जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की
उपाध्यक्ष एवं मीडिया चेयरपर्सन डॉ. अर्चना शर्मा ने आरएएस मुख्य परीक्षा
के पाठ्यक्रम से राजस्थानी साहित्य एवं बोलियों से संबंधित पाठ्यक्रम को
हटाये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि आरएएस मुख्य परीक्षा से उक्त पाठ्यक्रम को हटाने से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जुड़वानेके लिए किए जा रहे प्रयासों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी रीट परीक्षा के पाठ्यक्रम से राजस्थानी भाषा के पाठ्यक्रम को पूरी तरह से हटाकर प्रदेश के युवा बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात किया गया था। प्रदेश के प्रशासन को संभालने वालों को राजस्थानी भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। आमजनता से उनकी भाषा में संवाद करना व देश के सबसे बड़े राज्य की विविधता व संस्कृति से रूबरू होना प्रशासनिक अधिकारी द्वारा कार्य संचालन के लिए आवश्यक है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि आरएएस मुख्य परीक्षा में हिन्दी साहित्य व बोलियों के शामिल रहने पर प्रदेश के युवाओं को फायदा मिलता, परंतु अब इसे हटाये जाने से प्रदेश में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने वाले आंदोलन व प्रयास को धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करते हुए राजस्थानी भाषा का पक्ष न्यायालय में मजबूती से रखना चाहिए, ताकि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने के लिए चल रहे सभी प्रयासों को कमजोर होने से बचाया जा सके।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
डॉ. शर्मा ने कहा कि आरएएस मुख्य परीक्षा से उक्त पाठ्यक्रम को हटाने से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जुड़वानेके लिए किए जा रहे प्रयासों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी रीट परीक्षा के पाठ्यक्रम से राजस्थानी भाषा के पाठ्यक्रम को पूरी तरह से हटाकर प्रदेश के युवा बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात किया गया था। प्रदेश के प्रशासन को संभालने वालों को राजस्थानी भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है। आमजनता से उनकी भाषा में संवाद करना व देश के सबसे बड़े राज्य की विविधता व संस्कृति से रूबरू होना प्रशासनिक अधिकारी द्वारा कार्य संचालन के लिए आवश्यक है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि आरएएस मुख्य परीक्षा में हिन्दी साहित्य व बोलियों के शामिल रहने पर प्रदेश के युवाओं को फायदा मिलता, परंतु अब इसे हटाये जाने से प्रदेश में राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने वाले आंदोलन व प्रयास को धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करते हुए राजस्थानी भाषा का पक्ष न्यायालय में मजबूती से रखना चाहिए, ताकि राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने के लिए चल रहे सभी प्रयासों को कमजोर होने से बचाया जा सके।
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