पिछले 16 सालों में प्रदेश में चार सरकारें बन गई, लेकिन अब तक तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का कोई एक पैटर्न तय नहीं हो पाया। सरकार बदलने के साथ ही शिक्षक भर्ती का पैटर्न बदलता जाता है। इस बार राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) के पेपर लीक के बाद एक बार फिर शिक्षक भर्ती का पैटर्न बदलने की तैयारी है।
अब शिक्षक भर्ती के पुराने पैटर्न पर ही शिक्षक भर्ती हो सकती है। सरकार रीट के बाद शिक्षक भर्ती के लिए एक और परीक्षा का आयोजन कर सकती है। रीट को केवल पात्रता परीक्षा ही रखा जा सकता है। सरकार ने 14 व 15 मई को रीट के आयोजन का ऐलान कर रखा है। इसके बाद शिक्षकों के 20 हजार पदों पर भर्ती होनी है। इस भर्ती के लिए रीट के बाद एक और परीक्षा हो सकती है।
पिछले साल 12 नवंबर को शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में सीएम अशोक गहलोत की मौजूदगी में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए भविष्य में पात्रता परीक्षा के बाद चयन के लिए अलग से परीक्षा आयोजित कराने पर भी विचार किया गया था। इसके बाद से ही यह माना जा रहा है कि अब भविष्य में होने वाली भर्ती में रीट के बाद शिक्षक भर्ती के लिए अलग से परीक्षा होगी। वर्ष 2006 से वर्ष 2022 तक प्रदेश में चार सरकारें बन चुकी है। दो बार भाजपा और दो बार कांग्रेस। लेकिन किसी भी पार्टी की सरकार ने शिक्षक भर्ती का कोई एक पैटर्न तय नहीं किया।
सरकार बदलने के साथ ही इस तरह बदलता रहा है शिक्षक भर्ती का पैटर्न
2003 से 2008 तक भाजपा सरकार
भाजपा
सरकार ने अपने इस कार्यकाल में आरपीएससी के जरिए तृतीय श्रेणी शिक्षक
भर्ती कराई थी। वर्ष 2006 और 2008 में करीब 55 हजार पदों पर भर्ती की गई।
विशेषता:
इस भर्ती की मेरिट राज्य स्तर पर बनी थी। अभ्यर्थियों को अलग अलग जिलों से
फॉर्म नहीं भरना पड़ा। इससे उन पर आर्थिक भार नहीं पड़ा था। इस भर्ती में
कोई विवाद भी नहीं हुआ।
कमी: इस भर्ती में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी और बिना किसी विवाद के भर्ती प्रक्रिया पूरी हो गई थी।
2008 से 2013 तक कांग्रेस सरकार
वर्ष
2008 में कांग्रेस सरकार आई। भर्ती का पैटर्न भी बदल गया। शिक्षक पात्रता
परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी किया।र 2011 व 2012 में आरटेट का आयोजन किया।
शिक्षक भर्ती के लिए अलग से भर्ती परीक्षा कराई। परीक्षा का जिम्मा जिला
परिषदों को दे दिया गया। मेरिट भी जिलावार ही बनाई गई।
विशेषता: इस भर्ती में कोई विशेषता नहीं थी।
कमियां:
परीक्षा में कई जिलों में सवालों के जवाब को लेकर भारी आपत्तियां सामने
आई। कई जिलों में परीक्षा का परिणाम कई बार संशोधित किया गया।
2013 से 2018 तक भाजपा सरकार
2013
में फिर भाजपा सत्ता में आई। शिक्षक पात्रता परीक्षा का नाम आरटेट से
बदलकर रीट कर दिया। रीट के अंकों के आधार पर ही भर्ती का नया फार्मूला लागू
किया। अलग से शिक्षक भर्ती परीक्षा करने का प्रावधान खत्म किया। 2016 में
15 हजार और 2018 में 54 हजार पदों पर भर्ती निकाली गई।
विशेषता: इसमें मेरिट राज्यस्तर पर बनाई गई।
कमी: इस भर्ती में रीट के अंकों के आधार पर ही मेरिट बनाने का नियम लागू हुआ। इस पर कई विवाद हुए। मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया।
2018 से अब तक
2018
में फिर से कांग्रेस सत्ता में आई और फिर पैटर्न बदल गया। 2021 में शिक्षक
भर्ती के लिए रीट का आयोजन किया। सरकार ने वर्ष 2022 में तृतीय श्रेणी
शिक्षकों के 32 हजार पदों पर भर्ती निकाली। इसमें लेवल-1 के पैटर्न में तो
कोई बदलाव नहीं किया। लेकिन लेवल-2 में रीट के अंकों का 90% और स्नातक के
अंकों का 10 प्रतिशत वेटेज जोड़कर मेरिट बनाने का निर्णय किया।
विशेषता: भर्ती की एकमात्र विशेषता है कि इसमें राज्यस्तर पर ही मेरिट बनाई जाएगी।
कमी: पेपर लीक गिरोह सक्रिय हुए। 3 दर्जन लोग गिरफ्तार। बोर्ड अध्यक्ष बर्खास्त और सचिव निलंबित हुए।
- शिक्षक पात्रता के बाद भर्ती के लिए अलग से परीक्षा होनी चाहिए। लेकिन यह प्रोसेस लंबा हो जाएगा। इसलिए सरकारों को चाहिए कि एक कैलेंडर बनाकर हर साल रीट व शिक्षक भर्ती की जाए। क्योंकि कई सालों पर भर्ती होने से अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ जाती है। - नंद सिंह नरूका, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड
- सरकारों को राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता के साथ शिक्षक भर्ती के लिए कोई मजबूत व पारदर्शी पैटर्न विकसित करना चाहिए। भर्ती का पैटर्न भी बार बार नहीं बदलना चाहिए। क्योंकि बार बार पैटर्न बदलने से अभ्यर्थी भ्रमित होते हैं। - डॉ. आरडी सैनी, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान लोकसेवा आयोग
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