जयपुर। लंबे समय से आंदोलनरत विद्यार्थी मित्रों के लिए अच्छी खबर है। उन्हें अस्थायी रूप से सरकारी स्कूलों में जोड़े जाने की तैयारी अंतिम चरण में है। करीब दो साल पहले सेवा से हटाए गए विद्यार्थी मित्रों के लिए आयोजित की गई विद्यालय सहायक भर्ती के कोर्ट में अटकने के बाद सरकार ने बीच का रास्ता निकालने के लिए विद्यार्थी मित्रों की सेवाएं लेने की योजना बनाई है।
मंत्रीमंडलीय उपसमिति की मई में आयोजित एक बैठक में विद्यार्थी मित्रों को फिर से सेवा में लेने पर मोहर लगाई गई थी। इसके बाद सरकार में इस मुद्दे पर विधिक राय भी ली। सरकार ने इनके लिए 143 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है जिसे वित्त विभाग की स्वीकृति मिलने का इंतजार है।
आंदोलन लाया रंग
विद्यार्थी मित्र पिछले कई दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके तहत जहां भी सरकार के मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सार्वजनिक कार्यक्रम में पहुंचते हैं वहां प्रदर्शन किया जाता है। राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ ने भी इनके समर्थन में विरोध की तैयारी शुरू कर दी है। गुरुवार को नागौर में गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के सामने भी विद्यार्थी मित्रों ने अपना पक्ष रखा था। कटारिया ने उन्हें आश्वासन दिया कि 15 दिनों में हल निकाल लिया जाएगा। वहीं शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी का भी कहना है कि जल्द ही अच्छे समाचार मिलेंगे।
क्या है मामला
राज्य में 2006-07 में स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने पर विद्यार्थी मित्र योजना लाई गई थी। इसके तहत प्रदेश भर में 30 हजार से अधिक विद्यार्थी मित्रों को स्कूलों में संविदा के आधार पर नियुक्त किया। 30 अप्रेल 2014 को सभी को कार्यमुक्त कर दिया। इससे पहले कांग्रेस सरकार ने विद्यार्थी मित्रों का असंतोष देखते हुए 34689 पदों की शिक्षा सहायक भर्ती निकाली। भर्ती बोनस अंकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अटक गई। इसे मौजूदा सरकार ने रद्द कर नए सिरे से विद्यालय सहायक भर्ती निकाली। 33489 पदों की भर्ती जुलाई 2015 में निकाली गई। प्रक्रिया में खामियों के कारण मामला फिर से कोर्ट में चला गया। फिलहाल इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
मंत्रीमंडलीय उपसमिति की मई में आयोजित एक बैठक में विद्यार्थी मित्रों को फिर से सेवा में लेने पर मोहर लगाई गई थी। इसके बाद सरकार में इस मुद्दे पर विधिक राय भी ली। सरकार ने इनके लिए 143 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है जिसे वित्त विभाग की स्वीकृति मिलने का इंतजार है।
आंदोलन लाया रंग
विद्यार्थी मित्र पिछले कई दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके तहत जहां भी सरकार के मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी और शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सार्वजनिक कार्यक्रम में पहुंचते हैं वहां प्रदर्शन किया जाता है। राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ ने भी इनके समर्थन में विरोध की तैयारी शुरू कर दी है। गुरुवार को नागौर में गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया के सामने भी विद्यार्थी मित्रों ने अपना पक्ष रखा था। कटारिया ने उन्हें आश्वासन दिया कि 15 दिनों में हल निकाल लिया जाएगा। वहीं शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी का भी कहना है कि जल्द ही अच्छे समाचार मिलेंगे।
क्या है मामला
राज्य में 2006-07 में स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने पर विद्यार्थी मित्र योजना लाई गई थी। इसके तहत प्रदेश भर में 30 हजार से अधिक विद्यार्थी मित्रों को स्कूलों में संविदा के आधार पर नियुक्त किया। 30 अप्रेल 2014 को सभी को कार्यमुक्त कर दिया। इससे पहले कांग्रेस सरकार ने विद्यार्थी मित्रों का असंतोष देखते हुए 34689 पदों की शिक्षा सहायक भर्ती निकाली। भर्ती बोनस अंकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अटक गई। इसे मौजूदा सरकार ने रद्द कर नए सिरे से विद्यालय सहायक भर्ती निकाली। 33489 पदों की भर्ती जुलाई 2015 में निकाली गई। प्रक्रिया में खामियों के कारण मामला फिर से कोर्ट में चला गया। फिलहाल इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित है।
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