जेएनवीयू सिंडिकेट की बैठक पूरे ़1 साल बाद सोमवार को हुई। इसमें शिक्षक
भर्ती से जुड़े एजेंडे को तो हटा ही दिया गया। सभी शिक्षकों को सातवें वेतन
आयोग का लाभ देने का निर्णय जरूर लिया गया।
इसके साथ ही पूर्व कुलपति प्रो. आरपी सिंह के कार्यकाल के दौरान हुए वित्तीय व प्रशासनिक कार्यों की जांच करने के लिए राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भिजवाने का निर्णय लिया गया। केंद्रीय कार्यालय स्थित डाॅ. राधाकृष्णन सभागार में कुलपति प्रो. गुलाबसिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित सिंडिकेट बैठक में निर्णय हुआ कि सरकार को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर भिजवाया जाएगा कि वह एक कमेटी का गठन करे। यह कमेटी आरपी सिंह के पूरे 3 वर्ष के कार्यकाल की जांच करेगी। बैठक में 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग का लाभ लेने का निर्णय लिया गया पर वास्तविकता में यह 1 जनवरी 2017 से शिक्षकों को दिया जाएगा। खास बात यह है कि इसमें शिक्षक भर्ती 2012-13 में आए शिक्षकों को भी यह लाभ मिलेगा। इसके अलावा सामूहिक नकल के मामलों में पकड़े गए 12 कॉलेजों को लेकर एक कमेटी बनाकर 15 दिन में रिपोर्ट पेश करने का निर्णय लिया गया। तब तक उक्त कॉलेजों में प्रवेश पर रोक रहेगी। इसके अलावा 30 सितंबर तक बजट पेश करने के लिए कुलपति प्रो. चौहान को अधिकृत किया गया है।
गत सिंडिकेट के मिनट्स को कंफर्म नहीं किया- वहीं गत सिंडिकेट बैठक के मिनट्स और कार्रवाई को कंफर्म नहीं किया गया। यह आगामी बैठक में लेने पर सहमति व्यक्त की गई। बैठक में सिंडिकेट सदस्य विधायक मनीषा पंवार, किशनाराम विश्नोई, प्रो. विनोदकुमार शर्मा, प्रो. विजय सिंह, प्रो. केएन उपाध्याय, प्रो. सोहनलाल मीणा, प्रो. चैनाराम चौधरी व प्रो. परबतसिंह चारण मौजूद थे।
राजभवन के आदेश नकारे, भर्ती प्रक्रिया में शामिल शिक्षकों को हटाना दूर, लाभ दिया
सिंडिकेट के एजेंडे को बदलकर हुई बैठक को लेकर राजभवन में शिकायत हुई है। सिंडिकेट की बैठक में प्रो. पीके दशोरा कमेटी की रिपोर्ट पेश होनी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर राजभवन ने 15 जून 2018 को और तत्कालीन राज्य सरकार ने गत वर्ष 5 जुलाई को पत्र लिखकर विवि प्रशासन को भर्ती प्रक्रिया 2012-13 में चयनित शिक्षकों को हटाने को कहा था। लेकिन विवि प्रशासन ने बैठक में इस एजेंडे को शामिल ही नहीं किया। उलटा इन शिक्षकों को भी 7वें वेतन आयोग का लाभ देने का निर्णय लिया है। जबकि राजभवन व सरकार के आदेशों की पालना कुलपति और कुलसचिव को करनी होती है।
(1 वर्ष पहले)
फिर शुरू हो सकता है फार्मेसी कोर्स, छात्रों का प्रदर्शन सिंडिकेट में उठी मांग तो कुलपति ने दिया आश्वासन
जोधपुर| जेएनवीयू एडमिशन बोर्ड के निर्णय के उलट अब फार्मेसी विभाग को पुन: शुरू कर सकता है। सिंडिकेट बैठक में प्रतिनिधि विधायकों ने कोर्स दुबारा शुरू करने की बात रखी। मुद्दा एजेंडे में नहीं होने के बावजूद वीसी ने आश्वासन दिया। हालांकि देर रात गतिराेध जारी था। विवि के केंद्रीय कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में छात्र अपने-अपने प्रतिनिधियों के साथ पहुंचे। यहां वीसी व विवि प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। छात्र पुलिस की बस पर चढ़ गए और फार्मेसी विभाग को बंद नहीं करने की चेतावनी दी। करीब दो घंटे छात्र प्रदर्शन करते रहे। एक-डेढ़ घंटे बाद सिंडिकेट बैठक बीच में छोड़ विधायक व सिंडिकेट प्रतिनिधि किशनाराम विश्नोई और मनीषा पंवार बाहर आए। इन्होंने छात्रों से वार्ता की और कहा कि सिंडिकेट में मुद्दा उठा दिया है कि कोर्स बंद नहीं होना चाहिए और आश्वासन भी मिला है। पीआरओ रामनिवास ग्वाला ने बताया कि वीसी ने आश्वासन दे दिया है।
छात्र 1 माह से कर रहे प्रदर्शन
फार्मेसी विभाग बंद करने के निर्णय का 1 माह से कई छात्रों ने अलग-अलग तरीके से विरोध किया। साेमवार काे केंद्रीय कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के दौरान कई बार स्थिति उग्र हुई पर पुलिस तैनात होने से स्थिति काबू रही। यहां एनएसयूआई पदाधिकारी व छात्रों का गुट सहित छात्रसंघ पदाधिकारी बबलू सोलंकी, दिनेश पंचारिया, रवींद्रसिंह, भूपेंद्र सांकड़ा सहित कई छात्रों ने प्रदर्शन किया।
