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शिक्षा विभाग का कारनामा : सामान्य शिक्षक को बना दिया दिव्यांग

अलवर. शिक्षा विभाग में स्टाफिंग पैटर्न के तहत चल रही ऑनलाइन काउंसलिंग की प्रक्रिया शनिवार को  पात्रता सूची में अनियमितताओं की भेंट चढ़ गई। चस्पा सूची में प्रथम क्रमांक नम्बर के लिए एक भले-चंगे शिक्षक को दिव्यांग दर्शा दिया तो किसी शिक्षक का तीन-तीन जगह नाम लिखा हुआ मिला।
कुछ माह बाद ही सेवानिवृत्त होने वाले  कई शिक्षकों को भी काउंसलिंग में बुला दिया गया। इसके चलते करीब साढ़े चार घंटे तक ये प्रक्रिया रुकी रही। सूची में संशोधन के बाद काउंसलिंग शुरू हो सकी। 
दरअसल, लेवल-2 हिन्दी विषय की ऑनलाइन काउंसलिंग के लिए शनिवार सुबह 9 बजे रजिस्ट्रेशन प्रारम्भ होने थे। यहां 245 शिक्षकों की काउंसलिंग होनी थी, लेकिन भारी संख्या में शिक्षक पहुुंच गए। रजिस्ट्रेशन के समय पात्रता सूची में पहला नाम दिव्यांग के लिए आरक्षित क्रमांक नम्बर 1 में सुनील यादव का था, जबकि वह शिक्षक भला-चंगा घूम रहा था।
इसी प्रकार कई शिक्षकों की नियुक्ति तिथि वास्तविक तिथि से पहले दिखाने, वरिष्ठ शिक्षकों को पात्रता सूची में नाम नहीं होने के कारण और बहुत सी अनियमितताएं होने के कारण शिक्षक नेताओं का रोष फूट गया। पंचायती राज शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद गुर्जर, शिक्षक संघ सियाराम के  जिलाध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा, शिक्षक नेता देवेन्द्र धार, लालाचंद सैनी ने मंच पर चढ़कर इसका भारी विरोध किया और खामियां दुरुस्त नहीं होने तक काउंसलिंग नहीं होने देने की बात कही। शिक्षकों के रोष को देखते हुए काउंसलिंग रोकनी पड़ी।
शाम तक चली काउंसलिंग
इसके बाद सभी शिक्षकों से परिवेदनाएं ली गई और आनन-फानन में फिर संशोधित सूची लगाई गई। इसमें कथित दिव्यांग शिक्षक सहित एक और नाम को हटाया गया और कई नाम नए सिरे से जोड़े गए। पुरानी सूची में 35 संशोधन कर नई सूची चस्पा की, तब जाकर दोपहर ढाई बजे ऑनलाइन काउंसलिंग शुरू हो सकी, जो शाम छह बजे तक चलती रही। इसमें 249 शिक्षकों की काउन्सलिंग हुई।
कैंसर वाले को छूट, किडनी खराब वालों को नहीं
एक महिला शिक्षक विनिता ने अपनी परिवेदना देते समय बताया कि उसकी किडनी खराब है, इसको देखते हुए उस प्राथमिकता से पहले लिया जाए। इस पर एक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि 'कैंसर वालों को छूट है, किडनी खराब वालों को किसी प्रकार की छूट  नहीं है।
पात्रता सूची देखने आते रहे शिक्षक
रविवार को होने वाली काउन्सलिंग के लिए पात्रता सूची देर रात तक चस्पा नहीं  की गई। शिक्षकों का कहना है कि देर तक पात्रता सूची नहीं लगाए जाने से वे अन्य रिक्त स्थानों का विकल्प नहीं दे पाएंगे। वहीं इनमें होने वाली गलतियों का भी पता नहीं लग सकेगा।
गलतियों का गड़बड़झाला
  • प्राथमिकता में जूनियर व सीनियर कैडर को कई जगह नजरअंदाज किया गया। जूनियर का नाम पहले तो सीनियर का नाम बाद में हो गया।
  • कैटेगिरी वाइज होने वाली काउंसलिंग के लिए उनके प्रमाण पत्रों की गहनता से जांच ही नहीं की गई।
  • कई शिक्षकों के तो विषय ही गलत लिख दिए।
  • ब्लॉक व स्कूलों का नाम नहीं होने से कई शिक्षकों की पहचान ही नहीं हो पाई।
  • जो शिक्षक जिले में बाद में आए, उनकी सीनियरटी नियुक्ति तिथि से काउंट कर दी।
  • अनुदानित विद्यालयों के शिक्षकों की पोस्टिंग में भी खामियां मिली।

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