भास्कर संवाददाता| श्रीगंगानगर। प्रारंभिक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में इन दिनों 163 शिक्षक
ड्यूटी दे रहे हैं। हालात ये हैं कि इनके बैठने तक के लिए व्यवस्था नहीं
है। लेकिन, शिक्षकों की परेशानी यह है कि वे घर भी नहीं जा सकते हैं
क्योंकि अगर बिना ड्यूटी दिए चले गए तो वेतन कैसे मिलेगा?
शुक्रवार सुबह से ही सभी शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए पहुंचे और इसके बाद चले गए। ये वो शिक्षक हैं जो पिछले साल ही सरकारी नौकरी लगे थे। इन्हें पहले दूसरे जिलों में पोस्टिंग दी गई थी। लेकिन, कोर्ट के आदेश पर बाद में रिजल्ट संशोधित होने से इनकी मैरिट बदल गई। इसके आधार पर इन्हें गृह जिला यानी श्रीगंगानगर देना पड़ा। इसके बाद ये शिक्षक अपने-अपने पुराने जिलों से रिलीव होकर श्रीगंगानगर आए। लेकिन पोस्टिंग ऑर्डर मिलते, उससे पहले ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। अब ये न घर जा सकते हैं और ही इन्हें स्कूल आबंटित हुआ। विभाग के अनुसार गत दिनों पहले 220 शिक्षकों की काउंसलिंग भगत सिंह चौक स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल नंबर 4 में करवाई गई थी। इसमें 163 पुराने व 57 नए शिक्षकों की काउंसलिंग की गई थी।
शिक्षा विभाग में सबसे बड़ी मुसीबत ये...इन अध्यापकों के लिए न तो बैठने की व्यवस्था और न ही पीने के पानी की
श्रीगंगानगर। डीईओ ऑफिस में खड़े शिक्षक व खिड़की पर जाकर उपस्थिति दर्ज कराते शिक्षक। शिक्षक दिनभर यूं ही यहां परेशान हो घूमते रहते हैं।
विभाग के अधिकारियों के अनुसार अब ढाई महीने तक इन्हें स्कूल में पोस्टिंग नहीं मिल सकती। पोस्टिंग के लिए शिक्षा विभाग को चुनाव आयोग से विशेष अनुमति लेनी पड़ेगी। अधिकारी बताते हैं कि ये शिक्षक पहले से ही नौकरी कर रहे थे और इनका वेतन चालू था, इसलिए इन्हें आचार संहिता की अवधि करीब ढाई महीने का वेतन करोड़ों रुपए तो देना ही पड़ेगा। जबकि दूसरी और स्कूलों में शिक्षक नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। वैसे भी इन दिनों बच्चों की परीक्षाएं चल रही है
आचार संहिता के बाद हुई काउंसलिंग:प्राइमरी और मिडल स्कूल शिक्षा के इन ग्रेड तृतीय शिक्षकों का कहना है कि वे अपने जिलों से रिलीव होकर यहां 10 मार्च तक आ गए थे। इन शिक्षकों की 11 मार्च को काउंसलिंग करवाई जानी थी, लेकिन वो किसी कारणवश निरस्त हो गई इसके बाद 13 मार्च को शिक्षकों की काउंसलिंग करवाई गई। लेकिन इन शिक्षकों का पदस्थापन नहीं किया गया। इसके तहत इन शिक्षकों की पोस्टिंग देने के लिए स्कूलों को भी तय नहीं किया गया। इसके चलते दूर-दराज से आने वाले शिक्षकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है
दूसरे जिलों से आई महिला शिक्षक बोलीं:.दूसरे जिलों से आई महिला शिक्षकों ने कहा कि पदस्थापन आदेश नहीं मिलने की वजह से डीईओ कार्यालय में हाजिरी लगाने के लिए आना पड़ता है। उन्होंने बताया कि वे अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ अपने घर से दूर यहां धर्मशालाओं में रहने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि इस संबंध में चुनाव आयोग व प्रदेश सरकार की ओर से पदस्थापन को लेकर कोई आदेश आता है तो हमें इस समस्या से राहत मिलेगी।
