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Saturday 1 August 2015

नियम बदलते ही जेएनवीयू में लगे 29 ‘अयोग्य’ शिक्षक हो जाएंगे योग्य : राजस्थान शिक्षकों का ब्लॉग


जोधपुर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विश्वविद्यालयों में शिक्षक भर्ती के लिए वर्ष 2009 से पहले पीएचडी करने वालों को नेट-स्लेट से छूट देने की सिफारिश की है, इससे जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी में लगे 29 ‘अयोग्य’ शिक्षक योग्य की श्रेणी में आ जाएंगे। इन सभी की नियुक्ति विवादित मानी जा रही है। कारण कि इन्हें जब नियुक्ति दी गई, तब यूजीसी के नियमानुसार वर्ष 2009 से पीएचडी करने वालों को नेट-स्लेट क्लियर करना अनिवार्य था। ये सभी वर्ष 2009 से पहले पीएचडी कर चुके थे और नेट-स्लेट भी क्लियर नहीं किया था।
जेएनवीयू प्रशासन ने कुल 156 शिक्षकों की भर्ती की थी, उनमें ये 29 शिक्षक भी शामिल थे। भर्ती से पहले यूनिवर्सिटी ने शिक्षक भर्ती के ऑर्डिनेंस 317 में संशोधन किया था, जिसकी वैधानिक समितियों के बाद राजभवन से भी स्वीकृति ले ली गई थी। इससे इन शिक्षकों को नेट-स्लेट से छूट मिल गई थी। इस आधार पर नियमों को बदल कर नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण की गई। नियुक्ति प्रक्रिया से कई असंतुष्ट प्रतिभागी न्यायालय की शरण में गए। हाईकोर्ट ने एक प्रतिभागी की याचिका स्वीकार करते हुए गणित एवं सांख्यिकी विभाग की डॉ. फिरदौस अंसारी की नियुक्ति रद्द करने का फैसला सुनाया था। शिक्षक भर्ती के ऑर्डिनेंस 317 में किए गए संशोधन को गलत ठहराते हुए डॉ. फिरदौस की नियुक्ति रद्द हुई थी। इसके बाद करीब 30 अन्य असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्ति पर तलवार लटक गई थी। यूजीसी के नियम बदलने से शिक्षक भर्ती में अयोग्य माने जाने वाले 29 शिक्षक योग्य हो जाएंगे। 


क्या था यूजीसी का नियम
यूजीसी ने 12 अक्टूबर 2012 को एक नोटिस जारी कर सभी विश्वविद्यालयों को बताया कि वर्ष 2009 से पहले पीएचडी करने वाले अभ्यर्थी केवल नेट या स्लेट क्लियर करने के बाद ही योग्य माने जाएंगे। वर्ष 2009 के बाद पीएचडी करने वालों को नेट या स्लेट क्लियर करना आवश्यक नहीं होगा।  
सिफारिशों का किस पर क्या असर
1 ए : 11 जुलाई 2009 से पूर्व पीएचडी करने वाले पीएचडी धारकों को आचार्य पद के लिए नेट व स्लेट की बाध्यता से छूट दी जाए।
ये अयोग्य हो जाएंगे योग्य  
अर्थशास्त्र में डॉ. जया भंडारी,  डॉ. रजनीकांत त्रिवेदी, अंग्रेजी में डॉ. राखी व्यास व डॉ. विभा भूत, भूगोल में डॉ. ललितसिंह झाला, इतिहास में डॉ. प्रतिभा सांखला, डॉ. महेंद्र पुरोहित, व्यवसाय प्रशासन में डॉ. उम्मेदराज तातेड़, डॉ. आशा राठी, डॉ. रमेश चौैहान, वनस्पति शास्त्र में डॉ. रचना दिनेश, डॉ. कामना शर्मा, रसायन शास्त्र में डॉ. संगीता परिहार, डॉ. ओमप्रकाश, डॉ. अमिता धारीवाल, भूगर्भ शास्त्र में डॉ. वीरेंद्र परिहार, प्राणी शास्त्र में डॉ. लेखू गहलोत, डॉ. हेमसिंह गहलोत, डॉ. पूनम पूनिया, हिन्दी में डॉ. कामिनी ओझा व राजनीति विज्ञान में डॉ. नगेंद्रसिंह भाटी।
1 बी  : इसके तहत 11 जुलाई 2009 से पूर्व पीएचडी के लिए पंजीकृत पीएचडी स्कॉलर्स को पीएचडी के बाद आचार्य पद पर भर्ती के लिए नेट व स्लेट की बाध्यता से मुक्त कर दिया जाए।
ये अयोग्य हो जाएंगे योग्य :  अंग्रेजी विभाग के डॉ. रिचा बोहरा, वीनू जॉर्ज व हितेंद्र गोयल, व्यवसाय प्रशासन के डॉ. आशीष माथुर, केमिस्ट्री की डॉ. सीमा परवीन व भौतिक शास्त्र में डॉ. शिवकुमार बरवड़। 
1 सी : इसके तहत 11 जुलाई 2009 के बाद पीएचडी के लिए बिना प्री टेस्ट पंजीकृत अथवा पीएचडी करने वाले लोगों को अभी तक राहत नहीं दी गई है। इस पर विचार चल रहा है।
ये होंगे प्रभावित : साइकोलॉजी की डॉ. शरद शेखावत  व समाजशास्त्र के डॉ. राजेंद्रसिंह खींची।



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