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Saturday 20 January 2018

राजस्थान के बेरोजगार युवाओं का अनोखा प्रदर्शन, सरकार के सामने रखी अपनी मांगे

जयपुर। छात्रों की मांगों के प्रदर्शन में अब तक संबंधित मंत्री के खिलाफ हाय-हाय के नारे, अनशन किया जाता था, लेकिन राजस्थान बेरोजगार चित्रकला अभ्यर्थी संगठन ने रविवार को ज्योति नगर स्थित धरना स्थल पर अपने अनोखे अंदाज में सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की।
न कोई नारेबाजी और न ही कोई हंगामा।
अभ्यर्थियों ने लोक नृत्य के माध्यम से अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रखा। ढोलक और मंजीरों की धुन पर 'मैडम भर्ती काडो म्हाखी' गीत से नाच-गाकर अपनी मांग रखी। सुबह से चल रहे इस अनोखे धरने ने आने-जाने वालों का ध्यान अपनी ओर खींचा। हर कोई एक बार रूककर अभ्यर्थियों के लोक नृत्य को देखने लग गया।
संगठन के सचिव महेश गुर्जर ने बताया कि राजस्थान के कक्षा एक से दसवीं तक अनिवार्य कला शिक्षा विषय के फर्जी मूल्यांकन पर रोक, कला शिक्षकों के द्वितीय, तृतीय श्रेणी के पद सृजित कर भर्ती करने, कक्षा 9, 10 की अनिवार्य कला शिक्षा विषय की कला कुंज पुस्तकें राजकीय विद्यालयों के बच्चों को वितरण करने की मांग को लेकर सैंकड़ों कलाकारों ने अपनी कलाओं के माध्यम से प्रदर्शन किया।
सचिव ने कहा कि यदि सरकार बेरोजगार कला शिक्षकों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो जिलेवार प्रदर्शन किया जाएगा। बेरोजगार कला शिक्षकों का कहना है कि पिछले 18 साल से शिक्षक अपनी मांगों के संघर्ष कर रहे हैं। सरकार का इस ओर ध्यान दिलाया, लेकिन अभी तक सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया।
वीरेन्द्र प्रताप सिंह मोडिय़ाला ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 और 1982 की संशोधन शिक्षा नीति के तहत माध्यमिक स्तर तक चित्रकला व संगीत विषय कला शिक्षा के रूप में सम्मिलित कर अनिवार्य विषय के रूप में विद्यालयों में अध्ययन करवाया जाता है, लेकिन पिछले 25 साल में प्रदेश में कक्षा एक से दसवीं तक विद्यालयों में हर वर्ष नामांकित विद्यार्थियों को न कला शिक्षा (चित्रकला, संगीत) विषय का अध्ययन करवाया जाता है, न ही कोई परीक्षा होती है।

इतना ही नहीं बच्चों के पास पाठ्यपुस्तकें है तथा विद्यालयों में कला शिक्षकों के पद भी सृजित नहीं है। वर्ष 1992 से माध्यमिक स्तर पर अनिवार्य कला शिक्षा विषय के अध्ययन करवाने के लिए एक भी विद्यालय में कला शिक्षकों के पद सृजित नहीं है और न ही आज तक कोई भर्ती की गई।

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