रक्तिम तिवारी/अजमेर। इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रबंधन शिक्षा की चाल बिगड़ गई है। केंद्रीकृत प्रबंध प्रवेश परीक्षा (सीमेट) की शुरुआत के बाद से कॉलेजों में मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) पाठ्यक्रम बदहाल है। अधिकांश कॉलेजों में सीटें नहीं भर रही। तीस प्रतिशत से कम प्रवेश पर पाठ्यक्रम बंद करने के आदेश हैं, फिर भी कॉलेज इन्हें बेवजह चला रहे हैं।
बड़लिया स्थित राजकीय बॉयज इंजीनियरिंग और माखूपुरा स्थित राजकीय महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में एमबीए पाठ्यक्रम संचालित है। यहां 60-60 सीट स्वीकृत हैं। तीन-चार वर्ष पूर्व तक कॉलेजों में इन पाठ्यक्रमों में प्रवेश होते रहे। वर्ष 2012-13 से केंद्रीकृत प्रबंध प्रवेश परीक्षा (सीमेट) शुरू होते ही प्रबंधन पाठ्यक्रम चौपट हो गया।
बंद कर दें पाठ्यक्रम
एमबीए पाठ्यक्रम की दुर्गति से तकनीकी शिक्षा विभाग भी चिंतित है। उसने साफ कहा कि जिन पाठ्यक्रमों में तीस प्रतिशत से कम दाखिले हैं, उन्हें तत्काल बंद कर दिया जाएगा। इसके बावजूद बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में पाठ्यक्रम संचालित है। यहां इस वर्ष मात्र 8 दाखिले हुए हैं। महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में एक भी प्रवेश नहीं हुआ है।
आरमेट सी दुर्गति
राज्य में पहले राजस्थान मैनेजमेंट एप्टीट्यूट टेस्ट (आरमेट) से प्रबंधन से इंजीनियरिंग, विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों में प्रवेश होते थे। विद्यार्थियों का आरमेट से मोहभंग होने पर संस्थाओं में सीमेट से दाखिलों की शुरुआत हुई। लेकिन यह परीक्षा भी एमबीए पाठ्यक्रम को फायदा नहीं पहुंचा पाई। नतीजतन महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में पाठ्यक्रम बंद हो गया। बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में एमबीए पाठ्यक्रम में 30 से 40 सीट खाली रहती हैं।
देना पड़ रहा फेकल्टी को वेतन
बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज में एमबीए विभाग में करीब 5 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें रीडर और लेक्चरर शामिल हैं। राज्य सरकार को प्रतिवर्ष लाखों रुपए वेतन चुकाना पड़ रहा है, जबकि प्रबंधन पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों का टोटा है। महिला इंजीनियरिंग कॉलेज में दो व्याख्याताओं को प्रथम वर्ष के कुछ विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है।
यह सही है कि एमबीए पाठ्यक्रम में विद्यार्थियों का रुझान नहीं है। सभी संस्थानों में स्थिति बहुत खराब है। तीस प्रतिशत से कम दाखिले पर कोर्स बंद करने या अपडेट करने के आदेश हैं। जल्द इस पर कोई विचार करेंगे।
डॉ. जे.पी. भामू, प्राचार्य, इंजीनियरिंग कॉलेज
विद्यार्थियों के घटते रुझान से हमारे यहां एमबीए बंद हो चुका है। फेकल्टी को दूसरे विषय पढ़ाने के लिए लगाया गया है।
डॉ. अजय सिंह जेठू, प्राचार्य, महिला इंजीनियरिंग कॉलेज
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