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1998 शिक्षक भर्ती में फर्जी नौकरी देने के मामले में 24 के नाम लिस्ट से हटाए थे, लेकिन विभाग ने अभी तक नहीं हटाए

जिला परिषद की ओर से 1998 में की गई शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े को लेकर कई तरह की जांचे हुई, लेकिन जिन्हें नौकरी से वंचित किया गया, उन्हें सरकार अब तक नौकरी नहीं दे पाई। इस दौरान करीब 5 सरकारें बदल गई।

जिला परिषद में तत्कालीन समय में कार्यरत बाबुओं ने 33 अभ्यर्थियों से मिलीभगत कर मेरिट लिस्ट में अंक बढ़ाकर उन्हें मेरिट में ला दिया और जो 24 अभ्यर्थी मेरिट सूची में थे, उन्हें शिक्षक की नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था। बाद में मुकदमा दर्ज हुआ, जांच कमेटी बैठी, लेकिन जिन 24 को वंचित किया था, उन्हें अब तक नौकरी नहीं दी है। इसको लेकर मंगलवार को वंचित अभ्यर्थियों ने कलेक्टर को ज्ञापन देकर इस मामले में त्वरित कार्रवाई करवाने की मांग की है। महेश चौधरी ने बताया कि उस समय सीईओ सोहनलाल पालीवाल थे और जिला प्रमुख गोविंद आमलीया थे। वहीं हितेंद्र पुरोहित ने बताया कि पिछले 20 सालों से लगातार हम लोग 100 से ज्यादा ज्ञापन और शिकायत पत्र दे चुके है। करीब करीब हर सरकार के कार्यकाल में हमने मांग रखी है। जबकि सरकार के पास जांच रिपोर्ट भी है और मुकदमे के बाद चालान की कॉपी भी है, लेकिन सरकार के स्तर पर नियुक्तियां नहीं दी जा रही है। दूसरी ओर इस मामले में विभाग ने फाइल तैयार कर ली है ओर जल्द ही सरकार को भेजी जानी है।

अब हटाने की तैयारी में जुटा विभाग, फाइल तैयार, 20 साल में 100 से ज्यादा बार दिए ज्ञापन देकर पोस्टिंग की मांग की

जिन्होंने फर्जीवाड़ा किया है, उनमें से आज कोई भी मौजूद नहीं, जिला प्रमुख की मौत हो चुकी है तो सीईओ रिटायर

दूसरी ओर जिन लोगों ने तत्कालीन समय में मेरिट लिस्ट में हेरफेर कर फर्जीवाड़ा किया था, उन में से आज की तारीख में कोई भी नहीं है। जिला प्रमुख रहे गोविंद आमलीया की मृत्यु हो चुकी है और सीईओ रहे सोहन पालीवाल रिटायर हो चुके है। तत्कालीन समय में संस्थापना और जिला परिषद में रहे मंत्रालयिक कर्मचारी भी रिटायर हो चुके है।

ऐसे समझे 1998 के फर्जीवाड़े को

1998 में शिक्षक भर्ती की गई थी और ये काम तत्कालीन जिला परिषद के अधीन किया गया था। तब संस्थापना शाखा देख रहे उस समय के बाबुओं ने 33 अभ्यर्थियों को फर्जी नौकरी दी थी। ये बाद में जांच में भी साबित हो गया था। तब इन बाबुओं ने रिकॉर्ड में मेरिट लिस्ट में जो 33 अभ्यर्थी जिनके पास फर्जी दस्तावेज थे, उनके अंक मेरिट सूची में बढ़ाकर उन्हें मेरिट में ला दिया। जो 24 अभ्यर्थी मेरिट में आ रहे थे, वह पीछे हो गए और उन्हें भर्ती से वंचित कर दिया गया।

किसी के 15 अंक बढ़ाए तो किसी के 13 अंक दी नियुक्तियां

भास्कर के पास प्राप्त जांच रिपोर्ट के अनुसार किसी के 15 अंक बढ़ाए तो किसी के 13 अंक बढ़ाकर मेरिट लिस्ट में नाम जोड़े गए है।

गेबीलाल मेघवाल - इनके मूल अंक 68.70 प्रतिशत थे, लेकिन मेरिट लिस्ट में 13.25 अंक बढ़ाकर 81.95 किए गए।

कृष्णकांत जोशी - मूल अंक 79.24 थे, लेकिन मेरिट सूची में 15.34 अंक बढ़ाकर 94.58 अंक कर दिए। जनरल केटेगरी से थे।

नरेश पंड्या - इनके मूल अंक 77.05 थे, तत्कालीन बाबुओं ने 12.89 अंक बढ़ाकर मेरिट सूची में 89.94 अंक कर दिए और नियुक्तियां दी।

हमने अभी ज्ञापन दिया है, कोर्ट में भी प्रकरण दाखिल कर रखा है। उम्मीद है कि सरकार हमारी सुनेगी। - महेश चौधरी, लिंबोड़ बड़ी

हमने 1998 शिक्षक भर्ती के संबंध में सभी जिलों की फाइल तैयार कर ली है और जल्द ही मंत्री के पास भेजी जाएगी। जहां से एप्रुवल मिलने के बाद सरकार के पास जाएगी और वहीं से ही निर्णय किया जाएगा। हमारी ओर से सभी तथ्यात्मक रिपोर्ट में बिंदु शामिल किए है। - अशफाक हुसैन, विशेष सचिव स्कूल शिक्षा जयपुर

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