जोधपुर । जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती घोटाले के पांच आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई पूरी हो गई। फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। ये फैसला 27 जनवरी को सुनाया जाएगा। इससे पहले मंगलवार को सुनवाई अधूरी रह गई थी।
न्यायाधीश प्रतापकृष्ण लोहरा की अदालत में पूर्व विधायक और तत्कालीन सिंडीकेट सदस्य जुगल काबरा, प्रो. डूंगरसिंह खींची, विधि संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. श्यामसुंदर शर्मा, यूडीसी केशवन एब्रारन व दरियावसिंह चूण्डावत की की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोड़ा, धीरेन्द्र सिंह, विनोद शर्मा और विनीत जैन ने पैरवी की। जबकि राज्य सरकार की ओर से राजकीय अधिवक्ता शिवकुमार व्यास और विक्रमसिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा।
सुबह साढ़े 10 बजे से शुरू हुई सुनवाई दोपहर एक बजे तक जारी रही तो न्यायाधीश समयाभाव का हवाला देते हुए बाकी सुनवाई बुधवार को करने के निर्देश दिए। इस दौरान कोर्ट परिसर में वकीलों और विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती से जुड़े लोगों की खासी भीड़ रही। हाईकोर्ट ने राजकीय अधिवक्ता व्यास और परिवादी ओमप्रकाश भाटी को बुधवार को अपना पक्ष रखने को कहा।
ढाई घण्टे चली बहस
इससे पहले पूर्व विधायक जुगल काबरा और विधि संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. एसएस शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोड़ा ने बहस में कहा कि एसीबी की ओर से चार्जशीट में लगाए गए आरोप निराधार हैं। भर्ती में कहीं भी अनियमितता नहीं हुई है। आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत महज कयास और कल्पना के आधार पर लगाए आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं।
कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज में काट-छांट की गई, ताकि आरोपियों पर भारतीय दण्ड संहिता के तहत आरोप भी लगाए जा सकें। उन्होंने यह भी दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में कुलपति प्रो. भंवरसिंह राजपुरोहित को जमानत पर रिहा कर
न्यायाधीश प्रतापकृष्ण लोहरा की अदालत में पूर्व विधायक और तत्कालीन सिंडीकेट सदस्य जुगल काबरा, प्रो. डूंगरसिंह खींची, विधि संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. श्यामसुंदर शर्मा, यूडीसी केशवन एब्रारन व दरियावसिंह चूण्डावत की की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोड़ा, धीरेन्द्र सिंह, विनोद शर्मा और विनीत जैन ने पैरवी की। जबकि राज्य सरकार की ओर से राजकीय अधिवक्ता शिवकुमार व्यास और विक्रमसिंह राजपुरोहित ने पक्ष रखा।
सुबह साढ़े 10 बजे से शुरू हुई सुनवाई दोपहर एक बजे तक जारी रही तो न्यायाधीश समयाभाव का हवाला देते हुए बाकी सुनवाई बुधवार को करने के निर्देश दिए। इस दौरान कोर्ट परिसर में वकीलों और विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती से जुड़े लोगों की खासी भीड़ रही। हाईकोर्ट ने राजकीय अधिवक्ता व्यास और परिवादी ओमप्रकाश भाटी को बुधवार को अपना पक्ष रखने को कहा।
ढाई घण्टे चली बहस
इससे पहले पूर्व विधायक जुगल काबरा और विधि संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो. एसएस शर्मा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोड़ा ने बहस में कहा कि एसीबी की ओर से चार्जशीट में लगाए गए आरोप निराधार हैं। भर्ती में कहीं भी अनियमितता नहीं हुई है। आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत महज कयास और कल्पना के आधार पर लगाए आरोप प्रमाणित नहीं होते हैं।
कुछ आरटीआई कार्यकर्ताओं द्वारा चयनित अभ्यर्थियों के दस्तावेज में काट-छांट की गई, ताकि आरोपियों पर भारतीय दण्ड संहिता के तहत आरोप भी लगाए जा सकें। उन्होंने यह भी दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में कुलपति प्रो. भंवरसिंह राजपुरोहित को जमानत पर रिहा कर
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