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कला व संगीत शिक्षक नहीं होने से जताया रोष

भास्कर न्यूज | टोंक कला शिक्षक अभ्यर्थियों का आठ सदस्यीय दल ने सोमवार को विधानसभा में अध्यक्ष कैलाश मेघवाल से विधानसभा में मुलाकात की। कला शिक्षक अभ्यर्थियों ने उन्हंे अपने हाथों से तैयार कलाकृतियां भेंट कर सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध तथ्यों पत्र, टिप्पपणीयों से बताया की माध्यमिक स्तर पर चित्रकला,
संगीत कला शिक्षा में विषय अनिवार्य विषय, लेकिन सन 1992 से राजकीय विद्यालयों में एक भी द्वितीय व तृतीय श्रेणी के कला शिक्षक पद सृजित नहीं न ही 25 वर्षो से एक भी कला शिक्षक की भर्ती हुई। जबकि राजकीय विद्यालयों माध्यमिक, प्रारभ्भिक स्तर तक 25 साला सें हर वर्ष नांमाकित होने वाले लाखों विद्यार्थियों को कला शिक्षा (चित्रकला, संगीत) अनिवार्य विषय का अध्ययन विद्यालयों में नही कराया जाता है न बच्चों को के पास पाठ्यपुस्तक उपलब्ध है। इसके बावजूद सरकारी विद्यालयों में इसके बिना प्रायोगिक, सैद्वान्तिक परीक्षा कराये फर्जी मूल्यांकन कर लाखों बच्चों को फर्जी ग्रेडि़ग अंक तालिका में दी जा रही है। निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर, एनसीईआरटी नई दिल्ली इस सन्दर्भ में टिप्पपणी बनाकर कला शिक्षा व कला शिक्षकों के महत्व के बारे में टिप्पणी बनाकर उपशासन सचिव शिक्षा सचिवालय जयपुर को भेजने के बावजूद शिक्षा विभाग सचिवालय की ओर से अपने स्तर पर गलत झूठी टिपप्णीयां प्रेषित कर दी। जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कलाकारों को कहा की अनिवार्य विषय है तो कला के शिक्षक लगाने चाहिए और वह इसके लिए शिक्षामंत्री को पत्र लिखेंगे। इस अवसर प्रदेश मिलने वाले कलाकारों मे महेश गुर्जर, सतवीर सिंह भास्कर, राजेश शर्मा, अदिति अग्रवाल, अजित कुमार, राजश्री टांक, राजेन्द्र चौधरी, भवनेश शर्मा उपस्थित रहे।

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