जयपुर.राज्य सरकार की ओर से शिक्षा विभाग में पिछले ढाई सालों में की गई 72 हजार पदोन्नतियों और 36 हजार नई भर्तियों से स्कूलों में शिक्षक पहुंचने लगे हैं। इससे स्कूलों में शिक्षा का माहौल बना है और विद्यार्थियों के शैक्षिक स्तर में भी सुधार हुआ है। सरकार को शिक्षकों के 50 फीसदी खाली पद विरासत में मिले थे।
वर्तमान में चल रही भर्तियां पूरी होने के बाद नवंबर तक स्कूलों में केवल 11 फीसदी पद ही खाली रहेंगे। खाली पद भरने के लिए लगातार किए प्रयासों का नतीजा यह निकला कि वर्ष 2013 से पहले नामांकन के लिए तरस रहे सरकारी स्कूलों में अब 9 लाख विद्यार्थियों का नामांकन बढ़ गया। कक्षा 11 में ही एक लाख से अधिक विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। सरकार ने दो साल में स्कूलों के विकास पर 1500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जो पिछले सालों में सर्वाधिक है।
शिक्षा विभाग की ओर से उपलब्धियों पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह सामने आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूलों में बने शैक्षिक माहौल के कारण दसवीं का परिणाम 60 से बढ़कर 73 फीसदी और बारहवीं का 78 से बढ़कर 88 फीसदी पर पहुंच गया। मैरिट में सरकारी स्कूलों के नाम आने का अकाल भी खत्म हो गया और बारहवीं कला वर्ग में ही पहले तीन स्थानों में से 2 पर सरकारी स्कूलों ने कब्जा जमाया। आदर्श स्कूल योजना और उत्कृष्ट विद्यालय योजना से भी अभिभावकों का सरकारी स्कूलों के प्रति रुझान बढ़ा है।
2013 से पहले स्थिति
- स्कूलों का असमान वितरण। जरूरत से अधिक स्कूल। औसतन 2.21 स्कूल हर ग्राम पंचायत में अधिक था।
- 28013 स्कूलों में 30 से और 4164 स्कूलों में 15 से कम नामांंकन था। 142 स्कूलों में 0 नामांकन था।
- स्कूलों में उपलब्ध संसाधन का समुचित उपयोग नहीं हो रहा था।
- स्कूलों में योजनाबद्ध तरीके से शिक्षकों के पद स्वीकृत नहीं थे।
- स्कूलों में न पर्याप्त कक्षा कक्ष था और ना ही कंप्यूटर।
- 12वीं तक पढ़ाई के लिए कम से कम दो स्कूल बदलने पड़ते थे।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
वर्तमान में चल रही भर्तियां पूरी होने के बाद नवंबर तक स्कूलों में केवल 11 फीसदी पद ही खाली रहेंगे। खाली पद भरने के लिए लगातार किए प्रयासों का नतीजा यह निकला कि वर्ष 2013 से पहले नामांकन के लिए तरस रहे सरकारी स्कूलों में अब 9 लाख विद्यार्थियों का नामांकन बढ़ गया। कक्षा 11 में ही एक लाख से अधिक विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया। सरकार ने दो साल में स्कूलों के विकास पर 1500 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जो पिछले सालों में सर्वाधिक है।
शिक्षा विभाग की ओर से उपलब्धियों पर तैयार की गई एक रिपोर्ट में यह सामने आया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूलों में बने शैक्षिक माहौल के कारण दसवीं का परिणाम 60 से बढ़कर 73 फीसदी और बारहवीं का 78 से बढ़कर 88 फीसदी पर पहुंच गया। मैरिट में सरकारी स्कूलों के नाम आने का अकाल भी खत्म हो गया और बारहवीं कला वर्ग में ही पहले तीन स्थानों में से 2 पर सरकारी स्कूलों ने कब्जा जमाया। आदर्श स्कूल योजना और उत्कृष्ट विद्यालय योजना से भी अभिभावकों का सरकारी स्कूलों के प्रति रुझान बढ़ा है।
2013 से पहले स्थिति
- स्कूलों का असमान वितरण। जरूरत से अधिक स्कूल। औसतन 2.21 स्कूल हर ग्राम पंचायत में अधिक था।
- 28013 स्कूलों में 30 से और 4164 स्कूलों में 15 से कम नामांंकन था। 142 स्कूलों में 0 नामांकन था।
- स्कूलों में उपलब्ध संसाधन का समुचित उपयोग नहीं हो रहा था।
- स्कूलों में योजनाबद्ध तरीके से शिक्षकों के पद स्वीकृत नहीं थे।
- स्कूलों में न पर्याप्त कक्षा कक्ष था और ना ही कंप्यूटर।
- 12वीं तक पढ़ाई के लिए कम से कम दो स्कूल बदलने पड़ते थे।
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