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राजस्थान सरकार से मौत मांग रहे बेरोज़गार युवा, लाल-फीताशाही से तंग आकर कर रहे इच्छा मृत्यु की मांग

जयपुर।
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से वर्ष 2013 में आयोजित एलडीसी भर्ती परीक्षा के सफल अभ्यर्थियों ने करीब चार साल बाद भी नियुक्ति नहीं मिलने पर अब इच्छा मृत्यु की मांग की है। करीब एक दर्जन चयनित अभ्यर्थियों ने प्रशासनिक सुधार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को ज्ञापन देकर इच्छा मृत्यु की स्वीकृति देने की मांग की है।


चयनितों का कहना है कि भर्ती परीक्षा से जुड़े सभी विवाद दिसंबर में खत्म हो गए थे। इसके बाद सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की, लेकिन चयनित अभ्यर्थियों को जिला और विभाग आवंटन गलत कर दिया। ऐसे में चयनित अभ्यर्थियों की ओर से प्रशासनिक सुधार विभाग में शिकायतों का अंबार लग गया। इसके चलते एक बार फिर 26 दिसंबर, 2017 को भर्ती प्रक्रिया अटक गई।

करीब 20 दिन से अधिक गुजरने के बाद भी सरकार ने नियुक्ति प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया। ऐसे में सचिवालय पहुंचकर सफल अभ्यर्थी रविंद्र, महेश, अशोक, हेमंत, हिमांशु, रणवीर, भरत, रवि, आशीष समेत कई अन्य ने एसीएस को ज्ञापन देकर कहा कि वे मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताडि़त हो रहे हैं।

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... इधर, गृह जिलों में नियुक्ति के लिए दुबारा परीक्षा दे सफल हुए शिक्षकों को राहत
राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने गृह जिलों में नियुक्ति को लेकर दुबारा परीक्षा देकर सफल रहने वाले 100 से अधिक तृतीय श्रेणी शिक्षको को राहत दी है। न्यायाधीश अरुण भंसाली ने कहा कि धनराज मीना व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं का निस्तारण करते हुए सभी याचिकाकर्ताओं के पूर्व में समान पद पर किए गए कार्य नई नियुक्तियों के आदेश में जोडे़ जाएं।

नए सिरे से प्रोबेशन पीरियड भी नहीं दिया जाए और वर्तमान पोस्टिंग से रिलीव करते समय साथ में एलपीसी भी जारी की जाए। वहीं रूल 24 आरएसआर की पालना में सभी परिलाभ दिए जाएं।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्रीकांत वर्मा, केआर सहारन, एसएस गौड़, सुकेश भाटी व सीआर चौधरी ने कहा कि याची ने वर्ष 2012 में हुई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती में भाग लिया था और सफल रहने पर नियुक्तियां दी गई।

उन्होंने बाद में वर्ष 2013 में दुबारा जारी हुई शिक्षक भर्ती में भी अपने अपने गृह जिलों से आवेदन किए और सफल रहने पर नए स्थानों पर भी नियुक्तियां मिल गई। हालांकि इस दौरान उन्होंने प्रोबेशन पीरियड पूरा कर लिया। उन्हें स्थायी भी कर दिया गया, लेकिन न तो पूर्व में कार्यरत पद से रिलीव किया गया और न ही नई नियुक्ति में पुराने समान कार्य की वरीयता जोडऩे अथवा फिर से प्रोबेशन पीरियड शुरू नहीं करने के बारे में कहा गया।


प्रार्थियों ने कोर्ट की शरण ली, जहां अंतरिम आदेश के तहत सभी को रिलीव करने, पुराने पद पर प्राप्त वेतन की एलपीसी संलग्न करने सहित नई नियुक्तियों में प्रोबेशन शुरू नही करने के आदेश शामिल किए गए। हालांकि अप्रार्थी विभाग ग्रामीण विकास व पंचायतीराज की ओर से कहा गया कि दोनों भर्तियों के नियोक्ता अलग-अलग हैं। इसलिए समान सेवा का लाभ नहीं दिया जा सकता, लेकिन इस दलील को कोर्ट ने अपोषणीय ठहराते हुए पूर्व में जारी अंतरिम आदेश संपूर्ण आदेश मानते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया।

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