एमपैट के फॉर्म भरवाकर परीक्षा करवाना भूला राजस्थान विश्वविद्यालय - The Rajasthan Teachers Blog - राजस्थान - शिक्षकों का ब्लॉग

Subscribe Us

ads

Hot

Post Top Ad

Your Ad Spot

Tuesday 20 March 2018

एमपैट के फॉर्म भरवाकर परीक्षा करवाना भूला राजस्थान विश्वविद्यालय

जयपुर राजस्थान विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठने लगे है। पीएचडी में प्रवेश के लिए होने वाले एंट्रेस टेस्ट एमपैट के लिए विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों से परीक्षा फॉर्म तो भरवा लिए लेकिन वह परीक्षा करवाना भूल गया हैं।
एेसे में अब राजस्थान विश्वविद्यालय में नए शोध कार्य के लिए प्रवेश प्रकिया ही नहीं होने से शोध कार्य अटक गया है। विश्वविद्यालय की गत वर्ष दिसम्बर माह के अंत में एमफिल व पीएचडी में प्रवेश के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। जिसमें करीब तीन हजार से अधिक विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। आवेदन प्रकिया पूरी होने के बाद एमपैट कन्वीनर डॉ.दीपक भटनागर ने विद्यार्थियों को पहले तो जनवरी माह के अंत में परीक्षा करवाने का आश्वासन दिया था। इसके बाद भी परीक्षा नहीं हुइ तो फरवरी की शुरूआत में,फिर अंत में एंट्रेस टेस्ट करवाने का वादा किया गया लेकिन अब मार्च माह पूरा होने पर भी एमपैट परीक्षा विश्वविद्यालय प्रशासन नहीं करवा पाया है।
सवा दो साल पहले हुए था एमपैट टेस्ट

राजस्थान विश्वविद्यालय एमफिल पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट एमपैट आयोजित नहीं होने से सत्र 2015-16 को जीरो सत्र घोषित कर दिया गया था। अब वर्तमान में भी एमपैट आयोजित करने को लेकर विश्वविद्यालय अपना का रवैया उदासीन नजर रहा है। विश्वविद्यालय की लापरवाही के कारण जेआरएफ ले चुके विद्यार्थियों की की स्कॉलरशिप तक लैप्स होती जा रही है। लेकिन विश्वविद्यालय के जिम्मेदार उदासीन रवैया अपनाए हुए बैठे है। इससे पहले यह टेस्ट 2015 में आयोजित हुआ था जिसके बाद से विश्वविद्यालय यह परीक्षा करवाने में असफल साबित हुआ है। विश्वविद्यालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन जारी कर 20 दिसम्बर से यह एमपैट के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रकिया शुरू हुई थी। जिसकी अंतिम तिथि तीन दिसम्बर थी। वही आवेदन की हार्ड कॉपी जमा करवाने की अंतिम तिथि छह दिसम्बर रखी गई है। आवेदन प्रकिया शुरू होने से सवा दो साल बाद विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में एक आस जगी थी लेकिन 23 विषयों में एक भी सीट नहीं होने से विद्यार्थियों को मायूसी ही हाथ लगी हैं। इस बार कुल 51 विषयों में पीएचडी के लिए आवेदन माने गए है। लेकिन विश्वविद्यालय के पास शोध करवाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं। जिस कारण से घटती शिक्षकों की संख्या के कारण विश्वविद्यालय के 23 विषयों में पीएचडी के लिए एक भी सीट उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। यूजीसी के नियमानुसार एक प्रोफेसर एक साल में आठ, एसोसिएट प्रोफेसर छह और असिस्टेंड प्रोफेसर चार विद्यार्थियों को अपने निर्देशन में शोध कार्य करवा सकता हैं। लेकिन अब विश्वविद्यालय में कई सालों से सीएएस की प्रकिया नहीं होने और 2013 बाद से शिक्षकों की नई भर्ती नहीं होने से पीएचडी की सीट भी कम हो गई हैं। एेसी हालात होने के बाद बची सीट पर भी विश्वविद्यालय एमपैट नहीं करवा पाया हैं

No comments:

Post a Comment

Recent Posts Widget
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Advertisement

Important News

Popular Posts

Post Top Ad

Your Ad Spot

Copyright © 2019 Tech Location BD. All Right Reserved