शुक्रवार सुबह से ही सभी शिक्षक अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए पहुंचे और इसके बाद चले गए। ये वो शिक्षक हैं जो पिछले साल ही सरकारी नौकरी लगे थे। इन्हें पहले दूसरे जिलों में पोस्टिंग दी गई थी। लेकिन, कोर्ट के आदेश पर बाद में रिजल्ट संशोधित होने से इनकी मैरिट बदल गई। इसके आधार पर इन्हें गृह जिला यानी श्रीगंगानगर देना पड़ा। इसके बाद ये शिक्षक अपने-अपने पुराने जिलों से रिलीव होकर श्रीगंगानगर आए। लेकिन पोस्टिंग ऑर्डर मिलते, उससे पहले ही लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। अब ये न घर जा सकते हैं और ही इन्हें स्कूल आबंटित हुआ। विभाग के अनुसार गत दिनों पहले 220 शिक्षकों की काउंसलिंग भगत सिंह चौक स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक स्कूल नंबर 4 में करवाई गई थी। इसमें 163 पुराने व 57 नए शिक्षकों की काउंसलिंग की गई थी।
शिक्षा विभाग में सबसे बड़ी मुसीबत ये...इन अध्यापकों के लिए न तो बैठने की व्यवस्था और न ही पीने के पानी की
श्रीगंगानगर। डीईओ ऑफिस में खड़े शिक्षक व खिड़की पर जाकर उपस्थिति दर्ज कराते शिक्षक। शिक्षक दिनभर यूं ही यहां परेशान हो घूमते रहते हैं।
विभाग के अधिकारियों के अनुसार अब ढाई महीने तक इन्हें स्कूल में पोस्टिंग नहीं मिल सकती। पोस्टिंग के लिए शिक्षा विभाग को चुनाव आयोग से विशेष अनुमति लेनी पड़ेगी। अधिकारी बताते हैं कि ये शिक्षक पहले से ही नौकरी कर रहे थे और इनका वेतन चालू था, इसलिए इन्हें आचार संहिता की अवधि करीब ढाई महीने का वेतन करोड़ों रुपए तो देना ही पड़ेगा। जबकि दूसरी और स्कूलों में शिक्षक नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होगी। वैसे भी इन दिनों बच्चों की परीक्षाएं चल रही है
आचार संहिता के बाद हुई काउंसलिंग:प्राइमरी और मिडल स्कूल शिक्षा के इन ग्रेड तृतीय शिक्षकों का कहना है कि वे अपने जिलों से रिलीव होकर यहां 10 मार्च तक आ गए थे। इन शिक्षकों की 11 मार्च को काउंसलिंग करवाई जानी थी, लेकिन वो किसी कारणवश निरस्त हो गई इसके बाद 13 मार्च को शिक्षकों की काउंसलिंग करवाई गई। लेकिन इन शिक्षकों का पदस्थापन नहीं किया गया। इसके तहत इन शिक्षकों की पोस्टिंग देने के लिए स्कूलों को भी तय नहीं किया गया। इसके चलते दूर-दराज से आने वाले शिक्षकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है
दूसरे जिलों से आई महिला शिक्षक बोलीं:.दूसरे जिलों से आई महिला शिक्षकों ने कहा कि पदस्थापन आदेश नहीं मिलने की वजह से डीईओ कार्यालय में हाजिरी लगाने के लिए आना पड़ता है। उन्होंने बताया कि वे अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ अपने घर से दूर यहां धर्मशालाओं में रहने को मजबूर हैं। उनका कहना है कि इस संबंध में चुनाव आयोग व प्रदेश सरकार की ओर से पदस्थापन को लेकर कोई आदेश आता है तो हमें इस समस्या से राहत मिलेगी।
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