उदयपुर. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बदले हुए पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप को राजस्थान का गौरव नहीं माना है। बोर्ड ने कक्षा-9 की सामाजिक विज्ञान विषय की पुस्तक में "राजस्थान के गौरव' नाम से जोड़े गए अध्याय संख्या सात में महाराणा प्रताप का जिक्र तक नहीं किया है।
इस अध्याय में मेवाड़ से बापा रावल, मीरा बाई, पन्नाधाय, महाराणा सांगा सहित कई महापुरुषों और जननायकों की वीरता का चित्रण है, लेकिन प्रताप के शौर्य को नदारद कर दिया गया है। दैनिक भास्कर ने जब बोर्ड के पाठ्यक्रम से जुड़े अधिकारियों से बातचीत की तो उन्होंने भी इसे हैरानीजनक माना और कहा कि ऐसा नहीं हो सकता।
बोर्ड में पाठ्यक्रम के जानकारों का कहना है कि राज्य सरकार ने इस बार नई पुस्तकों की रूपरेखा और उनका निर्माण एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) के तत्वावधान में तैयार नहीं कराया है। पाठ्यक्रम को स्थानीय शिक्षकों ने तैयार किया है। यही वजह है कि पुरानी पुस्तकों की तरह नई पुस्तकों को एनसीईआरटी का कहीं उल्लेख तक नहीं है।
"हिटलर' की आलोचना को भी हटाया
कक्षा 9 सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में “हिटलर के उदय’ अध्याय को हटा दिया है। पुरानी पुस्तक में हिटलर की नीति, उसके उत्थान के प्रतिकूल असर और विश्वयुद्ध भड़काने वाली भूमिका का जिक्र था। इसके अलावा फ्रांस, रूस और जर्मनी की क्रांति के अध्यायों से ऐसे तथ्य हटा दिए गए हैं जिनमें समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों का जिक्र था। आपदा प्रबंधन पर पहले अलग से एक पुस्तक थी, लेकिन अब नई पुस्तक में इसे एक अध्याय में ही समेट दिया।
इस बार सिर्फ प्रदेश के ही स्कूल-कॉलेज व्याख्याताओं से लिखवाई पुस्तकें
पुरानी पुस्तकों में राजस्थान के किसी प्रोफेसर या फिर शिक्षाविद का नाम तक नहीं है, लेकिन इस बार सभी नई पुस्तकें भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर, उदयपुर जिलों के स्कूल व कॉलेज व्याख्याता से लिखवाई गई हैं। इस पर शिक्षाविद सवाल उठा रहे हैं कि प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर को क्यों नहीं बुलाया गया।
रूस की क्रांति भी पुस्तक से हटी
नई पुस्तक में रूस की बोल्शेविक क्रांति से संबंधित उन अध्यायों को भी हटा दिया गया है, जिन्होंने पूरे विश्व इतिहास पर असर डाला और सरदार भगतसिंह जैसे क्रांतिकारियों को प्रभावित किया।
पुरानी पुस्तकें जर्मनी विवि, जेएनयू, कलकत्ता विवि, एनसीईआरटी के प्रोफेसर से लिखवाई थी
बोर्ड ने इस बार बदली गई सभी पुस्तकों की निर्माण समिति में राजस्थान के बाहरी राज्यों के लेखकों का बिल्कुल सहयोग नहीं लिया है। इससे पहले बोर्ड ने देश-विदेश के वरिष्ठ प्रोफेसर और शिक्षाविदों काे बुलाया था। इसमें देश के प्रतिष्ठित जेएनयू विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय, जामिया-मिलिया-इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज मुम्बई, रीजनल इंस्टीट्यूट Ÿ’फ एजुकेशन भुवनेश्वर, हनोवर विश्वविद्यालय जर्मनी, एनसीईआरटी नई दिल्ली, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग आदि के प्रोफेसर्स से पुस्तकें लिखवाई गई थी।
बोर्ड चेयरमैन डॉ. बी.एल. चौधरी से सवाल
भास्कर : क्या महाराणा प्रताप राजस्थान के गौरव नहीं है?
चेयरमैन : गौरव हैं।
चेयरमैन : गौरव हैं।
भास्कर : तो ‘राजस्थान के गौरव’ चैप्टर में उनका उल्लेख क्यों नहींω?
चेयरमैन : क्योंकि प्राइमरी की नई पुस्तकों में महाराणा प्रताप के बारे में काफी विस्तार से जानकारी जोड़ी गई है, इसलिए जरूरत नहीं पड़ी।
चेयरमैन : क्योंकि प्राइमरी की नई पुस्तकों में महाराणा प्रताप के बारे में काफी विस्तार से जानकारी जोड़ी गई है, इसलिए जरूरत नहीं पड़ी।
भास्कर : इस बार जेएनयू, कलकत्ता और एनसीईआरटी आदि के प्रोफेसर व शिक्षाविदों पुस्तक निर्माण में क्यों नहीं है?
चेयरमैन : राजस्थान की भाषागत एवं सांस्कृतिक स्थितियों का प्रतिनिधित्व जरूरी थी। इसलिए बाहरी प्रोफेसर की जरूरत नहीं पड़ी।
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चेयरमैन : राजस्थान की भाषागत एवं सांस्कृतिक स्थितियों का प्रतिनिधित्व जरूरी थी। इसलिए बाहरी प्रोफेसर की जरूरत नहीं पड़ी।
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