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Friday 5 August 2016

डेढ़ लाख शिक्षकों की पोस्टिंग में पारदर्शिता देखकर दूसरे राज्य भी लागू करेंगे सिस्टम

राज्य सरकार की ओर से पिछले दिनों शिक्षा में लागू किए गए नवाचारों को अब दूसरे प्रदेश भी अपनाएंगे। पाठ्यक्रम में महापुरुषों की जीवनी शामिल करने और पारदर्शी तरीके से शिक्षकों की काउंसलिंग की प्रक्रिया को भाजपा शासित अन्य राज्य भी लागू कर सकते हैं। प्रदेश में पिछले दिनों पदोन्नति, अधिशेष शिक्षक और नई भर्तियों के करीब डेढ़ लाख शिक्षकों को काउंसलिंग के जरिए पदस्थापन दिया गया।
प्रदेश में इसका कहीं भी विरोध नहीं हुआ। शिक्षक संगठनों ने भी इसकी सराहना की। साथ ही सरकार को 150 करोड़ रुपए से अधिक का यात्रा भत्ता और पीएल का फायदा हुआ। काउंसलिंग से ना केवल भ्रष्टाचार खत्म हुआ, बल्कि शिक्षकों को मनचाहे स्थान पर पोस्टिंग मिली।

^जब सत्ता संभाली थी, प्रदेश में शिक्षा का ढांचा चरमराया था। स्कूलों में ना शिक्षक थे और ना ही सुविधाएं। बच्चों में देशभक्ति की भावना भरने वाला सिलेबस तैयार किया। हमने पाठ्यक्रम का भगवाकरण नहीं, बल्कि इसका भारतीयकरण किया है। नए पाठ्यक्रम से राष्ट्रवाद के साथ-साथ आध्यात्मिक जुड़ाव की भावना पैदा होती है। -प्रो. वासुदेव देवनानी, शिक्षा राज्यमंत्री

शिक्षा विभाग में हुए कई बदलाव

>वर्ष 2012 से पहले नियुक्त तृतीय श्रेणी शिक्षकों के विषय तय नहीं थे। पहली बार प्रदेश में सेकंड लेवल में सभी शिक्षकों के विषय तय किए गए और उन्हें उनके विषय के पद पर ही पोस्टिंग दी गई।

> शिक्षा विभाग ने 70 हजार स्कूलों का डाटा ऑनलाइन कर दिया। माध्यमिक शिक्षा के लिए शाला दर्पण और प्रारंभिक शिक्षा के लिए शालादर्शन नामक पोस्टल तैयार कराया गया।

> स्कूलों में बच्चों की संख्या के अनुपात में शिक्षक लगाने के लिए स्टाफिंग पैटर्न नाम की व्यवस्था लागू की।

> शिक्षक भर्ती में परीक्षा खत्म कर आरटेट और रीट की मेरिट से ही शिक्षक भर्ती कराने का ऐतिहासिक फैसला लिया।

पाठ्यक्रम को राष्ट्रवाद-आध्यात्म से जोड़ा

पाठ्यक्रममें बदलाव करके आध्यात्म के साथ देशभक्ति के पाठ और राष्ट्रीय गौरव से जुड़ी 200 हस्तियों के नाम जोड़े गए। श्यामा प्रसाद मुखर्जी, केएस सुदर्शन, पं.दीनदयाल उपाध्याय, सरदार पटेल, महाराणा प्रताप, गोविंद गुरु, हेमू कालाणी, भगवद् गीता, डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम, चाणक्य, अटल बिहारी वाजपेयी को पाठ्यक्रम में शामिल किया। विरोध के बावजूद स्कूलों में सूर्य नमस्कार लागू कराया गया। मॉडल स्कूलों के नाम स्वामी विवेकानंद के नाम पर और स्टेट ओपन भवन का नाम एकलव्य के नाम पर रखा गया।
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