अजमेर.
पर्यावरण और धरती की सुरक्षा के लिए हरियाली बहुत जरूरी है। प्रतिवर्ष जिले और शहर में पेड़-पौधे भी लगाए जाते हैं, लेकिन सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय ने अलग ही मुहिम चलाई है। 180 साल पुराना कॉलेज अब हरियाली में तब्दील हो रहा है।
यहां शिक्षकों ने एक हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगाकर कैंपस को हरा-भरा बनाने की पहल की है। यहां एस्ट्रोटर्फ विकेट भी बन चुका है।
ब्रिटिशकालीन है कॉलेज
1836 में स्थापित सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (तब जीसीए) अपनी शैक्षिक उत्कृष्टता और नायाब भवन के लिए राजस्थान समेत पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां स्वीमिंग पूल, गल्र्स और बॉयज हॉस्टल, ऑडिटेरियम, सेमिनार हॉल, हाइटेक लाइब्रेरी, कैंटीन, बड़ी-बड़ी प्रयोगशाला, जिम्नेजियम, प्राचार्य और उपाचार्य के बंगले और अन्य संसाधन उपलब्ध हैं।
इसके मुकाबले कॉलेज होना मुश्किल
पूरे प्रदेश में इसके मुकाबले कॉलेज होना मुश्किल है। यहां के विद्यार्थी प्रशासनिक, न्यायिक, राजनैतिक और अन्य सेवाओं में ऊंचे ओहदों पर हैं। डॉ. सी. वी. रमन जैसे नामचीन शिक्षकों ने यहां अध्यापन कराया है। इसकी ख्याति के अनुरूप मौजूदा शिक्षकों ने कॉलेज को हरा-भरा बनाने का बीड़ा उठाया है।
छोटी सी शुरुआत, बनी मुहिम
दो साल पहले शिक्षकों ने सरकार, कॉलेज, नगर निगम अथवा अजमेर विकास प्राधिकरण के सहयोग लिए बगैर कॉलेज में हरियाली बढ़ाने का फैसला किया। डॉ. एस. के. बिस्सू, डॉ. अनूप आत्रेय डॉ. मिलन यादव, डॉ. एन. एल. गुप्ता, डॉ. दिलीप गैना और कुछ अन्य शिक्षकों ने शुरुआत में साइंस ब्लॉक और आसपास के इल कुछेक पौधे लगाए।
पेड़ों की तादाद एक हजार से ज्यादा
इसके बाद यह अभियान बनता चला गया। शिक्षकों ने अपनी पगार से पैसा एकत्रित कर पेड़-पौधे मंगवाने शुरू किए। ब्यावर रोड गेट, सेंट एन्सलम्स स्कूल गेट, गेम्स पवेलियन और मैदान सहित पूरे परिसर में 10 से 12 फीट के पौधे लगाए गए हैं। पेड़ों की तादाद एक हजार से ज्यादा हो चुकी है।
बनेगा हरा-भरा क्रिकेट मैदान
कॉलेज में खेल मैदान की भी कायाकल्प शुरू हो गई है। पहले चरण में इसकी चारदीवारी ऊंची कराकर लोहे के रेलिंग लगाई गई है। दूसरे चरण में यहां मिट्टी डलवाकर मैदान को समतल किया गयाहै। अत्याधुनिक एस्ट्रोटर्फ विकेट बन चुका है। अब यहां हरी घास लगाई जा रही है। मैदान तैयार होने के बाद यहां विभिन्न क्रिकेट टूर्नामेंट हो सकेंगे।
पर्यावरण और धरती की सुरक्षा के लिए हरियाली बहुत जरूरी है। प्रतिवर्ष जिले और शहर में पेड़-पौधे भी लगाए जाते हैं, लेकिन सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय ने अलग ही मुहिम चलाई है। 180 साल पुराना कॉलेज अब हरियाली में तब्दील हो रहा है।
यहां शिक्षकों ने एक हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगाकर कैंपस को हरा-भरा बनाने की पहल की है। यहां एस्ट्रोटर्फ विकेट भी बन चुका है।
ब्रिटिशकालीन है कॉलेज
1836 में स्थापित सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (तब जीसीए) अपनी शैक्षिक उत्कृष्टता और नायाब भवन के लिए राजस्थान समेत पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां स्वीमिंग पूल, गल्र्स और बॉयज हॉस्टल, ऑडिटेरियम, सेमिनार हॉल, हाइटेक लाइब्रेरी, कैंटीन, बड़ी-बड़ी प्रयोगशाला, जिम्नेजियम, प्राचार्य और उपाचार्य के बंगले और अन्य संसाधन उपलब्ध हैं।
इसके मुकाबले कॉलेज होना मुश्किल
पूरे प्रदेश में इसके मुकाबले कॉलेज होना मुश्किल है। यहां के विद्यार्थी प्रशासनिक, न्यायिक, राजनैतिक और अन्य सेवाओं में ऊंचे ओहदों पर हैं। डॉ. सी. वी. रमन जैसे नामचीन शिक्षकों ने यहां अध्यापन कराया है। इसकी ख्याति के अनुरूप मौजूदा शिक्षकों ने कॉलेज को हरा-भरा बनाने का बीड़ा उठाया है।
छोटी सी शुरुआत, बनी मुहिम
दो साल पहले शिक्षकों ने सरकार, कॉलेज, नगर निगम अथवा अजमेर विकास प्राधिकरण के सहयोग लिए बगैर कॉलेज में हरियाली बढ़ाने का फैसला किया। डॉ. एस. के. बिस्सू, डॉ. अनूप आत्रेय डॉ. मिलन यादव, डॉ. एन. एल. गुप्ता, डॉ. दिलीप गैना और कुछ अन्य शिक्षकों ने शुरुआत में साइंस ब्लॉक और आसपास के इल कुछेक पौधे लगाए।
पेड़ों की तादाद एक हजार से ज्यादा
इसके बाद यह अभियान बनता चला गया। शिक्षकों ने अपनी पगार से पैसा एकत्रित कर पेड़-पौधे मंगवाने शुरू किए। ब्यावर रोड गेट, सेंट एन्सलम्स स्कूल गेट, गेम्स पवेलियन और मैदान सहित पूरे परिसर में 10 से 12 फीट के पौधे लगाए गए हैं। पेड़ों की तादाद एक हजार से ज्यादा हो चुकी है।
बनेगा हरा-भरा क्रिकेट मैदान
कॉलेज में खेल मैदान की भी कायाकल्प शुरू हो गई है। पहले चरण में इसकी चारदीवारी ऊंची कराकर लोहे के रेलिंग लगाई गई है। दूसरे चरण में यहां मिट्टी डलवाकर मैदान को समतल किया गयाहै। अत्याधुनिक एस्ट्रोटर्फ विकेट बन चुका है। अब यहां हरी घास लगाई जा रही है। मैदान तैयार होने के बाद यहां विभिन्न क्रिकेट टूर्नामेंट हो सकेंगे।
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