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Saturday 19 November 2016

20 में लेक्चरर बने, 80 की उम्र तक किया 1500 फिल्मों का प्रदर्शन

जोधपुर. वर्ष 1956 में महज 20 वर्ष की उम्र में देश की तमाम आईआईटी से भी पुराने एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षक बने और जोधपुर विश्वविद्यालय (अब जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी) से 1996 में भौतिक शास्त्र विभाग से प्रोफेसर पद से रिटायर हुए डॉ. मोहनस्वरूप माहेश्वरी का अंदाज फिल्मी हीरो जैसा था। वर्ष 1967 में उनके नेतृत्व में जोधपुर फिल्म सोसायटी की स्थापना हुई तो यह कदम उनके मिजाज के अनुरूप ही था। अपनी निडरता और दबंग कार्यशैली से उन्होंने दोनों ही जगह अलग पहचान बनाई। वर्ष 2009 में कैंसर का पता चला।
ऑपरेशन करवाने मुंबई गए, पांच माह में लौट आए। उन्होंने बिस्तर पर होने के बावजूद चिटि्ठयां लिखकर यूरोपियन फिल्म फेस्टिवल का आयोजन करवाया। टाटा हॉस्पिटल के डॉ. सीएस प्रमेश कहते थे- जिस बीमारी का नाम सुनकर ही लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं, उन्हें खिलखिलाते देख हम चकित थे। वे हमेशा ऐसे ही चकित करते रहते थे। उनकी पत्नी गायनोकोलॉजिस्ट डॉ. कौशल्या माहेश्वरी ने अलग फील्ड से होते हुए भी उनका बखूबी साथ निभाया। (जैसा महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी बीकानेर के पूर्व वीसी प्रो. गंगाराम जाखड़ ने बताया।)
नियम-कायदों के पक्के थे
एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल प्रो. वीजी गरड़े ने निर्णय लिया था कि निर्धारित समय के बाद कैंपस का गेट बंद कर दिया जाए। एक दिन प्रो. माहेश्वरी कॉलेज पहुंचे तो गेट बंद हो रहा था। उन्हें देखकर गेटमैन ने गेट खोला तो उन्होंने कहा- नियम का मतलब नियम, गेट बंद कर दो, मैं तो आज छुट्टी पर रहूंगा।
वीसी को इस्तीफा देना पड़ा
1970 में विवि में नियुक्तियों में एक व्यक्ति को एक्सपर्ट पैनल के बाहर से बुलाया गया। प्रो. माहेश्वरी को पता चला तो वे शिकायत करने राजभवन पहुंच गए। तत्कालीन राज्यपाल ने उन्हें पूछा कि पैनल ताे गोपनीय होता है, उन्हें कैसे पता चला। माहेश्वरी का जवाब था कि गोपनीयता के बारे में पूछना जरूरी है या गलत हुआ उसकी जानकारी। बाद में वीसी से इस्तीफा लिया।
सत्यजीत रे, श्याम बेनेगल से थे करीबी रिश्ते
प्रो. माहेश्वरी के सत्यजीत रे, श्याम बेनेगल, कुमार साहनी जैसे फिल्मकारों से बेहद करीबी रिश्ते रहे। उन्होंने शबाना आजमी जैसी हस्तियों सहित कई देशों के राजदूतों को भी जोधपुर बुलाया।
- 30 जनवरी 1936 को जन्मे माहेश्वरी 1956 में इंजीनियरिंग कॉलेज में शिक्षक बने।
- 1967 में फिल्म सोसायटी की स्थापना की। अब तक 1500 देसी-विदेशी फिल्मों का प्रदर्शन।
- वर्ष 1996 में जेएनवीयू से रिटायर हुए। शिक्षक संघ के अध्यक्ष और सिंडीकेट के सदस्य भी रहे।

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