जोधपुर । राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में 27 व 30
जून को स्टाफिंग पैटर्न के तहत किए गए स्थानांतरणों के मामले में माध्यमिक
शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव व अन्य प्रतिवादीगण को नोटिस जारी कर जवाब
तलब किया है। अधिकरण ने परिवाद दायर करने वाले कर्मचारियों को
राहत देते हुए उनके तबादला आदेशों पर रोक लगाई है।
बीकानेर में अध्यापक ग्रेड द्वितीय के पद पर कार्यरत विजयपाल, रामनिवास, स्नेहलता व अन्य और सिरोही जिले में अध्यापक ग्रेड द्वितीय के पद पर कार्यरत महेन्द्रसिंह, रणछोड़, भरतसिंह व सुनीता चौधरी आदि कर्मचारियों का स्टाफिंग पैटर्न के तहत स्थानांतरण दूसरे विद्यालयों में स्कूल व्याख्याता (अध्यापक ग्रेड प्रथम) के पद पर कर दिया गया था, जो कि उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा के अधिकार क्षेत्र से बाहर था। ये कर्मचारी अध्यापक ग्रेड द्वितीय के पद पर कार्यरत थे, इनको अध्यापक ग्रेड द्वितीय के पद पर लगाया जा सकता था। उक्त कर्मचारियों ने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से अपने तबादला आदेशों को अधिकरण में चुनौती दी। उनका कहना था कि ये कर्मचारी न तो स्कूल व्याख्याता के पद पर पदोन्नत हुए हैं और न ही इसकी योग्यता रखते हैं। इन सबके उपरांत भी इन कर्मचारियों को स्कूल व्याख्याता के पद के विरुद्ध स्थानांतरित करना अनुचित है।
उनका यह भी तर्क था कि स्कूल व्याख्याता के पद पर स्थानांतरण का अधिकार केवल निदेशक माध्यमिक शिक्षा को ही है, न कि उपनिदेशक को। अधिकरण के सदस्य चन्द्रशेखर आजाद, सुनील धारीवाल व अनिल जैन ने याचिकाकर्ताओं के स्थानांतरण आदेशों पर रोक लगाते हुए माध्यमिक शिक्षा के संयुक्त सचिव व अन्य प्रतिवादीगण को नोटिस जारी करने के आदेश दिए।
बीकानेर में अध्यापक ग्रेड द्वितीय के पद पर कार्यरत विजयपाल, रामनिवास, स्नेहलता व अन्य और सिरोही जिले में अध्यापक ग्रेड द्वितीय के पद पर कार्यरत महेन्द्रसिंह, रणछोड़, भरतसिंह व सुनीता चौधरी आदि कर्मचारियों का स्टाफिंग पैटर्न के तहत स्थानांतरण दूसरे विद्यालयों में स्कूल व्याख्याता (अध्यापक ग्रेड प्रथम) के पद पर कर दिया गया था, जो कि उपनिदेशक माध्यमिक शिक्षा के अधिकार क्षेत्र से बाहर था। ये कर्मचारी अध्यापक ग्रेड द्वितीय के पद पर कार्यरत थे, इनको अध्यापक ग्रेड द्वितीय के पद पर लगाया जा सकता था। उक्त कर्मचारियों ने अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा के माध्यम से अपने तबादला आदेशों को अधिकरण में चुनौती दी। उनका कहना था कि ये कर्मचारी न तो स्कूल व्याख्याता के पद पर पदोन्नत हुए हैं और न ही इसकी योग्यता रखते हैं। इन सबके उपरांत भी इन कर्मचारियों को स्कूल व्याख्याता के पद के विरुद्ध स्थानांतरित करना अनुचित है।
उनका यह भी तर्क था कि स्कूल व्याख्याता के पद पर स्थानांतरण का अधिकार केवल निदेशक माध्यमिक शिक्षा को ही है, न कि उपनिदेशक को। अधिकरण के सदस्य चन्द्रशेखर आजाद, सुनील धारीवाल व अनिल जैन ने याचिकाकर्ताओं के स्थानांतरण आदेशों पर रोक लगाते हुए माध्यमिक शिक्षा के संयुक्त सचिव व अन्य प्रतिवादीगण को नोटिस जारी करने के आदेश दिए।
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