कुचामनसिटी। भाजपा सरकार में प्रदेश में कम नामांकन वाले सैंकड़ों
विद्यालयों को बंद कर दूसरे में मर्ज किया था। इसके बावजूद आज भी कई ऐसे
स्कूल चल रहे हैं जहां नाममात्र के विद्यार्थी हैं। ऐसे ही विद्यालयों में
नागौर जिले का राजकीय उप्रावि बिकोलाव तालाब, जहां पहली कक्षा के एक
विद्यार्थी को पढ़ाने के लिए चार अध्यापक नियुक्त हैं।
चार कमरों के स्कूल में दो विद्यार्थियों का नामांकन है, जिसमें से एक कई दिन से स्कूल नहीं जा रहा है। यदि विद्यालय के खर्च पर नजर डाली जाए तो चार शिक्षकों का वेतन और बिजली, पानी, स्टेशनरी सहित अन्य खर्च एक लाख से भी अधिक है।
शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर जब पत्रिका टीम वहां पहुंची, तो यहां एक छात्रा व महज एक शिक्षक खेताराम मिला। प्रधानाध्यापिका सुनीता चौधरी विद्यालय से नदारद मिली। इस विद्यालय में नियुक्त रेणू सोनी व शालिनी मीणा को वैकल्पिक तौर पर दूसरे विद्यालयों में लगाए जाने की जानकारी मिली। एक मात्र बालिका भी इस विद्यालय में अकेले ही बाहर बैठकर पढ़ती हुई नजर आई और अध्यापक खेताराम ऑफिस में बैठे कागजी खानापूर्ति करते हुए दिखे।
पहले हो चुका है बंद, राजनीतिक दबाव से फिर शुरू
यह विद्यालय गत भाजपा सरकार में एक बार बंद कर दिया गया था। इसके बाद राजनैतिक दबाव के चलते अगस्त 2017 में शिक्षा विभाग ने इसे वापस शुरु तो कर दिया, लेकिन सत्र 2018-19 के नामांकन में वृद्धि के कोई प्रयास नहीं किए गए।
देंगे नोटिस
नामांकन वृद्धि के लिए शिक्षकों की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया। ऐसे में इन्हें नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी।
दिनेशसिंह चौधरी, ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी, कुचामन
पिछली सरकार में कई विद्यालय बंद किए गए और खोले गए थे। एक छात्र और चार अध्यापक तो आश्चर्य वाली बात है, मैं दिखवाता हूं कि ऐसा विद्यालय कैसे चल रहा है।
गोविन्दसिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री, प्रारंभिक शिक्षा
चार कमरों के स्कूल में दो विद्यार्थियों का नामांकन है, जिसमें से एक कई दिन से स्कूल नहीं जा रहा है। यदि विद्यालय के खर्च पर नजर डाली जाए तो चार शिक्षकों का वेतन और बिजली, पानी, स्टेशनरी सहित अन्य खर्च एक लाख से भी अधिक है।
शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर जब पत्रिका टीम वहां पहुंची, तो यहां एक छात्रा व महज एक शिक्षक खेताराम मिला। प्रधानाध्यापिका सुनीता चौधरी विद्यालय से नदारद मिली। इस विद्यालय में नियुक्त रेणू सोनी व शालिनी मीणा को वैकल्पिक तौर पर दूसरे विद्यालयों में लगाए जाने की जानकारी मिली। एक मात्र बालिका भी इस विद्यालय में अकेले ही बाहर बैठकर पढ़ती हुई नजर आई और अध्यापक खेताराम ऑफिस में बैठे कागजी खानापूर्ति करते हुए दिखे।
पहले हो चुका है बंद, राजनीतिक दबाव से फिर शुरू
यह विद्यालय गत भाजपा सरकार में एक बार बंद कर दिया गया था। इसके बाद राजनैतिक दबाव के चलते अगस्त 2017 में शिक्षा विभाग ने इसे वापस शुरु तो कर दिया, लेकिन सत्र 2018-19 के नामांकन में वृद्धि के कोई प्रयास नहीं किए गए।
देंगे नोटिस
नामांकन वृद्धि के लिए शिक्षकों की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया। ऐसे में इन्हें नोटिस जारी कर कार्रवाई की जाएगी।
दिनेशसिंह चौधरी, ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी, कुचामन
पिछली सरकार में कई विद्यालय बंद किए गए और खोले गए थे। एक छात्र और चार अध्यापक तो आश्चर्य वाली बात है, मैं दिखवाता हूं कि ऐसा विद्यालय कैसे चल रहा है।
गोविन्दसिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री, प्रारंभिक शिक्षा
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