लज्जा भी आई ना
और हमें ही कह दिया लफंगा
क्यूँ कुछ भी तुमने सोचा ना
हमारी अंतरात्मा भी सुन ले
भूल जाना अब की बार से
वह खेल बारी-बारी सत्ता का
सदा के लिए हम भेज रहे हैं तुझको
लंदन के ठिकाने को
ना करना फिर कोई बहाना हमारे
राजस्थान में आने को
No comments:
Post a Comment