अजमेर। । कॉलेज और विश्वविद्यालयों में दस्तावेज लेने के लिए कतार में लगकर धक्के खाते हुए फीस जमा कराने वाले विद्यार्थियों की परेशानी के दिन अब खत्म होने वाले हैं। संस्थाओं को अब सभी विद्यार्थियों की अंकतालिका, डिप्लोमा, डिग्री तथा अन्य प्रमाण-पत्रों व दस्तावेजों का डिजिटल डाटा बैंक बनाना होगा।
*विद्यार्थी ई-पेमेन्ट अथवा ई-चालान से फीस देकर अपने दस्तावेजों का प्रिंट आउट निकाल सकेंगे। इससे भर्ती परीक्षाओं, नियुक्तियों के दौरान दस्तावेजों का सत्यापन आसान होगा। देश के सभी केंद्रीय/राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय, आईआईटी, आईआईएम और अन्य संस्थाओं में यह सुविधा शीघ्र प्रारंभ होगी।
*मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पीएम नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया योजना के तहत दस्तावेजों को डिजिटल प्रारूप में तब्दील करने को कहा है। इसमें देश के उच्च, तकनीकी, प्रबंधन और अन्य संस्थान शामिल हैं। केंद्र सरकार की 'राष्ट्रीय अकादमिक संग्रहण केंद्र (नेशनल एकेडेमिक डिपॉजिटरी) योजना के तहत संस्थानों को दस्तावेजों का डिजिटल डाटा बैंक तैयार करना होगा। यह बैंक में राशि सुरक्षित रखने की प्रणाली की तर्ज पर कार्य करेगा।
*दस्तावेज 24 घंटे ऑनलाइन उपलब्ध*
*राष्ट्रीय अकादमिक संग्रहण केंद्र योजनान्तर्गत स्नातक/ स्नातकोत्तर और अन्य पाठ्यक्रमों की डिग्री, डिप्लोमा, अंकतालिकाएं, प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज डिजिटल प्रारूप में 24 घंटे ऑनलाइन उपलब्ध रहेंगे। सभी केंद्रीय, राज्य डीम्ड विश्वविद्यालय, कॉलेज, आईआईटी, आईआईएम और राष्ट्रीय संस्थाओं को दस्तावेजों का डिजिटल डाटा बैंक बनाकर राष्ट्रीय अकादमी संग्रहण केंद्र से जोडऩा होगा।
*तीन साल में बनेगा संग्रहण केंद्र*
राष्ट्रीय अकादमिक संग्रहण केंद्र की स्थापना के लिए सरकार एनएसडीएल डाटाबेस मैनेजमेंट और सीडीसीएल वेंचर्स संस्थान से एमओयू किया है। यह संस्थाएं यूजीसी को अकादमिक दस्तावेजों को डिजिटल प्रारूप में बदलने और डाटा बनाने में सहायता करेंगी। प्रथम चरण में करार तीन साल के लिए होगा।
*संस्थान ले सकेंगे सहयोग*
केंद्रीय/राज्य स्तरीय, डीम्ड विश्वविद्यालय, कॉलेज और देश के राष्ट्रीय संस्थान एनएसडीएल डाटाबेस मैनेजमेंट और सीडीसीएल वेंचर्स संस्थान से सहयोग ले सकेंगे। उन्हें दोनों में से एक संस्थान से करार करना होगा। इसके अनुरूप वे विद्यार्थियों की अंकतालिकाएं, प्रमाण पत्र, डिप्लोमा, डिग्री का डिजिटल डाटा बैंक तैयार कर सकेंगी। सभी संस्थाओं को डिजिटल दस्तावेज और इन्हें प्राप्त करने की प्रक्रिया वेबसाइट पर उपलब्ध करानी होगी।
*विद्यार्थी ई-पेमेन्ट अथवा ई-चालान से फीस देकर अपने दस्तावेजों का प्रिंट आउट निकाल सकेंगे। इससे भर्ती परीक्षाओं, नियुक्तियों के दौरान दस्तावेजों का सत्यापन आसान होगा। देश के सभी केंद्रीय/राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय, आईआईटी, आईआईएम और अन्य संस्थाओं में यह सुविधा शीघ्र प्रारंभ होगी।
*मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने पीएम नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया योजना के तहत दस्तावेजों को डिजिटल प्रारूप में तब्दील करने को कहा है। इसमें देश के उच्च, तकनीकी, प्रबंधन और अन्य संस्थान शामिल हैं। केंद्र सरकार की 'राष्ट्रीय अकादमिक संग्रहण केंद्र (नेशनल एकेडेमिक डिपॉजिटरी) योजना के तहत संस्थानों को दस्तावेजों का डिजिटल डाटा बैंक तैयार करना होगा। यह बैंक में राशि सुरक्षित रखने की प्रणाली की तर्ज पर कार्य करेगा।
*दस्तावेज 24 घंटे ऑनलाइन उपलब्ध*
*राष्ट्रीय अकादमिक संग्रहण केंद्र योजनान्तर्गत स्नातक/ स्नातकोत्तर और अन्य पाठ्यक्रमों की डिग्री, डिप्लोमा, अंकतालिकाएं, प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज डिजिटल प्रारूप में 24 घंटे ऑनलाइन उपलब्ध रहेंगे। सभी केंद्रीय, राज्य डीम्ड विश्वविद्यालय, कॉलेज, आईआईटी, आईआईएम और राष्ट्रीय संस्थाओं को दस्तावेजों का डिजिटल डाटा बैंक बनाकर राष्ट्रीय अकादमी संग्रहण केंद्र से जोडऩा होगा।
*तीन साल में बनेगा संग्रहण केंद्र*
राष्ट्रीय अकादमिक संग्रहण केंद्र की स्थापना के लिए सरकार एनएसडीएल डाटाबेस मैनेजमेंट और सीडीसीएल वेंचर्स संस्थान से एमओयू किया है। यह संस्थाएं यूजीसी को अकादमिक दस्तावेजों को डिजिटल प्रारूप में बदलने और डाटा बनाने में सहायता करेंगी। प्रथम चरण में करार तीन साल के लिए होगा।
*संस्थान ले सकेंगे सहयोग*
केंद्रीय/राज्य स्तरीय, डीम्ड विश्वविद्यालय, कॉलेज और देश के राष्ट्रीय संस्थान एनएसडीएल डाटाबेस मैनेजमेंट और सीडीसीएल वेंचर्स संस्थान से सहयोग ले सकेंगे। उन्हें दोनों में से एक संस्थान से करार करना होगा। इसके अनुरूप वे विद्यार्थियों की अंकतालिकाएं, प्रमाण पत्र, डिप्लोमा, डिग्री का डिजिटल डाटा बैंक तैयार कर सकेंगी। सभी संस्थाओं को डिजिटल दस्तावेज और इन्हें प्राप्त करने की प्रक्रिया वेबसाइट पर उपलब्ध करानी होगी।
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