जहाजपुर।जहाजपुर विकास अधिकारी रामगोपाल वर्मा को शुक्रवार दोपहर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो भीलवाड़ा ने ढाई हजार रुपए की रिश्वत लेते जहाजपुर में धर लिया। उनका दो दिन पहले ही यहां से तबादला हो गया था, फिर भी उन्होंने रिश्वत ली। ब्यूरो टीम ने वर्मा के आवास की तलाशी ली, लेकिन कुछ विशेष नहीं मिला।
ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश गुप्ता ने बताया कि खजूरी ग्राम सचिव रामलक्ष्मण घारू ने एक परिवाद पेश किया। इसमें बताया गया कि अटल सेवा केन्द्र के निर्माण का अंतिम बिल पास करने की एवज में विकास अधिकारी वर्मा ने घूस मांगी। इस पर सौदा 12 हजार रुपए में तय होने पर उसने नौ हजार रुपए पूर्व में ले लिए थे। शेष दो हजार पांच सौ रूपए शुक्रवार को लेने की बात कही। इसके लिए आरोपित वर्मा ने ये राशि देने के लिए उन्हें सरकारी आवास पर बुलाया है।
गुप्ता ने बताया कि परिवादी की शिकायत सत्यापन में सही पाई गई। इस पर जहाजपुर में वर्मा के सरकारी आवास के बाहर जाल बिछाया गया। यहां आवास पर परिवादी के हाथों ढाई हजार की नकदी लेने के बाद आरोपित विकास अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गुप्ता ने बताया कि आरोपित की सरकारी आवास की तलाशी ली गई। इसी प्रकार टोंक जिले में स्थित आवास की तलाशी के लिए टोंक ब्यूरो को सूचित किया गया।
नौकरी शिक्षा विभाग की, लेकिन पंचायतीराज पसंद
विकास अधिकारी वर्मा मूल रूप से शिक्षा विभाग के हैं। वे पंचायतीराज विभाग में प्रतिनियुक्ति पर थे। खास बात है कि शिक्षा विभाग में रहते भी वर्मा पर सर्व शिक्षा अभियान के ब्र्रिज कोर्स में अनियमितता में शामिल थे। उनकी तीन वेतनवृद्धि रोकी गई है। इस बात का उनकी सर्विस रिकॉर्ड में भी उल्लेख है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश गुप्ता ने बताया कि खजूरी ग्राम सचिव रामलक्ष्मण घारू ने एक परिवाद पेश किया। इसमें बताया गया कि अटल सेवा केन्द्र के निर्माण का अंतिम बिल पास करने की एवज में विकास अधिकारी वर्मा ने घूस मांगी। इस पर सौदा 12 हजार रुपए में तय होने पर उसने नौ हजार रुपए पूर्व में ले लिए थे। शेष दो हजार पांच सौ रूपए शुक्रवार को लेने की बात कही। इसके लिए आरोपित वर्मा ने ये राशि देने के लिए उन्हें सरकारी आवास पर बुलाया है।
गुप्ता ने बताया कि परिवादी की शिकायत सत्यापन में सही पाई गई। इस पर जहाजपुर में वर्मा के सरकारी आवास के बाहर जाल बिछाया गया। यहां आवास पर परिवादी के हाथों ढाई हजार की नकदी लेने के बाद आरोपित विकास अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गुप्ता ने बताया कि आरोपित की सरकारी आवास की तलाशी ली गई। इसी प्रकार टोंक जिले में स्थित आवास की तलाशी के लिए टोंक ब्यूरो को सूचित किया गया।
नौकरी शिक्षा विभाग की, लेकिन पंचायतीराज पसंद
विकास अधिकारी वर्मा मूल रूप से शिक्षा विभाग के हैं। वे पंचायतीराज विभाग में प्रतिनियुक्ति पर थे। खास बात है कि शिक्षा विभाग में रहते भी वर्मा पर सर्व शिक्षा अभियान के ब्र्रिज कोर्स में अनियमितता में शामिल थे। उनकी तीन वेतनवृद्धि रोकी गई है। इस बात का उनकी सर्विस रिकॉर्ड में भी उल्लेख है।
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