इसके साथ ही पूर्व कुलपति प्रो. आरपी सिंह के कार्यकाल के दौरान हुए वित्तीय व प्रशासनिक कार्यों की जांच करने के लिए राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भिजवाने का निर्णय लिया गया। केंद्रीय कार्यालय स्थित डाॅ. राधाकृष्णन सभागार में कुलपति प्रो. गुलाबसिंह चौहान की अध्यक्षता में आयोजित सिंडिकेट बैठक में निर्णय हुआ कि सरकार को सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर भिजवाया जाएगा कि वह एक कमेटी का गठन करे। यह कमेटी आरपी सिंह के पूरे 3 वर्ष के कार्यकाल की जांच करेगी। बैठक में 1 जनवरी 2016 से 7वें वेतन आयोग का लाभ लेने का निर्णय लिया गया पर वास्तविकता में यह 1 जनवरी 2017 से शिक्षकों को दिया जाएगा। खास बात यह है कि इसमें शिक्षक भर्ती 2012-13 में आए शिक्षकों को भी यह लाभ मिलेगा। इसके अलावा सामूहिक नकल के मामलों में पकड़े गए 12 कॉलेजों को लेकर एक कमेटी बनाकर 15 दिन में रिपोर्ट पेश करने का निर्णय लिया गया। तब तक उक्त कॉलेजों में प्रवेश पर रोक रहेगी। इसके अलावा 30 सितंबर तक बजट पेश करने के लिए कुलपति प्रो. चौहान को अधिकृत किया गया है।
गत सिंडिकेट के मिनट्स को कंफर्म नहीं किया- वहीं गत सिंडिकेट बैठक के मिनट्स और कार्रवाई को कंफर्म नहीं किया गया। यह आगामी बैठक में लेने पर सहमति व्यक्त की गई। बैठक में सिंडिकेट सदस्य विधायक मनीषा पंवार, किशनाराम विश्नोई, प्रो. विनोदकुमार शर्मा, प्रो. विजय सिंह, प्रो. केएन उपाध्याय, प्रो. सोहनलाल मीणा, प्रो. चैनाराम चौधरी व प्रो. परबतसिंह चारण मौजूद थे।
राजभवन के आदेश नकारे, भर्ती प्रक्रिया में शामिल शिक्षकों को हटाना दूर, लाभ दिया
सिंडिकेट के एजेंडे को बदलकर हुई बैठक को लेकर राजभवन में शिकायत हुई है। सिंडिकेट की बैठक में प्रो. पीके दशोरा कमेटी की रिपोर्ट पेश होनी थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर राजभवन ने 15 जून 2018 को और तत्कालीन राज्य सरकार ने गत वर्ष 5 जुलाई को पत्र लिखकर विवि प्रशासन को भर्ती प्रक्रिया 2012-13 में चयनित शिक्षकों को हटाने को कहा था। लेकिन विवि प्रशासन ने बैठक में इस एजेंडे को शामिल ही नहीं किया। उलटा इन शिक्षकों को भी 7वें वेतन आयोग का लाभ देने का निर्णय लिया है। जबकि राजभवन व सरकार के आदेशों की पालना कुलपति और कुलसचिव को करनी होती है।
(1 वर्ष पहले)
फिर शुरू हो सकता है फार्मेसी कोर्स, छात्रों का प्रदर्शन सिंडिकेट में उठी मांग तो कुलपति ने दिया आश्वासन
जोधपुर| जेएनवीयू एडमिशन बोर्ड के निर्णय के उलट अब फार्मेसी विभाग को पुन: शुरू कर सकता है। सिंडिकेट बैठक में प्रतिनिधि विधायकों ने कोर्स दुबारा शुरू करने की बात रखी। मुद्दा एजेंडे में नहीं होने के बावजूद वीसी ने आश्वासन दिया। हालांकि देर रात गतिराेध जारी था। विवि के केंद्रीय कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में छात्र अपने-अपने प्रतिनिधियों के साथ पहुंचे। यहां वीसी व विवि प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। छात्र पुलिस की बस पर चढ़ गए और फार्मेसी विभाग को बंद नहीं करने की चेतावनी दी। करीब दो घंटे छात्र प्रदर्शन करते रहे। एक-डेढ़ घंटे बाद सिंडिकेट बैठक बीच में छोड़ विधायक व सिंडिकेट प्रतिनिधि किशनाराम विश्नोई और मनीषा पंवार बाहर आए। इन्होंने छात्रों से वार्ता की और कहा कि सिंडिकेट में मुद्दा उठा दिया है कि कोर्स बंद नहीं होना चाहिए और आश्वासन भी मिला है। पीआरओ रामनिवास ग्वाला ने बताया कि वीसी ने आश्वासन दे दिया है।
छात्र 1 माह से कर रहे प्रदर्शन
फार्मेसी विभाग बंद करने के निर्णय का 1 माह से कई छात्रों ने अलग-अलग तरीके से विरोध किया। साेमवार काे केंद्रीय कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के दौरान कई बार स्थिति उग्र हुई पर पुलिस तैनात होने से स्थिति काबू रही। यहां एनएसयूआई पदाधिकारी व छात्रों का गुट सहित छात्रसंघ पदाधिकारी बबलू सोलंकी, दिनेश पंचारिया, रवींद्रसिंह, भूपेंद्र सांकड़ा सहित कई छात्रों ने प्रदर्शन किया।
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