डूंगरपुर | अखिलराजस्थान प्रबोधक संघ का पहला राज्यस्तरीय अधिवेशन शुक्रवार
को वागड़ गांधी वाटिका में हुआ। इसमें 33 जिलों के करीब 2 हजार प्रबोधकों
ने भाग लिया। सम्मेलन को अखिल राजस्थान कर्मचारी महासंघ की ओर से समर्थन
दिया गया।
सम्मेलन में बताया गया कि प्रबोधक की पदोन्नति का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में उन्हें 9, 18, 27 का लाभ देते हुए वरिष्ठ प्रबोधक, शिक्षा अधिकारी तक का लाभ दिया जाए। प्रबोधकों के सेवानियम में स्थानांतरण का प्रावधान नहीं है, जिसे हटाकर उन्हें भी तृतीयश्रेणी शिक्षक के समान लाभ दिया जाए। सम्मेलन में राज्यस्तर पर प्रबोधकों की ओर से किए गए श्रेष्ठ कार्य के लिए प्रमाण-पत्र के साथ सम्मानित किया गया। डाइट डूंगरपुर के प्रभागाध्यक्ष धर्मेश जैन चंद्रशेखर दुबे ने अपनी वार्ता प्रस्तुत की। संचालन आरवीसिंह टोकवासा ने किया।
प्रदेश में 27 हजार प्रबोधक स्कूलों में कार्यरत
प्रबोधक संघ के विक्रमसिंह सायावत ने अपने संबोधन में बताया कि वर्ष 1998 में कांग्रेस सरकार के शासन में राजीव गांधी पाठशाला में पैराटीचर्स के रूप में नियुक्ति हुई थी। जिसमें राज्य सरकार की ओर से 1200 रुपए का वेतनमान दिया जाता था। इसमें करीब 32 हजार पैराटीचर्स अस्थाई थे। उनका संघर्ष 1999 से शुरू हुआ। जो करीब 7 वर्ष तक चलता। इस संघर्ष में अखिल राजस्थान कर्मचारी महासंघ एकीकृत का समर्थन मिला। वसुंधरा सरकार के सत्ता में आने के बाद वर्ष 2008 में विशेष विधि टीम गठित की। जिसमें प्रबोधकों के लिए विशेष सेवा नियम और कैडेर का गठन किया गया। जिसे प्रबोधक नाम दिया गया। इन्हें सरकारी स्कूलों में तृतीयश्रेणी शिक्षक के समान माना गया। सरकार की ओर से प्रबोधक के रूप में 27 हजार पैराटीचर्स को लाभ मिला। वे सरकारी स्कूलों में तृतीयश्रेणी शिक्षक के समान लाभ ले रहे हैं।
प्रबोधकों का मांग-पत्र- प्रबोधकों के सेवानियम में स्थानांतरण का प्रावधान नहीं है। जिसे हटाकर उन्हें भी तृतीयश्रेणी शिक्षक के समान लाभ दिया जाए। शिक्षा विभाग और उच्चाधिकारियों के नजर में प्रबोधक को नजरअंदाज किया जाता है। ऐसे में प्रत्येक आदेश में शिक्षक/प्रबोधक भी लिखा जाए। वंचित पैराटीचर्स, लोकजुम्बिश, अनुदेशक, शिक्षाकर्मी, विद्यार्थीमित्र, संघर्ष बेरोजगारों को नियमित किया जाए। प्रबोधक के पूर्व सेवालाभ को गिना जाए। प्रबोधक की पदोन्नति का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में उन्हें 9, 18, 27 का लाभ देते हुए वरिष्ठ प्रबोधक, शिक्षा अधिकारी तक का लाभ दिया जाए। कई जिलों में शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही से प्रबोधकों को समय पर वेतन नहीं मिलता है। ऐसे में इन उच्चाधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। प्रबोधकों को उनकी योग्यता के आधार पर शिक्षकों के समान स्तर दिया जाए। जिन शिक्षकों ने पोस्ट ग्रेजुएशन, कॉमर्स और अन्य वर्ग में डिग्री कॉर्स कर रखा है। उन्हें लेवल द्वितीय में रखा जाए। कई जिलों में काउसलिंग के नाम पर प्रबोधकों का स्थानांतरण कर दिया गया है, जो नियमों के खिलाफ है। उन्हें पुन: पुराने स्थानों पर नियुक्ति दी जाए। प्रबोधकों को कई जिलों में विभागीय लापरवाही से हटाया जाए। ऐसे में इन प्रबोधकों को पुन: लगाया जाए।
