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Tuesday 20 March 2018

चाहे गहलोत हो या वसुंधरा नकल कोई नहीं रोक पाया, 7 सालों में 10 परीक्षाएं हुई रद्द, लाखों युवा बर्बाद

जयपुर। राजस्थान में सरकारी नौकरी की आस लगाए बेरोजगार युवकों के अरमानों पर एक बार फिर से पानी फिर गया है। इस बार मामला 5550 पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती से जुड़ा है जिसमें हाईटेक तरीके से नक़ल होने में मामले के सामने आने के बाद इस पूरी भर्ती परीक्षा को ही रद्द कर दिया गया है।



अब इस परीक्षा को पुनः ऑफलाइन आयोजित किया जाना तय है। आज निरस्त हुई कांस्टेबल परीक्षा को मिलाकर बीते 7 सालों में अब तक 10 बड़ी परीक्षाएं रद्द हो चुकी हैं। जिसके चलते लाखों युवाओं का भविष्य दांव पर लगा है। आलम यह है कि इसी महीने 5550 पदों के लिए भर्तियों को लेकर ऑनलाइन परीक्षा आयोजित की जा रही थी।

पढ़ें:- कांस्टेबल परीक्षा निरस्त होने से लाखों परिवारों की उम्मीदों पर फिरा पानी



एक चरण की परीक्षा आयोजित हो गई लेकिन इस बीच पता चला कि कंप्यूटर स्क्रीन को ही हैक करके और फिंगर प्रिंट क्लोनिंग करके एक बड़े गिरोह ने नकल करवाने का काम किया है। एसओजी ने इस मामले का खुलासा करते हुए 20 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया। नक़ल के इस बड़े और अपनी तरह के इस अनोखे मामले के सामने आने के बाद अब पुलिस ने पूरी परीक्षा को ही रद्द कर दिया है।

पढ़ें:- नकल पर लगाम लगाने में नाकाम पुलिस विभाग, अब ऑफलाइन ले सकता है कांस्टेबल भर्ती परीक्षा

वैसे राजस्थान में किसी ना किसी कारण से भर्ती परीक्षाओं का रद्द होना कोई नई बात नहीं है। आंकड़ों की मानें तो पिछले 7 सालों में 10 अलग-अलग परीक्षाएं की गई हैं-

    2011 में पटवार और ग्राम सेवक भर्ती परीक्षा में बांसवाडा के 5 केन्द्रों से 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसमें जालौर के एक गिरोह ने वास्तविक अभ्यर्थी से 2-2 लाख रूपये लेकर उन्हें पास कराने की गारंटी ली थी। इस परीक्षा को निरस्त किया गया।
    2012 में थर्ड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में ब्लूटूथ से नकल कराने का मामला सामने आया था। इस परीक्षा को भी निरस्त किया गया।
    2012 में ही रोडवेज परिचालक भर्ती परीक्षा के 945 पदों पर 52,309 लोगों ने परीक्षा दी। नकल गिरोह ने कंडक्टर भर्ती परीक्षा का पेपर आउट कर उसे 2 से 3 लाख रूपये में अभ्यर्थियों को बेचा। शिकायत के बाद इस परीक्षा को निरस्त किया गया।
    2012 में ही आरटेट के लिए 4 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। लेकिन यहाँ भी नकल गिरोह ने पर्चा आउट कर दिया, मेड़ता सिटी में फोटो कोपी दुकानों पर 100-100 रूपये में ये ​पेपर बिक रहा था। इस परीक्षा को भी बाद में निरस्त कर दिया गया था।
    2013 में कनिष्ठ लेखाकार के 3497 और 279 पदों पर राजस्व लेखाकार भर्ती परीक्षा हुई, जिसमें 4 लाख अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। यह परीक्षा भी नकल की भेंट चढ़ गई।
    2013 में खान विभाग ने 1000 कांस्टेबल के लिए भर्ती निकाली, 80 हज़ार लोगों ने परीक्षा दी। लेकिन परीक्षा को करवाने के बाद नकल से जुड़े पर्चे कॉपियों में ही मिलने के चलते इसे रद्द करना पड़ा।
    2013 में ही एलडीसी के 7500 पदों के लिए परीक्षा हुई लेकिन नक़ल और कुछ अन्य कारणों के चलते इसे भी रद्द करना पड़ा और लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में झूल गया।
    2015 में जेल प्रहरी की परीक्षा हुई लेकिन परीक्षा के चंद घंटे पहले ही पेपर वाट्सएप पर आ गया और 925 पदों के लिए हुई इस भर्ती परीक्षा को रद्द करना पड़ा। करीब 6 लाख अभ्यर्थियों ने यह परीक्षा दी थी।
    2015 में ही जूनियर एकाउंटेट की परीक्षा में भी बड़े स्तर पर नक़ल पड़ते अभ्यर्थी पकड़े गए, बाड़मेर के गुदामालानी में कंट्रोल रूम बनाकर उदयपुर, जयपुर में ब्लूटूथ से नकल करवाई जा रही थी। इस मामले में नकल गिरोह से 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
    मार्च 2018 को 5500 पदों के लिए आयोजित हो रही कांस्टेबल परीक्षा 2017 में एक के बाद कई हाईटैक तरीकों से परीक्षा में नकल के मामले पकड़े गए। नकल के चलते इस परीक्षा को निरस्त किया गया है।

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