जयपुर। प्रदेश में पारा जमाव बिंदु से नीचे हैं। शीतलहर का प्रकोप जारी
है। स्कूलों में बच्चों की शीतकालीन छुट्टी हैं। लेकिन, तेज सर्दी के बीच
प्रदेश में शिक्षकों के आवासीय प्रशिक्षण शिविर शुरू हो गए हैं। प्रदेश में
करीब 80 हजार शिक्षक इन आवासीय शिविरों में प्रशिक्षण ले रहे हैं।
शिक्षकों ने एक बार फिर आवासीय शिविरों को गैर आवासीय करने की मांग मुखर की है। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित विभिन्न मंत्रियों को आपत्तियां भेज शिविरों को गैर आवासीय करने की मांग की है।
80 हजार शिक्षकों के 10 दिन तक चलेंगे शिविर
शीतकालीन अवकाश के दौरान शिक्षकों के शिविर दस दिन तक चलेंगे। तृतीय श्रेणी लेवल 2 के पुराने शिक्षकों के शिविर छह दिवसीय होंगे। जबकि लेवल 2 के नए शिक्षकों (हाल ही में नियुक्त) के प्रशिक्षण दस दिन तक चलेंगे। इसी प्रकार द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के भी प्रशिक्षण शिविर दस दिन तक यानी कि 6 जनवरी तक चलेंगे। इन तीनों श्रेणियों में कुल मिलाकर करीब 80 हजार शिक्षक प्रशिक्षण शिविरों के लिए चयनित हैं। शिक्षा विभाग ने द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के जिले व संभाग भी बदल दिए हैं। जयपुर शहर के शिक्षकों को प्रशिक्षण शिविर के लिए सवाईमाधोपुर, अलवर, सीकर आदि जिलों में भेजा गया है।
1.5 लाख शिक्षकों के शिविर गर्मी में
शीतकालीन अवकाश के साथ ही ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान भी शिक्षकों के आवासीय शिविर होते हैं। गर्मियों में तृतीय श्रेणी लेवल 1 के करीब 1.5 लाख शिक्षक शिविरों में प्रशिक्षण लेते हैं। गौरतलब है कि भाजपा सरकार ने तीन साल पहले ही इन शिविरों के गैर आवासीय से आवासीय किया था। आवासीय शिविरों के दौरान शिक्षक घर नहीं जा सकते। प्रशिक्षण स्थल पर दिन में दो बार शिक्षकों की बायोमिट्रीक हाजिरी भी ली जाती है।
शिविरों में शिक्षकों की हो चुकी है मौत
इसी साल ग्रीष्मकालीन शिविरों में महिला शिक्षक की मौत भी हो चुकी है। धौलपुर जिले के सरमथुरा में प्रशिक्षण शिविर के दौरान तीन महिला शिक्षकों की तबीयत बिगड़ गई थी। जिनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि दो अन्य शिक्षिकाओं की हालत बिगड़ गई थी। वे कई दिनों तक अस्पताल में रही थी।
विरोध स्वरुप शिक्षक कर रहे बहिष्कार
शिविरों को गैर आवासीय करने की मांग कर रहे सैकड़ों शिक्षकों ने विरोध स्वरूप शिविरों का बहिष्कार भी किया है। शिक्षक शिविरों में नहीं पहुंचे हैं। अधिकांश शिक्षक अपने-अपने जिलों में मंत्रियों से शिविरों को गैर आवासीय करने की मांग उठा रहे हैं।
- शिविरों का उद्देश्य शिक्षकों का प्रशिक्षण देना है। प्रशिक्षण घर से 250 किलोमीटर दूर शिविर में ही दिया जाएगा, यह गलत है। महिलाओं को घर-परिवार और बच्चों से दूर परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। सरकार जल्द से जल्द इन शिविरों को गैर आवासीय करना चाहिए।
- विपिन प्रकाश शर्मा, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
शिक्षकों ने एक बार फिर आवासीय शिविरों को गैर आवासीय करने की मांग मुखर की है। विभिन्न शिक्षक संगठनों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित विभिन्न मंत्रियों को आपत्तियां भेज शिविरों को गैर आवासीय करने की मांग की है।
80 हजार शिक्षकों के 10 दिन तक चलेंगे शिविर
शीतकालीन अवकाश के दौरान शिक्षकों के शिविर दस दिन तक चलेंगे। तृतीय श्रेणी लेवल 2 के पुराने शिक्षकों के शिविर छह दिवसीय होंगे। जबकि लेवल 2 के नए शिक्षकों (हाल ही में नियुक्त) के प्रशिक्षण दस दिन तक चलेंगे। इसी प्रकार द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के भी प्रशिक्षण शिविर दस दिन तक यानी कि 6 जनवरी तक चलेंगे। इन तीनों श्रेणियों में कुल मिलाकर करीब 80 हजार शिक्षक प्रशिक्षण शिविरों के लिए चयनित हैं। शिक्षा विभाग ने द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के जिले व संभाग भी बदल दिए हैं। जयपुर शहर के शिक्षकों को प्रशिक्षण शिविर के लिए सवाईमाधोपुर, अलवर, सीकर आदि जिलों में भेजा गया है।
1.5 लाख शिक्षकों के शिविर गर्मी में
शीतकालीन अवकाश के साथ ही ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान भी शिक्षकों के आवासीय शिविर होते हैं। गर्मियों में तृतीय श्रेणी लेवल 1 के करीब 1.5 लाख शिक्षक शिविरों में प्रशिक्षण लेते हैं। गौरतलब है कि भाजपा सरकार ने तीन साल पहले ही इन शिविरों के गैर आवासीय से आवासीय किया था। आवासीय शिविरों के दौरान शिक्षक घर नहीं जा सकते। प्रशिक्षण स्थल पर दिन में दो बार शिक्षकों की बायोमिट्रीक हाजिरी भी ली जाती है।
शिविरों में शिक्षकों की हो चुकी है मौत
इसी साल ग्रीष्मकालीन शिविरों में महिला शिक्षक की मौत भी हो चुकी है। धौलपुर जिले के सरमथुरा में प्रशिक्षण शिविर के दौरान तीन महिला शिक्षकों की तबीयत बिगड़ गई थी। जिनमें से एक की मौके पर ही मौत हो गई थी। जबकि दो अन्य शिक्षिकाओं की हालत बिगड़ गई थी। वे कई दिनों तक अस्पताल में रही थी।
विरोध स्वरुप शिक्षक कर रहे बहिष्कार
शिविरों को गैर आवासीय करने की मांग कर रहे सैकड़ों शिक्षकों ने विरोध स्वरूप शिविरों का बहिष्कार भी किया है। शिक्षक शिविरों में नहीं पहुंचे हैं। अधिकांश शिक्षक अपने-अपने जिलों में मंत्रियों से शिविरों को गैर आवासीय करने की मांग उठा रहे हैं।
- शिविरों का उद्देश्य शिक्षकों का प्रशिक्षण देना है। प्रशिक्षण घर से 250 किलोमीटर दूर शिविर में ही दिया जाएगा, यह गलत है। महिलाओं को घर-परिवार और बच्चों से दूर परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। सरकार जल्द से जल्द इन शिविरों को गैर आवासीय करना चाहिए।
- विपिन प्रकाश शर्मा, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
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