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अब आठवीं में ही रोकेंगे नहीं पढ़नेवालों को, राजस्थान बना पहला राज्य

यूपीए सरकार की ओर से वर्ष 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून लाया गया था, जिसमें आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं करने का नियम है। लेकिन राजस्थान में अब ऐसा नहीं होगा। यदि बच्चे के आठवीं में कम अंक आए तो वह पास नहीं होगा।
राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य होगा, जहां आरटीई के कानून में संशोधन लाया गया है। राज्य सरकार के इस संशोधन को मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय की भी मंजूरी मिल गई। राज्य के शिक्षा विभाग के अनुसार इस संशोधन को कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से ही अपनाया गया है।

राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के अनुसार आरटीई के इस कानून के कारण ​स्कूली शिक्षा का स्तर दिनोंदिन गिरता जा रहा है। अब पांचवी और आठवीं कक्षा के लिए जिला स्तरी पर परीक्षाएं डाइट की ओर से आयोजित की जाएगी। देवनानी के अनुसार आठवीं कक्षा में यदि बच्चें के कम नंबर आते है तो उसे एक माह बाद पुन: परीक्षा का मौका दिया जाएगा। इस एक माह के दौरान उसे अलग से तैयारी करवाई जाएगी। लेकिन फिर भी उसके नंबरों में सुधार नहीं होता तो उसे उस वर्ष आठवीं की ही पढ़ाई करनी होगी।

मंत्री शुरू से रहे हैं इस नियम के विरोधी
माना जाता है कि वासुदेव देवनानी जब से राज्य के शिक्षा मंत्री बने है वह तभी से इस कानून के विरोध में रहें हैं। देवनानी इस कानून के संशोधन के सबंध में एचआरडी मंत्रालय की ओर से गठित कमेटी के अध्यक्ष भी है। देवनानी के अनुसार उन्हें विश्वास है कि देश के कुछ अन्य राज्य भी इस व्यवस्था को अपना सकते है।

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