प्रबोधकों को पत्राचार से बीएड करने की छूट दी जाए। प्रबोधकों के वेतन संबंधित कई प्रकार की विसंगतियां हैं। जिन्हें 7वें वेतन आयोग से पहले हटाया जाए।
शैक्षणिक स्तर सुधारने का लिया संकल्प
सम्मेलन में वार्ताकार सीसीई के प्रभागाध्यक्ष ने सतत व्यापक मूल्यांकन पर शिक्षा के मॉड्युल को प्रस्तुत किया। जिसमें सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक स्तर को सुधारने में सीसीई की भूमिका को समझाया। वार्ता के बाद प्रबोधकों को कक्षा 1 से 5 तक बच्चों में पाठ पढ़ने की प्रवृत्ति को बढ़ाने का संकल्प दिलाया। जिससे प्रबोधकों की भूमिका को पूर्ण किया जाए।
यह रहे अतिथि : मुख्य अतिथि राजस्थान मंत्री वक्फ बोर्ड अध्यक्ष अबुबकर नकवी, अध्यक्षता अखिल राजस्थान कर्मचारी संघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रसिंह चौधरी और विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ भाजपा नेता शंकरसिंह सोलंकी, विधायक देवेंद्र कटारा, ग्रामीण मंडल अध्यक्ष रमेश जैन, प्रबोधक संघ प्रदेशाध्यक्ष केसरसिंह चंपावत, महासंघ जिलाध्यक्ष जितेश पंड्या, बांसवाड़ा अध्यक्ष विक्रमसिंह सायावत, सिरोही अध्यक्ष उदयसिंह, जयपुर अध्यक्ष विकास शर्मा, टोंक अध्यक्ष राजाराम जांगिड, बारां अध्यक्ष रविंद्र शर्मा, प्रबोधक संघ महामंत्री गुरुशरणसिंह थे। जिलाध्यक्ष देवेंद्र जैन ने अतिथियों का स्वागत किया।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
सम्मेलन में बताया गया कि प्रबोधक की पदोन्नति का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में उन्हें 9, 18, 27 का लाभ देते हुए वरिष्ठ प्रबोधक, शिक्षा अधिकारी तक का लाभ दिया जाए। प्रबोधकों के सेवानियम में स्थानांतरण का प्रावधान नहीं है, जिसे हटाकर उन्हें भी तृतीयश्रेणी शिक्षक के समान लाभ दिया जाए। सम्मेलन में राज्यस्तर पर प्रबोधकों की ओर से किए गए श्रेष्ठ कार्य के लिए प्रमाण-पत्र के साथ सम्मानित किया गया। डाइट डूंगरपुर के प्रभागाध्यक्ष धर्मेश जैन चंद्रशेखर दुबे ने अपनी वार्ता प्रस्तुत की। संचालन आरवीसिंह टोकवासा ने किया।
प्रदेश में 27 हजार प्रबोधक स्कूलों में कार्यरत
प्रबोधक संघ के विक्रमसिंह सायावत ने अपने संबोधन में बताया कि वर्ष 1998 में कांग्रेस सरकार के शासन में राजीव गांधी पाठशाला में पैराटीचर्स के रूप में नियुक्ति हुई थी। जिसमें राज्य सरकार की ओर से 1200 रुपए का वेतनमान दिया जाता था। इसमें करीब 32 हजार पैराटीचर्स अस्थाई थे। उनका संघर्ष 1999 से शुरू हुआ। जो करीब 7 वर्ष तक चलता। इस संघर्ष में अखिल राजस्थान कर्मचारी महासंघ एकीकृत का समर्थन मिला। वसुंधरा सरकार के सत्ता में आने के बाद वर्ष 2008 में विशेष विधि टीम गठित की। जिसमें प्रबोधकों के लिए विशेष सेवा नियम और कैडेर का गठन किया गया। जिसे प्रबोधक नाम दिया गया। इन्हें सरकारी स्कूलों में तृतीयश्रेणी शिक्षक के समान माना गया। सरकार की ओर से प्रबोधक के रूप में 27 हजार पैराटीचर्स को लाभ मिला। वे सरकारी स्कूलों में तृतीयश्रेणी शिक्षक के समान लाभ ले रहे हैं।
