राजस्थान की बेटियों ने राज्य का मान बढ़ाते हुए पुणे के बालेवाड़ी में चल रही नेशनल निशानेबाजी चैंपियनशिप में पांच गोल्ड मेडल जीत लिए. उभरती शूटर मानिनी कौशिक ने जहां दो गोल्ड मेडल जीते, वहीं अवनी लेखरा ने तीन गोल्ड मेडल्स पर निशाने लगाए.
राजस्थान के युवा शूटर्स ने इन दिनों अपनी धूम मचा रखी है. हाल ही जयपुर में हुई शॉटगन की नेशनल चैंपियनशिप में राजस्थान के निशानेबाजों ने काम किया था. अब पुणे में चल रही एयर वेपन व स्माल बोर की नेशनल चैंपियनशिप में यहां की बेटियां धमाल कर रही हैं. मानिनी कौशिक और अवनी लेखरा ने मिलकर कुल पांच गोल्ड मेडल जीत लिए.
मानिनी कौशिक 10 मीटर एयर राइफल इवेंट के यूथ वर्ग में व्यक्तिगत व टीम स्पर्धा के गोल्ड मेडल जीते. पिछले तीन साल से मानिनी ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल अपने नाम किए हैं. जगतपुरा रेंज पर नियमित अभ्यास करने वाली मानिनी का लक्ष्य एक दिन में ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर पदक जीतना है. मानिनी अपनी सफलता का श्रेय पिता अनिल कौशिक को देती है.
अवनी लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल की हैंडीकैप वर्ग में तीन गोल्ड मेडल जीते हैं. अवनी की कहानी कुछ मार्मिक है. कुछ साल पहले सामान्य बच्चों की तरह जीवन की उड़ान भरने वाली अवनी कार एक्सीडेंट का शिकार हो गई थीं. उनकी जिंदगी तो किसी तरह बच गई, लेकिन दोनों पैर अब काम नहीं करते. इसके बावजूद अवनी ने हिम्मत नहीं हारी. व्हील चेयर पर रहने के बावजूद उन्होंने निशानेबाजी की बारीकियां सीखीं और अब वे राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर रही हैं. अवनी की सफलता में भी उनके पिता प्रवीण लेखरा का हाथ है, जो खेल विभाग में डिप्टी सेकेट्री
राजस्थान के युवा शूटर्स ने इन दिनों अपनी धूम मचा रखी है. हाल ही जयपुर में हुई शॉटगन की नेशनल चैंपियनशिप में राजस्थान के निशानेबाजों ने काम किया था. अब पुणे में चल रही एयर वेपन व स्माल बोर की नेशनल चैंपियनशिप में यहां की बेटियां धमाल कर रही हैं. मानिनी कौशिक और अवनी लेखरा ने मिलकर कुल पांच गोल्ड मेडल जीत लिए.
मानिनी कौशिक 10 मीटर एयर राइफल इवेंट के यूथ वर्ग में व्यक्तिगत व टीम स्पर्धा के गोल्ड मेडल जीते. पिछले तीन साल से मानिनी ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल अपने नाम किए हैं. जगतपुरा रेंज पर नियमित अभ्यास करने वाली मानिनी का लक्ष्य एक दिन में ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर पदक जीतना है. मानिनी अपनी सफलता का श्रेय पिता अनिल कौशिक को देती है.
अवनी लेखरा ने 10 मीटर एयर राइफल की हैंडीकैप वर्ग में तीन गोल्ड मेडल जीते हैं. अवनी की कहानी कुछ मार्मिक है. कुछ साल पहले सामान्य बच्चों की तरह जीवन की उड़ान भरने वाली अवनी कार एक्सीडेंट का शिकार हो गई थीं. उनकी जिंदगी तो किसी तरह बच गई, लेकिन दोनों पैर अब काम नहीं करते. इसके बावजूद अवनी ने हिम्मत नहीं हारी. व्हील चेयर पर रहने के बावजूद उन्होंने निशानेबाजी की बारीकियां सीखीं और अब वे राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर रही हैं. अवनी की सफलता में भी उनके पिता प्रवीण लेखरा का हाथ है, जो खेल विभाग में डिप्टी सेकेट्री
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