प्रारंभिकशिक्षा निदेशालय ने सर्व शिक्षा अभियान में काम कर रहे 70 हजार
शिक्षकों का वेतन केंद्र सरकार के भरोसे छोड़ दिया है। निदेशालय ने पिछले
दिनों एसएसए के शिक्षकों को दो भागों में बांटा था। इस कारण यह स्थिति बन
गई है।
एसएसए को राज्य और केंद्र से मिलने वाले बजट के प्रतिशत के हिसाब से शिक्षकों को भी बांट दिया। इससे राज्य निधि के मद में डाले गए शिक्षकों को तो वेतन मिल गया, लेकिन केंद्रीय सहायता के मद में डाले गए 70 हजार शिक्षकों को अब तक वेतन नहीं मिल पाया है। इससे शिक्षकों में नाराजगी है।
प्रदेशभर में करीब 1.15 लाख शिक्षकों को सर्व शिक्षा अभियान के मद से वेतन भुगतान किया जाता है। इस बार से वेतन की व्यवस्था का जिम्मा प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय को सौंप दिया गया है। एसएसए निदेशालय को बजट देगा। निदेशालय शिक्षकों को वेतन जारी करेगा। एसएसए से जो बजट मिलता है। इसमें 60 फीसदी हिस्सेदारी केंद्र सरकार की और 40 फीसदी हिस्सेदारी राज्य सरकार की होती है। निदेशालय ने भी शिक्षकों के पदों को केंद्रीय सहायता और राज्य निधि के रूप में बांट दिया। अब जो पद जिस मद में तय किया गया है, उसको उसी बजट से वेतन मिलेगा। इससे करीब 70 हजार शिक्षक केंद्रीय सहायता और 45 हजार शिक्षक राज्य निधि के मद में शामिल किए गए हैं। केंद्रीय सहायता मद में डाले गए शिक्षकों को मार्च का वेतन अब तक नहीं मिल पाया है। इससे शिक्षकों को परेशानी हो रही है। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का कहना है कि शिक्षक को इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि उसको वेतन केंद्र के बजट से मिलेगा या राज्य के बजट से। उसको समय पर वेतन मिलना चाहिए।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने शिक्षकों में ही भेदभाव कर दिया। केंद्रीय सहायता मद में डाले गए शिक्षक अब तक वेतन को तरस रहे हैं। जबकि राज्य निधि वालों को वेतन मिल चुका है। सर्व शिक्षा अभियान के अायुक्त जोगाराम का कहना है कि एसएसए के शिक्षकों का वेतन भुगतान निदेशालय द्वारा अब ऑनलाइन किया जा रहा है। इसके लिए एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आईएफएमएस) लागू की गई है। अभी नया नया सिस्टम है इससे हो सकता है कुछ देरी हो रही है। भविष्य में इन शिक्षकों को समय पर वेतन मिल सकेगा।
एसएसए को राज्य और केंद्र से मिलने वाले बजट के प्रतिशत के हिसाब से शिक्षकों को भी बांट दिया। इससे राज्य निधि के मद में डाले गए शिक्षकों को तो वेतन मिल गया, लेकिन केंद्रीय सहायता के मद में डाले गए 70 हजार शिक्षकों को अब तक वेतन नहीं मिल पाया है। इससे शिक्षकों में नाराजगी है।
प्रदेशभर में करीब 1.15 लाख शिक्षकों को सर्व शिक्षा अभियान के मद से वेतन भुगतान किया जाता है। इस बार से वेतन की व्यवस्था का जिम्मा प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय को सौंप दिया गया है। एसएसए निदेशालय को बजट देगा। निदेशालय शिक्षकों को वेतन जारी करेगा। एसएसए से जो बजट मिलता है। इसमें 60 फीसदी हिस्सेदारी केंद्र सरकार की और 40 फीसदी हिस्सेदारी राज्य सरकार की होती है। निदेशालय ने भी शिक्षकों के पदों को केंद्रीय सहायता और राज्य निधि के रूप में बांट दिया। अब जो पद जिस मद में तय किया गया है, उसको उसी बजट से वेतन मिलेगा। इससे करीब 70 हजार शिक्षक केंद्रीय सहायता और 45 हजार शिक्षक राज्य निधि के मद में शामिल किए गए हैं। केंद्रीय सहायता मद में डाले गए शिक्षकों को मार्च का वेतन अब तक नहीं मिल पाया है। इससे शिक्षकों को परेशानी हो रही है। राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का कहना है कि शिक्षक को इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि उसको वेतन केंद्र के बजट से मिलेगा या राज्य के बजट से। उसको समय पर वेतन मिलना चाहिए।
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने शिक्षकों में ही भेदभाव कर दिया। केंद्रीय सहायता मद में डाले गए शिक्षक अब तक वेतन को तरस रहे हैं। जबकि राज्य निधि वालों को वेतन मिल चुका है। सर्व शिक्षा अभियान के अायुक्त जोगाराम का कहना है कि एसएसए के शिक्षकों का वेतन भुगतान निदेशालय द्वारा अब ऑनलाइन किया जा रहा है। इसके लिए एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (आईएफएमएस) लागू की गई है। अभी नया नया सिस्टम है इससे हो सकता है कुछ देरी हो रही है। भविष्य में इन शिक्षकों को समय पर वेतन मिल सकेगा।
No comments:
Post a Comment