प्रबोधकों का मांग-पत्र- प्रबोधकों के सेवानियम में स्थानांतरण का प्रावधान नहीं है। जिसे हटाकर उन्हें भी तृतीयश्रेणी शिक्षक के समान लाभ दिया जाए। शिक्षा विभाग और उच्चाधिकारियों के नजर में प्रबोधक को नजरअंदाज किया जाता है। ऐसे में प्रत्येक आदेश में शिक्षक/प्रबोधक भी लिखा जाए। वंचित पैराटीचर्स, लोकजुम्बिश, अनुदेशक, शिक्षाकर्मी, विद्यार्थीमित्र, संघर्ष बेरोजगारों को नियमित किया जाए। प्रबोधक के पूर्व सेवालाभ को गिना जाए। प्रबोधक की पदोन्नति का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में उन्हें 9, 18, 27 का लाभ देते हुए वरिष्ठ प्रबोधक, शिक्षा अधिकारी तक का लाभ दिया जाए। कई जिलों में शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही से प्रबोधकों को समय पर वेतन नहीं मिलता है। ऐसे में इन उच्चाधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाए। प्रबोधकों को उनकी योग्यता के आधार पर शिक्षकों के समान स्तर दिया जाए। जिन शिक्षकों ने पोस्ट ग्रेजुएशन, कॉमर्स और अन्य वर्ग में डिग्री कॉर्स कर रखा है। उन्हें लेवल द्वितीय में रखा जाए। कई जिलों में काउसलिंग के नाम पर प्रबोधकों का स्थानांतरण कर दिया गया है, जो नियमों के खिलाफ है। उन्हें पुन: पुराने स्थानों पर नियुक्ति दी जाए। प्रबोधकों को कई जिलों में विभागीय लापरवाही से हटाया जाए। ऐसे में इन प्रबोधकों को पुन: लगाया जाए।
प्रबोधकों को पत्राचार से बीएड करने की छूट दी जाए। प्रबोधकों के वेतन संबंधित कई प्रकार की विसंगतियां हैं। जिन्हें 7वें वेतन आयोग से पहले हटाया जाए।
शैक्षणिक स्तर सुधारने का लिया संकल्प
सम्मेलन में वार्ताकार सीसीई के प्रभागाध्यक्ष ने सतत व्यापक मूल्यांकन पर शिक्षा के मॉड्युल को प्रस्तुत किया। जिसमें सरकारी स्कूलों के शैक्षणिक स्तर को सुधारने में सीसीई की भूमिका को समझाया। वार्ता के बाद प्रबोधकों को कक्षा 1 से 5 तक बच्चों में पाठ पढ़ने की प्रवृत्ति को बढ़ाने का संकल्प दिलाया। जिससे प्रबोधकों की भूमिका को पूर्ण किया जाए।
यह रहे अतिथि : मुख्य अतिथि राजस्थान मंत्री वक्फ बोर्ड अध्यक्ष अबुबकर नकवी, अध्यक्षता अखिल राजस्थान कर्मचारी संघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष महेंद्रसिंह चौधरी और विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ भाजपा नेता शंकरसिंह सोलंकी, विधायक देवेंद्र कटारा, ग्रामीण मंडल अध्यक्ष रमेश जैन, प्रबोधक संघ प्रदेशाध्यक्ष केसरसिंह चंपावत, महासंघ जिलाध्यक्ष जितेश पंड्या, बांसवाड़ा अध्यक्ष विक्रमसिंह सायावत, सिरोही अध्यक्ष उदयसिंह, जयपुर अध्यक्ष विकास शर्मा, टोंक अध्यक्ष राजाराम जांगिड, बारां अध्यक्ष रविंद्र शर्मा, प्रबोधक संघ महामंत्री गुरुशरणसिंह थे। जिलाध्यक्ष देवेंद्र जैन ने अतिथियों का स्वागत किया।
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