सैकड़ों शिक्षकों की राज्य बीमा के लिए होने वाली कटौती राशि का सरकार
के पास हिसाब- किताब ही नहीं है। अलवर जिले में करीब 1200 शिक्षकों की
राज्य बीमे की लाखों की राशि जमा हुई, लेकिन विभाग को इस राशि के बारे में
जानकारी ही नहीं है। यह अनियमितता वर्ष 2017 से पहले राज्य बीमा विभाग के
ऑफलाइन होने के कारण हुई।
राज्य सेवा के कर्मचारियों की कटौती स्टेट इंश्योरेंस में तीन स्लैब में जमा होती है। यह कटौती वेतन के हिसाब से होती हैं। ये कटौतियां डीडीओ की ओर से वेतन में से काटकर बीमा व प्रावधायी निधि विभाग को भेजी जाती हैं।
ऐसे जमा नहीं हुई कटौती-तिजारा व किशनगढ़बास सहित कई ब्लॉकों में शिक्षकों के वेतन मद से राज्य बीमा की राशि काट ली गई लेकिन उस राशि को लापरवाही से राज्य बीमा व प्रावधायी निधि विभाग को भेजी नहीं। यह राशि राजकोष में तो जमा है लेकिन इसका लेखा - जोखा ही नहीं है। यह राशि सस्पेंस अकाउंट में जमा है। इसे कैसे शिक्षक प्राप्त करेंगे इसको लेकर संशय बना हुआ है।
सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी में भी बीमा व प्रावधायी निधि विभाग ने यह जवाब दिया है कि 2010 से यह कटौतियां शुरु की गई। इसके लेजर में मात्र 2016-17 में तीन माह की 2013-14 में चार माह और 2015-16 में 5 माह की कटौतियां ही जमा है। कर्मचारी या शिक्षक एसडी की पुस्तिका में डीडीओ की ओर से सत्यापित करा कर अपने रिकार्ड को रख रहे हैं, लेकिन कटौतियां एसआई खातों में जमा ही नहीं है। बीमा व प्रावधायी निधि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह लापरवाही अपने स्तर पर वेतन में से कटौती काटकर जमा नहीं कराने के मामले में हो सकती है। 2017 के बाद तो सारा काम ऑनलाइन हो गया है जिसमें यह संभव नहीं है।
पूर्व में कुछ शिक्षकों के वेतन में से कटौती काटकर उसमें से बीमे की राशि जमा नहीं कराने का मामला हो सकता है। इसमें यदि उनके पास चालान फार्म की कॉपी है तो उस राशि का भी पता लग सकता है। ये भी हैं पीडि़त-2012 में लगे शिक्षकों की कटौतियां 2014 से होनी थी लेकिन कोर्ट केस के चलते इनका वेतन 2017 में बढ़ा और इनकी कटौतियां भी 2017 से शुरु हुई। राज्य बीमा विभाग कार्यालय ने इनका पिछला एरियर तीन वर्ष का कटौती काटने के लिए मना कर दिया। इन कर्मचारियों से लिखित में लिया गया कि वे पिछले तीन वर्षों का दावा नहीं करेंगे, तब जाकर इन्हें वेतन मिल पाया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डीडीओ की ओर से सत्यापित कॉपी के अनुसार ही सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों का भुगतान किया जाएगा। बीमा व प्रावधायी निधि विभाग के पास इनका रिकार्ड ही नहीं है। इनके चालान ही गायब हैं।
यह कहते हैं सम्बन्धित कर्मचारी
पंचायती राज शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद गुर्जर के अनुसार यह मामला कई ब्लॉकों में शिक्षकों का है जिसमें उनके बीमे की राशि का हिसाब नहीं मिल रहा है। शिक्षक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मनोज यादव का कहना है कि बीमा व प्रावधायी निधि विभाग के पास सैकड़ों शिक्षकों की जमा का रिकार्ड नहीं है। वेतन बनाने वाले अधिकारियों ने उनके वेतन में से राशि काट तो ली लेकिन जमा ही नहंी कराई है। इस राशि को सस्पेंस अकाउंट में डाल दिया है।
राज्य सेवा के कर्मचारियों की कटौती स्टेट इंश्योरेंस में तीन स्लैब में जमा होती है। यह कटौती वेतन के हिसाब से होती हैं। ये कटौतियां डीडीओ की ओर से वेतन में से काटकर बीमा व प्रावधायी निधि विभाग को भेजी जाती हैं।
ऐसे जमा नहीं हुई कटौती-तिजारा व किशनगढ़बास सहित कई ब्लॉकों में शिक्षकों के वेतन मद से राज्य बीमा की राशि काट ली गई लेकिन उस राशि को लापरवाही से राज्य बीमा व प्रावधायी निधि विभाग को भेजी नहीं। यह राशि राजकोष में तो जमा है लेकिन इसका लेखा - जोखा ही नहीं है। यह राशि सस्पेंस अकाउंट में जमा है। इसे कैसे शिक्षक प्राप्त करेंगे इसको लेकर संशय बना हुआ है।
सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी में भी बीमा व प्रावधायी निधि विभाग ने यह जवाब दिया है कि 2010 से यह कटौतियां शुरु की गई। इसके लेजर में मात्र 2016-17 में तीन माह की 2013-14 में चार माह और 2015-16 में 5 माह की कटौतियां ही जमा है। कर्मचारी या शिक्षक एसडी की पुस्तिका में डीडीओ की ओर से सत्यापित करा कर अपने रिकार्ड को रख रहे हैं, लेकिन कटौतियां एसआई खातों में जमा ही नहीं है। बीमा व प्रावधायी निधि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह लापरवाही अपने स्तर पर वेतन में से कटौती काटकर जमा नहीं कराने के मामले में हो सकती है। 2017 के बाद तो सारा काम ऑनलाइन हो गया है जिसमें यह संभव नहीं है।
पूर्व में कुछ शिक्षकों के वेतन में से कटौती काटकर उसमें से बीमे की राशि जमा नहीं कराने का मामला हो सकता है। इसमें यदि उनके पास चालान फार्म की कॉपी है तो उस राशि का भी पता लग सकता है। ये भी हैं पीडि़त-2012 में लगे शिक्षकों की कटौतियां 2014 से होनी थी लेकिन कोर्ट केस के चलते इनका वेतन 2017 में बढ़ा और इनकी कटौतियां भी 2017 से शुरु हुई। राज्य बीमा विभाग कार्यालय ने इनका पिछला एरियर तीन वर्ष का कटौती काटने के लिए मना कर दिया। इन कर्मचारियों से लिखित में लिया गया कि वे पिछले तीन वर्षों का दावा नहीं करेंगे, तब जाकर इन्हें वेतन मिल पाया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डीडीओ की ओर से सत्यापित कॉपी के अनुसार ही सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों का भुगतान किया जाएगा। बीमा व प्रावधायी निधि विभाग के पास इनका रिकार्ड ही नहीं है। इनके चालान ही गायब हैं।
यह कहते हैं सम्बन्धित कर्मचारी
पंचायती राज शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष मूलचंद गुर्जर के अनुसार यह मामला कई ब्लॉकों में शिक्षकों का है जिसमें उनके बीमे की राशि का हिसाब नहीं मिल रहा है। शिक्षक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मनोज यादव का कहना है कि बीमा व प्रावधायी निधि विभाग के पास सैकड़ों शिक्षकों की जमा का रिकार्ड नहीं है। वेतन बनाने वाले अधिकारियों ने उनके वेतन में से राशि काट तो ली लेकिन जमा ही नहंी कराई है। इस राशि को सस्पेंस अकाउंट में डाल दिया है।
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