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Wednesday 13 July 2016

जूनियर प्रबोधक को सीनियर से ऊपर कर दे दिया अनुचित लाभ

अजमेर. अजमेर में हो रही प्रारंभिक शिक्षा की लेवल एक व प्रबोधक की काउंसलिंग में नियमों को धता बताते हुए सीनियर प्रबोधक को जूनियर से नीचे कर अनुचित लाभ देने का मामला सामने आया है। मामले में न केवल अधिशेष की सूची को ही बदल दिया गया, बल्कि प्रबोधक कृष्णा वर्मा की कार्यग्रहण करने की तारीख में हेरफेर कर तीन साल बाद की कर दी और सूची की क्रम संख्या भी बदलकर उसे वरीयता से नीचे कर दिया गया।

यह है मामला
इससे अपने को उपकृत कर प्रबोधक उर्मिला को ग्राम पंचायत से बाहर जाकर शहर की घूघरा घाटी के पास बंदिया स्कूल में लगा दिया गया। 8 जुलाई को हुई काउंसलिंग में कृष्णा वर्मा को रामावि रसूलपुरा से अधिशेष घोषित कर सूची जारी की गई थी। इस सूची में कृष्णा वर्मा को क्रम संख्या 685 पर रखा गया था। सूची में कृष्णा वर्मा की जन्मतिथि 19.6.69 व प्रथम कार्यग्रहण तिथि 1.10.2008 अंकित की गई थी, जो कि सेवा रिकाॅर्ड के अनुसार एकदम सही है। इसी सूची में क्रम संख्या 692 पर प्रबोधक उर्मिला को जन्मतिथि 7.1.79 व प्रथम कार्यग्रहण 1.10.2008 के साथ रामावि छातड़ी से अधिशेष कर शामिल किया गया। चूंकि कृष्णा वर्मा का ब्योरा सूची में सही अंकित था व उनसे कनिष्ठ भी सूची में उनके नाम के बाद अंकित थे। इसके चलते कृष्णा वर्मा ने विभाग की सूची को सही मानते हुए कोई आपत्ति नहीं दी।
उड़े होश, बीईईओ ने मानी गलती
कृष्णा वर्मा 8 जुलाई को निर्धारित समय पर काउंसलिंग में पहुंची तो ये देखकर उसके होश उड़ गए कि उससे सात वरीयता नीचे वाली प्रबोधक उर्मिला का नाम उनसे ऊपर है। साथ ही काउंसलिंग स्थान पर चस्पा सूची में कृष्णा वर्मा की प्रथम कार्यग्रहण दिनांक को बदलकर 1.7.2011 कर दी गई है, ताकि अन्य कृष्णा वर्मा से वरिष्ठ हो जाएं। इस त्रुटिपूर्ण सूची की शिकायत जब वहां बैठे अधिकारियों से की गई तो पहले तो उन्होंने कुछ सुनवाई नहीं की तथा आपत्ति भी नहीं ली। जब शिक्षिका ने अपने परिजनों के साथ विरोध किया तो उनकी अर्जी ली गई, लेकिन उस पर टालमटोल करते रहे। परिजनों द्वारा ज्यादा विरोध करने पर श्रीनगर बीईईओ अशाेक शर्मा ने प्रबोधक वर्मा की आपत्ति को सही मानते हुए अपनी गलती स्वीकार की और कहा कि मेरे कार्यालय द्वारा गलत एंट्री हुई है, जिससे कृष्णा वर्मा को नुकसान हुआ है।
वापस वरीयता में लिया
प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने गलती मानते हुए कृष्णा वर्मा को 72 ए नंबर देकर काउंसलिंग में भेजा, परंतु जैसा कि तय था कृष्णा वर्मा को काउंसलिंग में जाने की अनुमति से पूर्व ही अधिकारियों ने अपने कृपा पात्र उर्मिला की काउंसलिंग कर ली और शहर के नजदीक बंदिया स्कूल आवंटित कर दिया गया। अधिकारी सिर्फ यहीं नहीं रुके, उन्होंने अपने कृपा पात्र को सिर्फ वरीयता सूची में ही अनुचित लाभ नहीं दिलवाया, बल्कि शिक्षा सचिव के आदेशों को भी अनदेखा किया। काउंसलिंग आदेश में स्पष्ट है कि प्रबोधक को कार्यरत पंचायत में ही पदस्थापित किया जाना है। प्रबोधक उर्मिला छातड़ी पंचायत में कार्यरत है और बंदिया इस ग्राम पंचायत का गांव नहीं है। इसके बावजूद उसे वहां लगा दिया गया, जबकि इसके उलट कृष्णा वर्मा रसूलपुरा में कार्यरत है और बंदिया इसी ग्राम पंचायत का गांव है और नियमानुसार कृष्णा वर्मा को ही बंदिया आवंटित किया जाना था।

क्या कहते हैं अधिकारी
श्रीनगर के बीईईओ अशोक शर्मा ने इस मामले में पूछने पर पहले कहा कि हां इस मामले में गलती हो गई है लेकिन बाद में बोले, मैं इस मामले में कुछ भी बोलने के लिए अधिकृत नहीं हूं।
न्याय दिलवाया जाएगा
प्रारंभिक शिक्षा के डीईओ रतन सिंह यादव ने कहा है कि मामला जानकारी में आया है। 8 जुलाई की जो काउंसलिंग हुई है, उसे दिखवाया जाएगा। अगर गड़बड़ी सामने आती है तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और प्रबोधक को न्याय दिलवाया जाएगा।
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