जोधपुर.आरएएस 2013 के इंटरव्यू बोर्ड में बतौर अध्यक्ष शामिल
आरपीएससी सदस्यों ने ही मनमर्जी से अभ्यर्थियों को नंबर दिए। सब्जेक्ट
एक्सपर्ट ने अभ्यर्थी से सवाल तो पूछे लेकिन मूल्यांकन सूची पर उनके
हस्ताक्षर नहीं करवाए गए। ये इंटरव्यू 10 अगस्त, 2016 से शुरू हुए थे।
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आरपीएससी
अध्यक्ष का कहना है कि यह व्यवस्था संघ लोकसेवा आयोग की सिफारिशों के आधार
पर की गई है जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि नियम बदलकर पारदर्शिता समाप्त
कर दी गई है। यूपीएससी इंटरव्यू बोर्ड में शामिल जेएनवीयू के पूर्व वीसी
प्रो. एलएस राठौड़ का कहना है कि यूपीएससी में एक्सपर्ट के साइन तो नहीं
होते, लेकिन अंक उनके समक्ष देकर सीलबंद लिफाफे पर हस्ताक्षर करवाए जाते
थे।
नई व्यवस्था के तहत यह लिए गए निर्णय
1. मूल्यांकन सूची में एफआर नंबर के सम्मुख उसका वर्ग नहीं लिखा जाएगा।
2.
आरएएस साक्षात्कार 100 अंक का है अत: भर्ती खंड के साक्षात्कार में रखी
जाने वाली ग्रेडिंग सिस्टम का साक्षात्कार में भी यथानुसार रखा जाए।
3. मूल्यांकन सूची के ऊपरी भाग में चेयरमैन के स्थान पर चेयरमैन ऑफ बोर्ड लिखा जाए।
4. मूल्यांकन सूची में संघ लोकसेवा आयोग की तर्ज पर विषय विशेषज्ञों के हस्ताक्षर नहीं होंगे। हस्ताक्षर केवल चेयरमैन ऑफ बोर्ड के होंगे।
3. मूल्यांकन सूची के ऊपरी भाग में चेयरमैन के स्थान पर चेयरमैन ऑफ बोर्ड लिखा जाए।
4. मूल्यांकन सूची में संघ लोकसेवा आयोग की तर्ज पर विषय विशेषज्ञों के हस्ताक्षर नहीं होंगे। हस्ताक्षर केवल चेयरमैन ऑफ बोर्ड के होंगे।
भास्कर को इंटरव्यू में शामिल हुए दो विषय विशेषज्ञों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताए ये तथ्य
एक्सपर्ट
के रूप में हमने साइन कराने के बारे में पूछा तो बताया गया कि अब नियम बदल
दिया है और इसके तहत आपके साइन की जरूरत ही नहीं है। एक अन्य एक्सपर्ट ने
बताया कि साक्षात्कार के बाद नंबर देने के लिए पूछा तो आरपीएससी के सदस्य
ने कहा कि यह उनका अधिकार है और वह विशेषज्ञों के सामने अभ्यर्थी को नंबर
नहीं देगा। इंटरव्यू पूरा होने के बाद आरपीएससी सदस्य ने एक्सपर्ट से कहा
कि वे जा सकते हैं। अभ्यर्थियों को अंक बाद में भर दूंगा। आरपीएससी सदस्य
से एक एक्सपर्ट की बहस हुई तो एक्सपर्ट ने सवाल पूछने बंद कर दिए। उन्होंने
कहा जब हमारे साइन नहीं होंगे तो सवालों का क्या औचित्य
तो क्या एक्सपर्ट के सवाल का जवाब सही है या गलत, इसका आकलन कैसे होगा?
जानकारों
ने बताया कि आरपीएससी की नई व्यवस्था के बाद डॉक्टरों के भी इंटरव्यू हुए।
इनमें स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी शामिल हुए। ऐसी स्थिति में एक डाक्टर ने दूसरे
डॉक्टर से सवाल पूछा और अभ्यर्थी का जवाब सही है या गलत, इसका आकलन
आरपीएससी का मैंबर ही करेगा क्योंकि नई व्यवस्था में बतौर एक्सपर्ट शामिल
डॉक्टर अपने द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब पर नंबर नहीं दे सकेगा। ऐसी
स्थिति में चयन प्रक्रिया सवालों के घेरे में होगी।
हां, विशेषज्ञों ने विरोध जताया था: पंवार
इस निर्णय का क्या औचित्य है?
इस तरह की व्यवस्था संघ लोकसेवा आयोग में है। इसी के आधार पर यह व्यवस्था लागू की गई है।
साक्षात्कार में अंक विशेषज्ञों के समक्ष दिए जाते हैं अथवा बाद में?
सभी अंक विशेषज्ञों के समक्ष दिए जाते हैं तथा उनके समक्ष ही लिफाफा सील कर दिया जाता है।
सभी अंक विशेषज्ञों के समक्ष दिए जाते हैं तथा उनके समक्ष ही लिफाफा सील कर दिया जाता है।
कुछ विशेषज्ञों का आरोप है कि नंबर उनके समक्ष नहीं दिए गए और लिफाफे भी सामने सील नहीं हुए?
कुछ विशेषज्ञों ने विरोध किया था और विवाद भी हुआ था, लेकिन मेरे समक्ष मामला अाया तो मैंने उन्हें संतुष्ट कर दिया था।
आरपीएससी के साक्षात्कार 10 अगस्त, 2016 को शुरू हुए और यह निर्णय इसके ठीक 5 दिन पूर्व लिया गया। इसका क्या कारण है?
साक्षात्कार शुरू होने से पूर्व साक्षात्कार प्रक्रिया की समीक्षा की जाती है। उक्त समीक्षा को साक्षात्कार प्रक्रिया से कुछ दिन पूर्व ही किया जाता है, जिसमें यह निर्णय लिया गया।
क्या इसमें किसी अनियमितता की संभावनाएं नहीं है?
आयोग हमेशा वरिष्ठ व अनुभवी विशेषज्ञों को ही साक्षात्कार बोर्ड का सदस्य बनाता है। इसमें अनियमितता की संभावनाएं निराधार है।
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